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जेबेल अली: एक नया प्राकृतिक गैस क्षेत्र

  • 06 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

जेबेल अली प्राकृतिक गैस क्षेत्र

मेन्स के लिये:

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापारिक संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates- UAE) ने एक नया प्राकृतिक गैस क्षेत्र खोजे जाने की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु:

  • इस प्राकृतिक गैस क्षेत्र की अनुमानित क्षमता 80 ट्रिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक फीट (Trillion Standard Cubic Feet) है।
  • यह एक सतही गैस स्रोत है।

अवस्थिति:

  • ‘जेबेल अली’ (Jebel Ali) नाम का जलाशय, दुबई और अबू धाबी अमीरात के बीच स्थित है।

अमीरात:

  • अमीरात एक ऐसे राजनैतिक क्षेत्र को कहते हैं जिस पर अमीर की उपाधि रखने वाला वंशानुगत तानाशाह शासन करता है।
  • अबू धाबी, अजमान, दुबई, फुजैराह, रास अल खैमाह, शारजाह और उम्म अल क्वाइन, नामक सात अमीरातों के महासंघ से संयुक्त अरब अमीरात का निर्माण हुआ है।
  • UAE द्वारा जारी आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह लगभग 5,000 वर्ग किलोमीटरके क्षेत्र में फैला है।

पिछले 15 वर्षों में सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस क्षेत्र:

  • ब्लूमबर्ग (Bloomberg) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘जेबेल अली’ (Jebel Ali) प्राकृतिक गैस क्षेत्र, वर्ष 2005 में खोजे गए तुर्कमेनिस्तान के गाल्किनिश (Galkynysh) क्षेत्र के बाद सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस क्षेत्र है।
  • 80 ट्रिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक फीट अनुमानित क्षमता वाला यह जलाशय आकार के संदर्भ में मध्य-पूर्व का चौथा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस क्षेत्र होगा।
  • मध्य-पूर्व में इससे बड़े तीन प्राकृतिक गैस क्षेत्र क्रमशः कतर स्थित उत्तरी मैदान (North Field) क्षेत्र, ईरान में दक्षिणी पारस (South Pars) और अबूधाबी में बाब क्षेत्र (Bab field) हैं।
  • कतरी और ईरानी क्षेत्र में भी प्राकृतिक गैस के क्षेत्र पाए जाते हैं।

विकास कार्ययोजना:

  • अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (The Abu Dhabi National Oil Company-ADNOC) और दुबई सप्लाई अथॉरिटी (Dubai Supply Authority-DUSUP) मिलकर इस सतही गैस परियोजना का विकास और निष्कर्षण करेंगे।
  • इस क्षेत्र से उत्पादित गैस की आपूर्ति DUSUP को दुबई की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये की जाएगी।

अन्य देशों पर निर्भरता में कमी:

  • इस खोज से UAE की कतर से बिजली के लिये गैस आपूर्ति पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है, कतर के साथ वर्ष 2017 से UAE के संबंधों में कड़वाहट देखी जा रही है।
  • वर्ष 2017 के बाद UAE उन चार देशों में से एक था जिसने कतर के साथ संबंध तोड़ लिये।
  • कतर पर आरोप था कि वह क्षेत्रीय आतंकी समूहों तथा ईरान की सहायता कर रहा है। इन्हीं कारणों को आधार बनाते हुए सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (U.A.E), मिस्र तथा बहरीन ने कतर से सभी प्रकार के भौतिक व राजनीतिक संबंध तोड़ लिये।
  • संबंधों में कड़वाहट के बावजूद कतर ने डॉल्फिन पाइपलाइन के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात को गैस की आपूर्ति जारी रखी है

भारत-संयुक्त अरब अमीरात व्यापारिक संबंध:

  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच पारंपरिक व्यापार मोती और मत्स्य के क्षेत्र में होता था परंतु संयुक्त अरब अमीरात में तेल की खोज के बाद व्यापारिक क्षेत्र में तेज़ी से बदलाव आया।
  • वर्ष 1962 में पहली बार भारत और अबू धाबी के बीच तेल व्यापार शुरू हुआ।
  • वर्ष 1971 में संयुक्त अरब अमीरात के एकीकृत इकाई के रूप में उभरने के साथ ही भारत के लिये निर्यात भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा।
  • 1970 के दशक में भारत-UAE व्यापार लगभग 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष था जो कि वर्तमान में लगभग 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष के आस-पास पहुँच गया है।
  • भारत ने वर्ष 2018-19 में संयुक्त अरब अमीरात से 17.49 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल का आयात किया।

भारत को लाभ:

  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात के सामरिक हित एक-दूसरे से जुड़े हैं, जिसका असर उनके रिश्तों पर दिख रहा है। ऐसी परियोजनाओं के विकास से UAE और भारत के बीच प्राकृतिक गैस के व्यापार में बढ़ोतरी होगी।
  • UAE भारत में विभिन्न व्यापारिक क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ा रहा है और वैश्विक मुद्दों पर भी दोनों देशों के विचारों में समानता आ रही है।
  • इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से UAE भारत के लिये प्राकृतिक गैस के आयातक देश के विकल्प के रूप में उभर कर सामने आएगा जिससे भारत की प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में रूस जैसे देशों पर निर्भरता कम हो सकेगी।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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