रोज़गार संबंधी आंकड़े:CMIE | 19 Aug 2020
प्रिलिम्स के लिये:सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी मेन्स के लिये:सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा जारी भारत में रोज़गार से संबंधित आंकड़े |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy-CMIE) ने COVID-19 लॉकडाउन अवधि (अप्रैल-जुलाई 2020) के दौरान प्राप्त अथवा खोई गई नौकरियों से संबंधित डेटा जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
-
वेतनभोगी नौकरियाँ:
- अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान इस श्रेणी में कुल 18.9 मिलियन का नुकसान हुआ।
- अप्रैल में 17.7 मिलियन वेतनभोगी नौकरियों का नुकसान हुआ। जून में 3.9 मिलियन नौकरियाँ प्राप्त करने के बाद, जुलाई में 5 मिलियन नौकरियाँ फिर से खो गईं।
- रोज़गार की इस श्रेणी के अंतर्गत रोज़गार की बेहतर शर्तों के साथ-साथ बेहतर वेतन प्राप्त होता है, और ग्रामीण भागों की तुलना में देश के शहरी हिस्सों में इनकी हिस्सेदारी भी अधिक होती हैं।
- ये आर्थिक झटकों के प्रति अधिक लचीलापन लिये होती हैं और ये आसानी से नष्ट नहीं होती हैं, हालाँकि एक बार खो जाने के बाद इन्हें पुनः प्राप्त करना अधिक कठिन होता है।
- भारत में कुल रोज़गार का केवल 21% वेतनभोगी रोज़गार के रूप में मौजूद है।
- शहरी वेतनभोगी नौकरियों की हानि से अर्थव्यवस्था पर विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, इसके अलावा मध्यम वर्गीय परिवारों को भी वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
- चूँकि लॉकडाउन की घोषणा के बाद कई क्षेत्रों की कंपनियों ने वेतन में कटौती और बिना वेतन के अवकाश के साथ-साथ नौकरी में कटौती जैसे कदम उठाए हैं।
- अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान इस श्रेणी में कुल 18.9 मिलियन का नुकसान हुआ।
-
अनौपचारिक और गैर-वेतनभोगी नौकरियाँ (Informal and Non-Salaried Jobs):
- इस श्रेणी में अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान सुधार हुआ जो जुलाई 2020 में बढ़कर 325.6 मिलियन हो गया, जबकि 2019 में यह 317.6 मिलियन था अर्थात् इस श्रेणी में कुल 2.5% की वृद्धि हुई।
- इसका प्रमुख कारण लॉकडाउन का चरणबद्ध तरीके से खुलना है।
- इस श्रेणी में अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान सुधार हुआ जो जुलाई 2020 में बढ़कर 325.6 मिलियन हो गया, जबकि 2019 में यह 317.6 मिलियन था अर्थात् इस श्रेणी में कुल 2.5% की वृद्धि हुई।
-
गैर-वेतनभोगी नौकरियाँ:
- रोज़गार की इस श्रेणी में कुल रोज़गार का लगभग 32% हिस्सा शामिल होता था लेकिन अप्रैल 2020 में इसमें 75% की कमी देखने को मिली।
- अप्रैल 2020 में खोई कुल 121.5 मिलियन नौकरियों में से 91.2 मिलियन नौकरियाँ इसी श्रेणी से है।
- छोटे व्यापारियों, फेरीवालों और दिहाड़ी मज़दूरों को लॉकडाउन से सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ।
- रोज़गार की इस श्रेणी में कुल रोज़गार का लगभग 32% हिस्सा शामिल होता था लेकिन अप्रैल 2020 में इसमें 75% की कमी देखने को मिली।
-
कृषि क्षेत्र से जुड़ी नौकरियाँ:
- गैर-कृषि क्षेत्रों में नौकरियों की कमी के कारण लोग कृषि रोज़गार की ओर बढ़ रहे हैं। अप्रैल-जुलाई 2020 की अवधि में कृषि क्षेत्र में 14.9 मिलियन रोज़गार प्राप्त हुए।
- वर्ष 2019 में भारत में 42.39% कार्यबल कृषि क्षेत्र में कार्यरत था।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी
- CMIE एक प्रमुख व्यावसायिक इन्फोर्मेशन कंपनी है। वर्ष 1976 में इसे मुख्य रूप से स्वतंत्र थिंक टैंक के रूप में स्थापित किया गया था।
- CMIE आर्थिक और व्यावसायिक डेटाबेस उपलब्ध कराता है और निर्णयन तथा अनुसंधान के लिये विशेष विश्लेषणात्मक उपकरण विकसित करता है। यह अर्थव्यवस्था में नित नए रूझानों को समझने के लिये डेटा का विश्लेषण करता है।