जननी सुरक्षा योजना | 22 Jun 2019
संदर्भ
लोकसभा के मानसून स्तर में एक प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री ने जननी सुरक्षा योजना के संदर्भ में जानकारी प्रदान की।
- जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana-JSY) माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिये भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission-NHM) द्वारा चलाया जा रहा एक सुरक्षित मातृत्व हस्तक्षेप (safe motherhood intervention) है।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत माता एवं शिशु की मृत्यु दर को घटाना प्रमुख लक्ष्य रहा है।
- यह योजना 12 अप्रैल, 2005 में गरीब गर्भवती महिलाओं के बीच संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई।
- JSY एक 100% केंद्र प्रायोजित योजना है और प्रसव एवं प्रसव उपरांत देखभाल हेतु नकद सहायता प्रदान करती है।
- इस योजना की सफलता को गरीब परिवारों के बीच संस्थागत प्रसव में वृद्धि दर द्वारा निर्धारित किया जाता है।
उद्देश्य
- योजना का उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत स्वास्थ्य संस्थाओं में प्रसव के लिये प्रोत्साहित करना है। जब वे जन्म देने के लिये किसी अस्पताल में पंजीकरण कराते हैं, तो गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिये भुगतान करने के लिये और एक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये नकद सहायता दी जाती है।
आशा की भूमिका
निम्न प्रदर्शन करने वाले राज्यों में JSY के तहत लाभों का उपयोग करने के लिये गरीब गर्भवती महिलाओं की मदद हेतु ‘आशा’ मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की भूमिका अहम् होती है।
1. अपने क्षेत्र में उन गर्भवती महिलाओं की पहचान करना जो इस योजना से लाभ के लिये पात्र हैं।
2. गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में बताना।
3. गर्भवती महिलाओं की पंजीकरण में मदद करना और कम-से-कम 3 प्रसव पूर्व जाँच प्राप्त करना, जिसमें टिटनेस के इंजेक्शन एवं आयरन फोलिक एसिड की गोलियाँ शामिल हैं।
4. JSY कार्ड और बैंक खाता सहित आवश्यक प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में गर्भवती महिलाओं की सहायता करना।
5. गर्भवती महिलाओं के लिये अलग-अलग सूक्ष्म जन्म योजना तैयार करना, जिसमें उन निकटवर्ती स्वास्थ्य संस्थाओं की पहचान करना शामिल है जहाँ उनको प्रसव के लिये भेजा जा सकता है।
6. टीबी के खिलाफ BCG टीकाकरण सहित, नवजात शिशुओं के लिये टीकाकरण की व्यवस्था करना।
7. प्रसवोत्तर यात्रा के लिये जन्म के 7 दिनों के भीतर महिलाओं से मिलना।
8. परिवार नियोजन को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
स्वास्थ्य केंद्र में प्रजनन कराने से माता के साथ-साथ शिशु की भी सुरक्षा सुनिश्चित होती है। जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत जहाँ गर्भवती महिला को नकद सहायता दी जाती है, वहीं जननी सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं पर कम खर्च करना पड़ता है। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम की शुरुआत करने से सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रजनन कराने में प्रोत्साहन मिलेगा। रूग्ण नवजात शिशुओं का मुफ्त इलाज किये जाने से नवजात शिशुओं की मृत्यु दर घटाने में सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम से माता एवं नवजात शिशुओं की रूग्णता और मृत्यु दर में कमी आएगी।