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जम्मू-कश्मीर ग्रांट ऑफ डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसीजर) रूल्स 2020

  • 19 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

जम्मू-कश्मीर ग्रांट ऑफ डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसीजर) रूल्स, 2020

मेन्स के लिये

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास प्रमाणपत्र (Domicile Certificates) जारी करने संबंधी नियम अधिसूचित किये हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि अब प्रदेश में ‘जम्मू-कश्मीर ग्रांट ऑफ डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसीजर) रूल्स 2020’ {J&K Grant of Domicile Certificate (Procedure) Rules 2020} के आधार पर ही अधिवास प्रमाणपत्र जारी किये जाएंगे।
  • नियमों के तहत, अधिवास प्रमाणपत्र जारी करने के लिये अधिकतम 15 दिनों की अवधि निर्धारित की गई है, जिसके पश्चात् यदि प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाता है तो आवेदक को इस संबंध में अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क करने के अधिकार दिये गए हैं।
  • इस संदर्भ में अपीलीय प्राधिकरण का निर्णय प्रमाणपत्र जारी करने वाले प्राधिकरण के लिये बाध्यकारी होगा और अपीलीय प्राधिकरण के आदेशों को सात दिनों के भीतर लागू करना अनिवार्य होगा।
    • यदि ऐसा नहीं होता है तो संबंधित अधिकारी को दंड के रूप में 50,000 रुपए का जुर्माना देना होगा, जो कि उसके वेतन से लिया जाएगा।
  • साथ ही अपीलीय प्राधिकरण के पास पुनरीक्षणीय शक्तियाँ (Revisional Powers) होंगी।
  • अपीलीय प्राधिकरण या तो स्वतः संज्ञान लेकर अथवा किसी व्यक्ति द्वारा किये गए आवेदन के माध्यम से किसी भी कार्यवाही की वैधता की जाँच कर सकते हैं और संदर्भ में उचित आदेश पारित कर सकते हैं।
  • नियमों में एक प्रावधान है कि अधिवास प्रमाणपत्र देने के लिये आवेदन भौतिक अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा किये जा सकते हैं। वहीं सक्षम प्राधिकारी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से अधिवास प्रमाणपत्र भी जारी कर सकते हैं।
  • हालाँकि, जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी जिनके लिये स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (Permanent Resident Certificate-PRC) 31 अक्तूबर, 2019 से पूर्व जारी किये गए थे, वे केवल स्थायी निवासी प्रमाणपत्र के आधार पर अधिवास प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे और उन्हें इस संबंध में किसी विशेष दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी।
  • राज्य प्रशासन द्वारा जारी उक्त नियमों के माध्यम से अधिवास प्रमाणपत्र जारी करने के लिये एक सरल समयबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करने में मदद मिलेगी।

अधिवास प्रमाणपत्र संबंधी योग्यता

  • ध्यातव्य है कि इसी वर्ष अप्रैल माह में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के लिये नए अधिवास नियम और प्रदेश में रोज़गार के लिये पात्रता से संबंधित अधिसूचना जारी की थी। 
  • सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अधिवास (Domicile) की परिभाषा में उन लोगों को शामिल किया गया है जो जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में 15 वर्ष की अवधि से रह रहे हैं अथवा 7 वर्ष तक वहाँ अध्ययन किया है और जम्मू-कश्मीर स्थित शैक्षणिक संस्थान में 10वीं तथा 12वीं कक्षा की परीक्षा में शामिल हुए हैं।
  • ध्यातव्य है कि 5 अगस्त से पूर्व, जब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A प्रचलन में थे, तब जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्य में सभी नौकरियाँ विशेष रूप से राज्य के स्थायी निवासियों के लिये आरक्षित थीं।

अनुच्छेद 370 और 35A

  • 17 अक्तूबर, 1949 को अनुच्‍छेद 370 भारतीय संव‍िधान का ह‍िस्‍सा बना तथा इसे एक 'अस्थायी प्रावधान' के रूप में जोड़ा गया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को छूट दी थी, ताकि वह अपने संविधान का मसौदा तैयार कर सके और राज्य में भारतीय संसद की विधायी शक्तियों को प्रतिबंधित कर सके।
  • अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को यह सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था कि भारतीय संविधान के कौन से अनुच्छेद राज्य में लागू होने चाहिये।
  • अनुच्छेद 35A अनुच्छेद 370 से उपजा है और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश पर वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के माध्यम से लागू किया गया था।
  • संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान था, जबकि अनुच्छेद 35A ने राज्य के बाहर के लोगों को जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने और स्थायी निवासियों के लिये नौकरी आरक्षण सुनिश्चित करने पर रोक लगा दी थी। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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