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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विदेश में जेल में बंद भारतीयों का मुद्दा

  • 05 Jan 2024
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विदेश में जेल में बंद भारतीयों का मुद्दा, अनिवासी भारतीय, स्थानीय विदेश कार्यालय, कल्याण और कांसुलर सहायता

मेन्स के लिये:

विदेश में जेल में बंद भारतीयों का मुद्दा, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह, भारत और इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

चर्चा में क्यों?

विश्व भर में सबसे अधिक भारतीय प्रवासी नागरिक होने के कारण, 9,500 से अधिक भारतीय वर्तमान में विदेशों की जेलों में हैं।

  • मध्य पूर्व की जेलों में प्रत्येक पाँच में से तीन भारतीय जेल में हैं तथा इस क्षेत्र की जेलों में भारतीय कैदियों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी कतर में है।

नोट: विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs- MEA) के अनुसार, 1.3 करोड़ से अधिक अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians- NRI), 1.8 करोड़ से अधिक भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) तथा 3.2 करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय 210 देशों में रहते हैं।

विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में कैद भारतीय:

  • विदेश में जेल में बंद कुल भारतीय:
    • जिन 210 देशों में भारतीय प्रवासी समुदाय रहते हैं उनमें से 89 देशों की जेलों में 9,521 भारतीय बंद हैं।
  • मध्य पूर्व:
    • 62% से अधिक लोग मध्य पूर्व की जेलों में हैं एवं उसके बाद एशिया का स्थान आता है।
    • सबसे अधिक संख्या में भारतीय कैदी– 2,200, सऊदी अरब में बंद हैं जिसके बाद संयुक्त अरब अमीरात का स्थान है।
    • कतर में 752 भारतीय कैदी हैं तथा इसके बाद कुवैत, बहरीन और ओमान का स्थान है।
  • एशिया:
    • एशिया में कुल 1,227 कैदियों में से 23% से अधिक कैदी नेपाल में हैं, इसके बाद मलेशिया, पाकिस्तान, चीन, सिंगापुर, भूटान एवं बांग्लादेश हैं।
  • यूरोप:
    • यूरोप में अधिकांश भारतीय कैदी (278) यूनाइटेड किंगडम की जेलों में हैं, इसके बाद इटली, जर्मनी, फ्राँस एवं स्पेन का स्थान है।

क्या होता है जब किसी भारतीय को विदेश में कैद कर लिया जाता है?

  • निगरानी करना:
    • विदेश मंत्रालय की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, विदेशों में भारतीय मिशन और केंद्र स्थानीय कानूनों के कथित उल्लंघन के लिये भारतीय नागरिकों को जेल भेजे जाने की घटनाओं पर बारीकी से नज़र रखते हैं।
    • जैसे ही मिशन या पोस्ट को किसी भारतीय नागरिक की हिरासत या गिरफ्तारी के बारे में जानकारी मिलती है, वह ऐसे व्यक्तियों तक कांसुलर पहुँच प्राप्त करने के लिये स्थानीय विदेश कार्यालय और अन्य स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करता है।
  • कल्याण और कांसुलर सहायता सुनिश्चित करना:
    • विदेश मंत्रालय के अधिकारी मामले के तथ्यों का पता लगाते हैं, भारतीय राष्ट्रीयता की पुष्टि करते हैं और विभिन्न तरीकों से ऐसे व्यक्तियों का कल्याण सुनिश्चित करना, जैसे कि हर संभव कांसुलर सहायता प्रदान करना, जहाँ भी आवश्यक हो, कानूनी सहायता प्रदान करने में मदद करना तथा न्यायिक कार्यवाही को जल्द-से-जल्द पूरा करने के लिये स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों से संपर्क करना।

विदेश में कैदियों को सहायता प्रदान करने हेतु सरकारी कदम क्या हैं?

  • कानूनी सहयोग:
    • भारतीय मिशन और पोस्ट उन देशों में वकीलों का एक स्थानीय पैनल बनाए रखते हैं जहाँ भारतीय समुदाय बड़ी संख्या में रहते हैं।
    • दूतावास द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के लिये कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
    • भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF) की स्थापना विदेशों में मिशनों और केंद्रों पर संकट की स्थिति में प्रवासी भारतीय नागरिकों की सहायता के लिये की गई है।
    • ICWF के तहत दिये जाने वाले समर्थन में कानूनी सहायता के लिये वित्तीय सहायता के साथ-साथ स्वदेश वापसी के दौरान यात्रा दस्तावेज़ और हवाई टिकट भी शामिल हैं।
  • भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी:
    • सरकार विभिन्न देशों के साथ कांसुलर और अन्य परामर्शों के दौरान विदेशी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों की रिहाई तथा स्वदेश वापसी के मुद्दे पर कार्रवाई करती है।
  • क्षमा और जेल की सज़ा में कमी:
    • कुछ देश समय-समय पर विभिन्न राष्ट्रीयताओं के कैदियों को माफी देते हैं या उनकी सज़ा कम करते हैं, लेकिन संबंधित देशों के साथ डेटा साझा नहीं करते हैं।
      • वर्ष 2014 के बाद से विभिन्न चैनलों के माध्यम से भारत सरकार के प्रयासों के कारण 4,597 भारतीय नागरिकों को विदेशी सरकारों द्वारा माफी या उनकी सज़ा में कमी मिली है।
  • सज़ायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण (TSP) पर समझौते:
    • भारत ने 31 देशों के साथ TSP पर समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके तहत विदेशों में बंद भारतीय कैदियों को उनकी शेष सज़ा काटने के लिये भारत में स्थानांतरित किया जा सकता है और इसके विपरीत भी। 
      • इनमें ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, बोस्निया और हर्जेगोविना, ब्राज़ील, बुल्गारिया, कंबोडिया, मिस्र, एस्टोनिया, फ्राँस, हाॅन्गकाॅन्ग, ईरान, इज़रायल, इटली, कज़ाखस्तान, कोरिया, कुवैत, मालदीव, मॉरीशस, मंगोलिया, कतर, रूस, सऊदी अरब, सोमालिया, स्पेन, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम शामिल हैं। 
    • भारत ने सज़ायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर दो बहुपक्षीय सम्मेलनों पर भी हस्ताक्षर किये हैं, विदेश में आपराधिक सज़ा काटने पर अंतर-अमेरिकी कन्वेंशन और सज़ा पाए व्यक्तियों के स्थानांतरण पर यूरोप काउंसिल कन्वेंशन, जिसके तहत सदस्य राज्यों तथा अन्य देशों के सज़ायाफ्ता व्यक्ति, जो इनमें शामिल हो गए हैं, कैदियों के स्थानांतरण की मांग कर सकते हैं।
    • वर्ष 2006 से जनवरी 2022 तक, 86 कैदियों को TSP के तहत स्थानांतरित किया गया, इनमें 75 कैद भारतीयों को भारत में स्थानांतरित किया गया और 11 विदेशी कैदियों को उनके संबंधित देशों में स्थानांतरित किया गया।

आगे की राह 

  • जेल में बंद कैदियों को नियमित और व्यापक कौंसल-संबंधी सहायता प्रदान करने के लिये विदेशों में भारतीय मिशनों के संसाधनों तथा क्षमताओं को मज़बूत किया जाना चाहिये।
  • संभवतः आउटरीच कार्यक्रमों या सूचना अभियानों के माध्यम से, उन देशों में स्थानीय कानूनों और रीति-रिवाज़ों के बारे में भारतीय प्रवासियों के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।
  • कैदियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया को सरल बनाने और विदेशी जेलों में भारतीय लोगों के लिये उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिये अन्य देशों के साथ राजनीतिक प्रयासों तथा समझौतों को बढ़ाना आवश्यक है।
  • विदेश में कैद भारतीय नागरिकों से संबंधित नीतियों की लगातार समीक्षा और अद्यतन करना, सहज प्रत्यावर्तन या सज़ा हस्तांतरण(smoother repatriation or sentence transfers) की सुविधा के लिये संभावित रूप से मौजूदा समझौतों में संशोधन करना।
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