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झारखंड और तमिलनाडु द्वारा उच्च रॉयल्टी दर की माँग पर परमाणु ऊर्जा विभाग ने जताई असहमति

  • 19 May 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

परमाणु ऊर्जा विभाग ने रॉयल्टी दर तथा ‘उपभोग निरपेक्ष किराया’ (dead rent) को ये कहते हुए संशोधित करने से इंकार कर दिया कि ये ‘सामरिक खनिज’ (strategic minerals ) हैं तथा इनकी उपलब्धता भारत में कम है। DAE के अनुसार, चूँकि रॉयल्टी उत्पादित खनिजों पर देय है और रॉयल्टी की मात्रा ‘उपभोग निरपेक्ष किराए’ की तुलना में अधिक है, इसलिये उपभोग निरपेक्ष किराए की मौजूदा दरों को बिना किसी संशोधन के बनाए रखा जा सकता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • मंत्रालय ने विभिन्न खनिजों पर रॉयल्टी शुल्क तथा उपभोग निरपेक्ष किराए के संशोधन पर विचार करने के लिये एक अलग उप-समूह का गठन किया है।
  • इस उप-समूह की गतिविधियों का दिशा-निर्देशन केवल परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy- DAE) द्वारा किया जाएगा।
  • खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के तहत, प्रत्येक जिले में (जहाँ खनन किया जाता है), खनन परिचालन से प्रभावित स्थानीय आबादी को लाभ पहुँचाने के एकमात्र उद्देश्य से DMF (District Mineral Foundation) का गठन किया गया।
  • अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिये 2015 के खनन कानून के तहत, NMET (National Mineral Exploration Trust)  का भी गठन किया गया था।
  • खनन पट्टा मालिकों को DMF के साथ-साथ NMET को भी अपनी रॉयल्टी के अनुपात में एक निश्चित राशि देनी पड़ती है।
  • DMF तथा NMET को भुगतान की गई राशि रॉयल्टी शुल्क तथा उपभोग निरपेक्ष किराया में शीर्ष पर है।
  • सितंबर 2017 तक तमिलनाडु के पास 51 भंडारों में कुल 2.4 मिलियन टन मोनाज़ाइट उपलब्ध था। झारखंड के पास केवल एक भंडार में 0.21 मिलियन टन मोनाज़ाइट है।
  • परमाणु खनिज़ अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (AMD) के अनुसार, झारखंड में 67.7 हज़ार टन ट्राईयूरेनियम ऑक्टोऑक्साइड (जो यूरेनियम का एक अयस्क है) का भंडार है।
  • AMD, जो DAE के अधीन कार्य करता है, के पास यूरेनियम, थोरियम, नाइओबियम, टैंटलम, बेरिलियम, लिथियम, ज़िरकोनियम तथा टाइटेनियम जैसे परमाणु खनिजों की पहचान करने तथा मूल्यांकन करने का अधिकार प्राप्त है।
  • भारत ने इससे पहले खनिजों पर रॉयल्टी कर तथा ‘उपभोग निरपेक्ष किराया’ में संशोधन 1 सितंबर, 2014 को किया था।
  • 2014 की अधिसूचना के अनुसार, एक खनिक को मोनाज़ाइट के लिये 125 रूपए प्रति टन का रॉयल्टी देनी पड़ती है।
  • यूरेनियम रॉयल्टी दर ‘यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Uranium Corporation of India Ltd - UCIL) द्वारा प्राप्त वार्षिक मुआवज़े की राशि का दो प्रतिशत’ होता है,  जिसे बाद में DAE द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के आधार पर राज्यों के बीच विभाजित किया जाता है।
  • UCIL जो कि सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम है, एक मात्र कंपनी है जिसे भारत में यूरेनियम खनन का अधिकार प्राप्त है। 

उपभोग निरपेक्ष किराया (Dead Rent)

‘उपभोग निरपेक्ष किराया’ एक निश्चित राशि है, जिसका भुगतान खनिक द्वारा खान से निकाले खनिज की मात्रा के बदले किया जाता है।

रॉयल्टी शुल्क

जो भुगतान विशेष रूप से किसी व्यक्ति या संस्थान द्वारा किसी संपत्ति, पेटेंट, फ्रैंचाइज़ी, कॉपीराइट या प्राकृतिक सुविधा के लिये मालिक को दी जाती है, ताकि उसका उपयोग वो अपने लाभ के लिये कर सके, रॉयल्टी कहलाती है। 

परमाणु ऊर्जा विभाग

परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) की स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से प्रधानमंत्री के सीधे प्रभार के तहत दिनांक 3 अगस्त, 1954 को की गई थी। परमाणु ऊर्जा विभाग की संकल्पना प्रौद्योगिकी, अधिक संपदा के सृजन और अपने नागरिकों को बेहतर गुणवत्ता युक्त जीवन स्तर उपलब्ध कराने के माध्यम से भारत को और शक्ति संपन्न बनाना है ।

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