भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था में विरोधाभास की स्थिति
- 22 Oct 2020
- 7 min read
प्रिलिम्स के लियेश्रम बल भागीदारी दर, हेडलाइन मुद्रास्फीति, कोर मुद्रास्फीति, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष मेन्स के लियेमहामारी के कारण उत्पन्न विरोधाभासी स्थितियाँ और उनका कारण |
चर्चा में क्यों?
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के हालिया आँकड़ों के मुताबिक, महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के बाद भारत की आर्थिक स्थिति में हुए सुधार के कारण कुछ विरोधाभासी (Paradoxist) स्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं। हालाँकि चीन की अर्थव्यवस्था ने लगातार तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर्ज की है।
प्रमुख बिंदु
- रोज़गार
- सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) द्वारा प्रस्तुत किये गए आँकड़े बताते हैं कि जहाँ एक ओर श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में गिरावट आ रही है, वहीं दूसरी ओर रोज़गार की दर में कुछ सुधार दिखाई दे रहा है।
- श्रम बल को उन लोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो या तो कार्य कर रहे हैं या काम की तलाश कर रहे हैं अथवा काम के लिये उपलब्ध हैं।
- आमतौर पर यह देखा जाता है कि जब अधिक लोगों को रोज़गार मिलता है तब और अधिक लोग रोज़गार की तलाश करने लगते हैं, यानी रोज़गार की दर में बढ़ोतरी के साथ श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में भी बढ़ोतरी होती है, किंतु वर्तमान स्थिति में ऐसा नहीं हो रहा है।
- इस असामान्य स्थिति को आँकड़ों के ग्रामीण-शहरी विभाजन द्वारा समझा जा सकता है। एक तरफ ग्रामीण भारत में ‘पोस्ट-हार्वेस्टिंग’ गतिविधियों के कारण रोज़गार में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी तरह भारत के शहरी क्षेत्रों में रोज़गार में कमी आ रही है।
- साथ ही शहरी क्षेत्रों में बेहतर गुणवत्ता और उच्चतर आय वाली नौकरियाँ कम हो रही हैं और निम्न वेतन वाली ग्रामीण क्षेत्र की नौकरियों में बढ़ोतरी हो रही है।
- यह असामान्य घटना इस तथ्य को उजागर करती है कि महामारी के बाद शहरों में जिस स्तर पर प्रवासन होना चाहिये था वैसा नहीं हो रहा है।
- सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) द्वारा प्रस्तुत किये गए आँकड़े बताते हैं कि जहाँ एक ओर श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में गिरावट आ रही है, वहीं दूसरी ओर रोज़गार की दर में कुछ सुधार दिखाई दे रहा है।
- मुद्रास्फीति
- लॉकडाउन के कारण वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्ति पक्ष पर काफी प्रभाव पड़ा है, जिससे हेडलाइन मुद्रास्फीति (Headline Inflation) में वृद्धि हुई है, जो कि मुख्यतः खाद्य कीमतों में वृद्धि से प्रेरित है।
- हेडलाइन मुद्रास्फीति के अंतर्गत एक अर्थव्यवस्था के भीतर कुल मुद्रास्फीति को मापा जाता है, जिसमें खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में होने वाला उतार-चढ़ाव भी शामिल होता है।
- सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आँकड़े बताते हैं कि वर्तमान में हेडलाइन मुद्रास्फीति में वृद्धि के साथ-साथ कोर मुद्रास्फीति में भी वृद्धि हो रही है, जो कि एक अप्रत्याक्षित घटना है। कोर मुद्रास्फीति में एक ऐसे समय में वृद्धि हो रही है जब अनुमान के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड दर से संकुचन होने वाला है।
- सामान्य स्थिति में यह देखा जाता है कि जब मांग में गिरावट होती है तो इसके कारण कोर मुद्रास्फीति में भी गिरावट आती है।
- कोर मुद्रास्फीति वह है जिसमें खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को शामिल नहीं किया जाता है।
- लॉकडाउन के कारण वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्ति पक्ष पर काफी प्रभाव पड़ा है, जिससे हेडलाइन मुद्रास्फीति (Headline Inflation) में वृद्धि हुई है, जो कि मुख्यतः खाद्य कीमतों में वृद्धि से प्रेरित है।
- विकास
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हालिया आँकड़ों के मुताबिक, चीन, अमेरिका, पाकिस्तान और ब्राज़ील आदि देशों की तुलना में भारत महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित देश है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमानानुसार, कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वर्ष तकरीबन 10.3 प्रतिशत संकुचन हो सकता है।
- जबकि इससे पूर्व जून माह में जारी रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा था कि इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था में केवल 4.5 प्रतिशत का ही संकुचन होगा।
- हालाँकि अर्थव्यवस्था में संकुचन की अपेक्षा यह तथ्य नीति निर्माताओं के लिये चिंताजनक है कि वर्ष 2020 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय, भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय से अधिक हो जाएगी।
महामारी के बीच आर्थिक प्रदर्शन
- चीन की सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आँकड़े के मुताबिक, इस वर्ष लगातार तीसरी तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में वृद्धि दर्ज की गई है और वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चीन की अर्थव्यवस्था में 4.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।
- चीन के पर्यटन उद्योग में वृद्धि दर्ज की जा रही है, साथ ही औद्योगिक उत्पादन तथा निर्यात में भी वृद्धि हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप चीन में लाखों लोगों के लिये राजस्व और नौकरियों का सृजन हो रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि वर्ष 2020 में चीन की अर्थव्यवस्था में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जिसके कारण चीन की अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभाव के बावजूद वृद्धि करने वाली एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था बन जाएगी।