अंतर्राष्ट्रीय संबंध
नीदरलैंड की डिजिटल पहचान योजना पर निर्णय
- 15 Feb 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:सिस्टम रिस्क इंडिकेटर, डेटा संरक्षण विधेयक 2019 मेन्स के लिये:गोपनीयता एवं मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीदरलैंड की एक अदालत ने डेटा गोपनीयता और मानवाधिकारों की चिंता के कारण सिस्टम रिस्क इंडिकेटर (System Risk Indicator- SyRI) नामक एक डिजिटल पहचान तंत्र के खिलाफ फैसला सुनाया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- ऐसे समय जब भारत में पहचान, नागरिकता और गोपनीयता जैसे प्रासंगिक प्रश्न हैं, डच ज़िला न्यायालय का यह फैसला दुनिया के कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली एवं गोपनीयता से संबंधित मुद्दों को संदर्भित करता है।
डिजिटल पहचान योजना क्या थी?
- डच सामाजिक मामलों के मंत्रालय ने वर्ष 2014 में SyRI को उन लोगों के लिये विकसित किया था जो धोखाधड़ी के माध्यम से सरकारी लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
- डच संसद द्वारा पारित इस विधान ने सरकारी एजेंसियों को एक निजी कंपनी के साथ कल्याणकारी डेटा जैसे- कर, भूमि रजिस्ट्री, रोज़गार रिकॉर्ड और वाहन पंजीकरण से संबंधित 17 श्रेणियों के डेटा को साझा करने की अनुमति दी थी।
SYRI की कार्यप्रणाली
- यह एल्गोरिदम पर आधारित है जो सरकार द्वारा प्रदान किये गए डेटा (जैसे कर, भूमि रजिस्ट्रियाँ, रोज़गार रिकॉर्ड आदि) का विश्लेषण करता है और जोखिम स्कोर की गणना करता है।
- गणना किये गए जोखिम स्कोर प्रासंगिक संस्थाओं को भेजे जाते हैं, जो इन्हें अधिकतम दो वर्षों के लिये सरकारी डेटाबेस पर संग्रहीत करता है।
- सरकार इस समयावधि में लक्षित व्यक्ति की जाँच शुरू कर सकती है।
डच ज़िला न्यायालय के तर्क
- डच ज़िला न्यायालय का मानना है कि SyRI यूरोपीय मानवाधिकार कानून के साथ-साथ यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन द्वारा प्रदत्त गोपनीयता की गारंटी का उल्लंघन करता है।
- आलोचकों द्वारा इसकी इस आधार पर आलोचना की गई कि एल्गोरिथमिक व्यवस्था गरीबी और अप्रवासी जैसी स्थितियों को धोखाधड़ी के जोखिम के साथ जोड़ती है।
- डच न्यायालय का मानना था कि इस प्रकार के अपारदर्शी एल्गोरिथमिक निर्णय से नागरिकों को नुकसान हो सकता है जिससे देश की लोकतांत्रिक विशेषताओं को नुकसान होगा।
- न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि SyRI पारदर्शिता और डेटा न्यूनता (Data Minimisation) के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
डच सरकार के तर्क
- सरकार का तर्क था कि इस नई तकनीक ने धोखाधड़ी को रोकने में सफलता पाई है और यह अंतिम निर्धारण के बजाय आगे की जाँच के लिये केवल एक प्रारंभिक बिंदु के रूप में कार्य करता है।
- डच सामाजिक मामलों के मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है कि वह संपूर्ण निर्णय का अध्ययन करेगा तथा उनके सिस्टम को पूरी तरह से हटाया नहीं जाएगा।
न्यायालय के निर्णय का महत्त्व
- यह निर्णय सरकारी निगरानी के खिलाफ डेटा संरक्षण विनियमन का उपयोग करने का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है।
- ध्यातव्य है कि स्वीडन और फ्राँस में छात्रों पर फेसिअल रिकॉग्निशन प्रणाली के उपयोग सहित अन्य यूरोपीय तकनीकी पहलों को यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन द्वारा रोक दिया गया है।
- यह निर्णय वैश्विक स्तर पर एक मिसाल कायम करता है, ध्यातव्य है कि वैश्विक स्तर पर यह पहला मामला है जब डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग एवं मानवाधिकारों के आधार पर सरकारी अधिकारियों द्वारा डिजिटल जानकारी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- उक्त निर्णय यह भी प्रदर्शित करता है कि विधायी नियमों को सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में प्रौद्योगिकी के उपयोग और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण हेतु संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
नीदरलैंड के न्यायालय का निर्णय एवं भारत
- इसी प्रकार गोपनीयता संबंधी मुद्दे पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आधार (Aadhar) आईडी के उपयोग को सीमित किया था, जिस प्रकार हेग के न्यायालय ने व्यक्तिगत गोपनीयता के साथ सामाजिक हित को संतुलित करने का प्रयास किया। हालाँकि आधार निर्णय एल्गोरिथमिक निर्णय लेने से संबंधित नहीं था बल्कि यह डेटा संग्रह से संबंधित था।
- भारत के प्रस्तावित डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 में कई खामियाँ हैं जिनका अमेरिका के कानून की तरह फायदा उठाया जा सकता है। इस प्रकार इस निर्णय से सीख ली जा सकती है और विधेयक में व्याप्त खामियों को दूर किया जा सकता है।