झारखंड का प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला | 02 Nov 2020
प्रिलिम्स के लिये:प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल मेन्स के लिये:आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली में अनियमितता |
चर्चा में क्यों?
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ समाचार पत्र द्वारा की गई एक जाँच में पता चला है कि झारखंड में केंद्र द्वारा वित्तपोषित छात्रवृत्ति योजना के तहत गरीब छात्रों को वितरित की जाने वाली छात्रवृत्ति में बैंक कर्मचारियों, बिचौलियों, विद्यालय एवं सरकारी कर्मचारियों द्वारा पैसे की उगाही की जा रही है।
प्रमुख बिंदु:
- प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (Pre-matric Scholarship Scheme) अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित 1 लाख रुपए से कम वार्षिक आय वाले परिवार के छात्र शामिल हैं, की मदद करने के लिये है।
- छात्रवृत्ति के लिये वही छात्र पात्र हैं जो अपनी कक्षा की परीक्षा में कम-से-कम 50% अंक हासिल करते हैं।
- यह छात्रवृत्ति प्रत्येक वर्ष दो चरणों में प्रदान की जाती है:
- कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को प्रतिवर्ष 1000 रुपए मिलते हैं।
- कक्षा 6 से 10 के छात्रों को प्रतिवर्ष 10700 रुपए मिलते हैं। (यदि वह हॉस्टल में रहता है) या घर से स्कूल आने वाले को प्रतिवर्ष 5700 रुपए मिलते हैं।
- हालाँकि बिचौलिये, स्कूल-मालिक, बैंकिंग संप्रेषक और सरकारी अधिकारी एक-दूसरे की मिलीभगत से छात्रवृत्ति के अधिकांश पैसों का घोटाला करते हैं।
छात्रवृत्ति के लिये आवेदन करने की प्रक्रिया क्या है और खाते में पैसा कब जमा किया जाता है?
- इस छात्रवृत्ति योजना के तहत योग्य छात्रों को राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (National Scholarship Portal- NSP) पर पंजीकरण करने और अन्य दस्तावेज़ों के साथ शैक्षिक दस्तावेज़, बैंक खाता विवरण और आधार संख्या जमा करने की आवश्यकता होती है।
- अल्पसंख्यक छात्रों के लिये यह छात्रवृत्ति योजना प्रत्येक वर्ष अगस्त से नवंबर तक खुली रहती है अर्थात् इसे प्रत्येक वर्ष लागू किया जाता है। इस वर्ष यह 30 नवंबर तक खुली रहेगी।
- इस योजना के तहत लाभ लेने की प्रक्रिया केवल ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म पर ही उपलब्ध है और कोई भी राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर या NSP के मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से नए सिरे से या नवीकरण छात्रवृत्ति के लिये आवेदन कर सकता है। छात्रवृत्ति का संवितरण वर्ष में एक बार होता है, आमतौर पर अप्रैल या मई में।
- कोई भी छात्र अपने बैंक खाता नंबर या एप्लीकेशन आईडी के माध्यम से लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली सॉफ्टवेयर के माध्यम से भुगतान को ट्रैक कर सकता है।
- चूँकि अधिकांश छात्र ऑनलाइन प्रक्रिया से अनजान हैं, इसलिये विद्यालय उनके आवेदन को भरता है और कुछ मामलों में बिचौलिये भी इस प्रक्रिया को पूरा करते हैं।
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल
(National Scholarship Portal- NSP):
- NSP एक ‘वन-स्टॉप’ समाधान है जिसके माध्यम से विभिन्न सेवाओं जैसे- छात्र आवेदन, आवेदन रसीद, सत्यापन आदि द्वारा छात्रों को छात्रवृत्ति के वितरण की सुविधा प्रदान की जाती है।
- राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल को डिजिटल इंडिया के तहत मिशन मोड प्रोजेक्ट (MMP) के रूप में शुरू किया गया है।
- इसका उद्देश्य बगैर किसी अनियमितता के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) के माध्यम से पात्र आवेदकों को सीधे उनके खाते में छात्रवृत्ति के प्रभावी वितरण के लिये एक 'स्मार्ट' (SMART) [सरलीकृत (Simplified), मिशन-उन्मुख (Mission-oriented), जवाबदेह (Accountable), उत्तरदायी (Responsive) एवं पारदर्शी (Transparent)] प्रणाली प्रदान करना है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण में अनियमितता:
(Direct Benefit Transfer)
- बिचौलिये, बैंक कर्मचारियों के साथ मिलकर छात्रों की उंगलियों के निशान के माध्यम से खाते की आधार-सक्षम लेन-देन की प्रक्रिया को संपन्न कराते हैं किंतु छात्र अपने खातों में आने वाली वास्तविक राशि के बारे में भी नहीं जानते हैं। उन्हें सिर्फ नकद राशि का एक अंश सौंप दिया जाता है।
आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली की कमज़ोरियाँ:
- यह घोटाला आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली की कमज़ोरियों का एक और उदाहरण है। किसी-न-किसी तरीके से गरीब लोगों का फिंगरप्रिंट लेकर भ्रष्ट व्यावसायिक संप्रेषकों द्वारा उनकी नियमित मज़दूरी, पेंशन एवं छात्रवृत्ति लूट ली जाती है।
सत्यापन के लिये कोई अन्य विकल्प:
- पात्र लाभार्थियों के सत्यापन के लिये कई चरण हैं। छात्र को छात्रवृत्ति के लिये आवेदन करने में सक्षम बनाने के लिये संस्थान/विद्यालय को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना चाहिये जो NSP पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराए।
- आवेदन को विद्यालय/संस्थान स्तर पर और फिर गृह ज़िला या निवास राज्य स्तर पर सत्यापित किया जाना चाहिये।
- अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय छात्रवृत्ति राशि तभी जारी करेगा जब आवेदन की जाँच एवं सत्यापन सभी अधिकारियों द्वारा अनुमोदित हो।
- यदि आवेदन को किसी भी कारण से संबंधित अधिकारियों द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है तो आवेदन करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी।
क्या केवल छात्रों के पैसों के साथ अनियमितता की जाती है?
- छात्रों की छात्रवृत्ति के अलावा जो पैसा परिवार के किसी सदस्य द्वारा खाड़ी देशों में काम करते हुए अपने परिवारों को भेजा जाता है उसमें भी अनियमितता पाई गई है। अर्थात् आधा पैसा बिचौलियों के पास जाता है।
झारखंड में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा कितने पैसे का वितरण किया जाता है?
- वर्ष 2019-20 में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया कि उसने प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत झारखंड को 61 करोड़ रुपए का भुगतान किया।
- मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 203,628 छात्रों ने आवेदन किया और 84,133 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
- वर्ष 2018-19 में झारखंड को 34.61 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया किंतु इसी वर्ष 166,423 छात्रों ने आवेदन किया और केवल 50,466 छात्रों को छात्रवृत्ति मिली।
गौरतलब है कि पूरे भारत में शैक्षणिक वर्ष 2019-20 हेतु प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिये 1423.89 करोड़ रुपए का वितरण किया गया था।