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भारतीय अर्थव्यवस्था

न्यूनतम मज़दूरी से संबंधित मुद्दे

  • 21 Aug 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, ड्राफ्ट कोड ऑन वेज (सेंट्रल) रूल्स, 2020,न्यूनतम वेतन सीमा

मेन्स के लिये:

न्यूनतम मज़दरी के निर्धारण हेतु मानदंड, विभिन्न राज्य सरकारों के समक्ष न्यूनतम मज़दरी के निर्धारण में समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) द्वारा ड्राफ्ट कोड ऑन वेज (सेंट्रल) रूल्स, 2020 ( Draft Code on Wages (Central) Rules, 2020) में वर्तमान न्यूनतम वेतन (Minimum Wage) निर्धारण मानदंड को अस्पष्ट बताया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • 7 जुलाई 2020 को, केंद्र सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में वेजेज़ (सेंट्रल) रूल्स, 2020 पर ड्राफ्ट कोड प्रकाशित किया एवं इसे आपत्तियों तथा सुझावों को आमंत्रित करने वाले पब्लिक डोमेन (Public Domain) में रखा।
  • न्यूनतम वेतन का निर्धारण:
    • उपभोग इकाइयों की संख्या (Number of Consumption Units): वेतन संहिता (Wage Code) 3 वयस्क खपत इकाइयों के बराबर मानक श्रमिक वर्ग परिवार को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम मज़दूरी का निर्धारण करता है।
    • एक मानक श्रमिक परिवार में सिर्फ 3 वयस्क उपभोग इकाइयाँ शामिल हैं।
    • पुरुष कर्मचारी को 1 उपभोग इकाई, उसकी पत्नी को 0.8 उपभोग इकाई और दो बच्चों को 0.6 उपभोग इकाई के रूप में गिना जाता है।
    • एक परिवार के सदस्यों की खाद्य आवश्यकताओं के बारे में ऐसी धारणा त्रुटिपूर्ण लगती है। इसके अलावा, इस अवधारणा में ऐसे परिवारों पर विचार नहीं किया जाता जो घर के बड़े सदस्यों पर आश्रित है।
  • व्यय: भोजन, कपड़े, आश्रय, ईंधन, बिजली, बच्चों की शिक्षा और चिकित्सा आवश्यकताओं के लिये किये गए खर्चों के अनुमान पर विचार करके कोड के तहत न्यूनतम मज़दूरी तय की गई है। इसमें आकस्मिकताओं और विविध मदों पर खर्च भी शामिल है।
    • हालाँकि न्यूनतम वेतन के निर्धारण के लिये निर्धारित मानदंड वर्तमान समय में एक परिवार की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये किये गए सभी खर्चों को ध्यान में नहीं रखते हैं।
    • उदाहरण के लिये इसमें परिवहन, मोबाइल फोन बिल और इंटरनेट कनेक्शन बिल पर किये गए खर्च पर विचार नहीं किया जाता है।
  • वस्त्र: मानक श्रमिक परिवार वर्ग को प्रति वर्ष 66 मीटर कपड़े की आवश्यकता वास्तविक रूप से कम है।
    • इसमें ठंडे क्षेत्रों के लोगों की अतिरिक्त कपड़ों की आवश्यकताओं को भी ध्यान में नहीं रखा गया है।
  • आवास: आवास किराया खर्च का कुल 10% भोजन और कपड़ों पर खर्च किया जाएगा, जो कि सोचने में काफी अव्यावहारिक है क्योंकि महानगरीय क्षेत्रों एवं उसके आसपास के परिवार के लिये एक अच्छे आवास का किराया कम से कम 5000 रूपए प्रति माह होगा।।
    • मज़दूरी के निर्धारण का आधार: मसौदा कोड के तहत न्यूनतम मज़दूरी का निर्धारण दैनिक आधार पर किया गया है।
    • हालाँकि, ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा है कि मासिक आधार पर न्यूनतम मज़दूरी के निर्धारण की तुलना में एक दिन के आधार पर मज़दूरी का निर्धारण श्रमिकों के लिये नुकसानदेह हो सकता है।

न्यूनतम वेतन सीमा/मज़दूरी का निर्धारण (Fixation of Floor Wage):

  • वेतन संहिता, 2020 न्यूनतम वेतन सीमा/मज़दूरी की अवधारणा को प्रस्तुत करती है जो केंद्र सरकार को श्रमिकों के न्यूनतम जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन सीमा तय करने का अधिकार प्रदान करती है।
    • यह एक आधारभूत मज़दूरी दर है जिसके नीचे न्यूनतम मज़दूरी राज्य सरकारों द्वारा तय नहीं की जा सकती है।
    • वेतन संहिता विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिये अलग-अलग न्यूनतम वेतन सीमा निर्धारित करने की अनुमति देती है। हालाँकि इसने उन क्षेत्रों में एक आर्थिक शंका को उत्पन्न किया है जिन क्षेत्रों में मज़दूरी अधिक है परंतु कम दी जाती है।
    • इसके अलावा, वेतन नियम केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन सीमा दरों के निर्धारण के लिये सटीक मानदंडों की रूपरेखा प्रस्तुत नहीं करते हैं।

सुझाव:

  • न्यूनतम वेतन सीमा के निर्धारण की सटीक विधियों को बताते हुए यह वेतन संहिता लागू होने के बाद उचित स्तर पर फ्लोर वेज को स्थापित करने में सक्षम करेगा।

न्यूनतम वेतन के संशोधन की आवधिकता को ठीक करना-

  • न्यूनतम वेतन के दो घटक मूल वेतन एवं महंगाई भत्ता हैं। कागजी तौर पर हर 5 वर्षों में मूल वेतन के संशोधन का सुझाव दिया गया है इसका एक हिस्सा प्रस्तावित न्यूनतम वेतन नियमों से गायब है।
  • श्रमिकों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधि संगठनों के साथ परामर्श करके नियमों को परिभाषित करना और साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण पर भरोसा करना ।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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