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जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम 2022

  • 23 Dec 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम 2022

मेन्स के लिये:

जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियमों की विशेषताएँ, जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियमों से संबंधित चिंताएँ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने "जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम 2022" को अधिसूचित किया है, जिसने केंद्रशासित प्रदेश (UT) में लीज पर संपत्ति रखने के मालिकों के अधिकार को समाप्त कर दिया है और यह इन संपत्तियों को नए सिरे से ऑनलाइन आउटसोर्स करने की योजना है।

जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम 2022 की मुख्य विशेषताएँ:

  • नए कानूनों ने "जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम 1960" को प्रतिस्थापित किया, जिसमें उदार लीज नीति थी, जैसे कि 99 वर्ष की लीज अवधि और विस्तार योग्य।
    • घाटी में स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के अधिकांश होटल और जम्मू एवं श्रीनगर में प्रमुख व्यावसायिक संरचनाएँ लीज की भूमि पर हैं।
  • नए कानूनों में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर भूमि अनुदान नियम 1960, अधिसूचित क्षेत्र (पर्यटन क्षेत्र में स्थापित सभी विकास प्राधिकरण) भूमि अनुदान नियम, 2007 और इन नियमों के लागू होने से पहले या इन नियमों के तहत जारी किये गए पट्टे सहित निर्वाह या समाप्त हो चुके आवासीय पट्टों को छोड़कर अन्य कोई पट्टे नवीनीकृत व निर्धारित नहीं  किये जाएंगे। 
    • उपराज्यपाल प्रशासन ने इन लीज संपत्तियों को आउटसोर्स करने के लिये एक नई ऑनलाइन नीलामी आयोजित करने की योजना बनाई है। 
  • सभी जावक पट्टेदार लीज पर ली गई भूमि का कब्ज़ा तत्काल सरकार को सौंप देंगे, ऐसा न करने पर पट्टेदार को बेदखल कर दिया जाएगा।
  • जम्मू-कश्मीर के भूमि कानून प्रतिगामी थे

नियमों का विरोध: 

  • कुछ राजनीतिक दलों ने तर्क दिया है कि पेश किये गए नए भूमि अनुदान नियम-2022 छह से सात लाख लोगों के लिये बेरोज़गारी के दायरे को बढ़ाएगा और केवल जम्मू-कश्मीर में होटल तथा वाणिज्यिक प्रतिष्ठान खरीदने हेतु बाहर से आने वाले करोड़पतियों और पूंजीपतियों के लिये मार्ग प्रशस्त करेगा। 
    • नवीन भूमि अनुदान नियमावली-2022 द्वारा वर्तमान भू-स्वामियों का अधिकार समाप्त कर उसे बाज़ार मूल्य पर विक्रय किया जाएगा। देश के बाकी हिस्सों के करोड़पतियों और अरबपतियों की तुलना में स्थानीय व्यावसायियों की क्रय शक्ति नगण्य है।
  • इसके कारण बैंक ऋण वाले वर्तमान मालिकों को ऋण चुकाने के लिये अपना घर बेचने हेतु मजबूर होना पड़ेगा।
    • जम्मू-कश्मीर बैंक से लिया गया वर्तमान बैंक उधार 60,000 करोड़ रुपए है, जो 1990 के दशक के बाद से अशांत समय से बचने के लिये स्थानीय लोगों द्वारा लिये गए ऋणों का एक संकेतक है

नियमों से संबंधित प्रशासन के दावे: 

  • जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दावा किया है कि भूमि कानूनों में संशोधन से कोई भी गरीब प्रभावित नहीं होगा। बाह्य विधि का शासन यहाँ भी लागू करना होगा।
  • 100 करोड़ रुपए की संपत्तियाँ थीं, जिन्हें भुगतान के रूप में 5 रुपए के लिये पट्टे पर दिया जा रहा था, ऐसे लोग ही संशोधनों से चिंतित हैं। नए नियम जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों के बराबर लाने के लिये हैं।
  • लेफ्टिनेंट गवर्नर ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में भूमि कानून प्रतिगामी थे और आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए नहीं बनाए गए थे। विभिन्न न्यायालयों में लगभग 40% - 45% मामले केवल भूमि विवाद से संबंधित हैं। 

स्रोत: द हिंदू

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