जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 | 08 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) बिल [Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill] 2019 को राज्यसभा में मंज़ूरी नहीं मिल पाई। विधेयक में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट से न्यासी के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष का नाम हटाने का प्रस्ताव है। राज्यसभा में विभिन्न दलों के बीच इस विधेयक पर सहमति नहीं बन पाने के कारण इसे पारित नहीं किया जा सका।
विधेयक के प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, 1951 में संशोधन का प्रस्ताव करता है।
- 1951 का अधिनियम अमृतसर (पंजाब) स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को मारे गए और घायल हुए लोगों की स्मृति में राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण का प्रावधान करता है।
- इसके अतिरिक्त अधिनियम के तहत राष्ट्रीय स्मारक के प्रबंधन के लिये एक ट्रस्ट भी बनाया गया है।
न्यासियों/ट्रस्टीज़ का संयोजन
- 1951 के अधिनियम के अंतर्गत स्मारक के ट्रस्टीज़ में निम्नलिखित को शामिल किया गया है:
- अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष
- संस्कृति मंत्री
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- पंजाब के गवर्नर
- पंजाब के मुख्यमंत्री
- केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन प्रख्यात व्यक्ति।
- यह विधेयक इस प्रावधान में संशोधन करता है और ट्रस्टी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के नाम को हटाने का प्रावधान करता है।
- इसके अतिरिक्त विधेयक स्पष्ट करता है कि जब लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं होगा, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ट्रस्टी बनाया जाएगा।
- अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन प्रख्यात व्यक्तियों का कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा और उन्हें दोबारा नामित किया जा सकता है।
- यह विधेयक इस बात का प्रावधान करता है कि केंद्र सरकार कोई कारण बताए बिना कार्यकाल समाप्त होने से पहले नामित ट्रस्टी को पद से हटा सकती है।