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इसरो वर्ष 2022 तक अंतरिक्ष में भारतीयों को भेजेगा

  • 16 Aug 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि वर्ष 2022 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। इस घोषणा के बाद पिछले 15 सालों से एक परियोजना पर काम कर रहे इसरो को आखिरकार एक निश्चित समय-सीमा मिल गई है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2004 से ही इस परियोजना पर तैयारियाँ चल रही हैं, जब मानव अंतरिक्ष मिशन को इसरो की प्लानिंग कमेटी द्वारा पहली बार समर्थन दिया गया था।
  • हालाँकि, शुरुआत में इस मिशन को वर्ष 2015 में लॉन्च किये जाने का लक्ष्य रखा गया था किंतु वास्तव में मिशन को लॉन्च करने के बारे में स्पष्टता की कमी थी।
  • एक मानव मिशन के लिये इसरो को प्रमुख रूप से विशिष्ट क्षमताओं को विकसित करना होगा जिनमें अंतरिक्ष यान को उड़ान के बाद पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता और एक ऐसे अंतरिक्ष यान का निर्माण जिसमें अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसी स्थितियों में रह सकें आदि शामिल है।
  • साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक लॉन्च व्हीकल का विकास करना है जो अंतरिक्ष में भारी पेलोड ले जाने में सक्षम हो। 
  • हाल ही में 6 जून को सरकार ने 4,338.2 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर जीएसएलवी मार्क-3 की अगली 10 उड़ानों के लिये वित्तपोषण को मंज़ूरी दी है, इससे भारी पेलोड भेजने के लिये क्रायोजेनिक तकनीक को पूरा करने में इसरो को मदद मिलेगी।
  • इस पहल का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024 तक जीएसएलवी मार्क-3 मिशन को प्रोत्साहित करना था।
  • हालाँकि इसरो ने मानव क्रू मॉड्यूल, पर्यावरण नियंत्रण और जीवन सहायता प्रणाली जैसी तकनीक विकसित कर ली है, किंतु वर्ष 2022 तक वास्तविक उड़ान से पूर्व दो मानव रहित मिशन और अंतरिक्ष यान को जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल  मार्क -3 का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन कहा कि भारत वर्ष 2022 तक 'गगनयान' नामक मिशन द्वारा मानव को अंतरिक्ष में भेजने का प्रयास करेगा।
  • इसरो के पूर्व चेयरमैन के. राधाकृष्णन जिनके नेतृत्व में मंगलयान मिशन वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था, ने ‘गगनयान’ मिशन को इसरो के लिये ‘टर्निंग पॉइंट’ कहकर संबोधित किया है।
  • इसरो अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये जाना जाता है, जो उन परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है जो कि लोगों के दैनिक जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • यदि इसरो इस मिशन में सफल होता है तो भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा राष्ट्र होगा।

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धियाँ

  • पूर्व आईएएफ पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले पहले भारतीय थे।
  • इंटरकॉस्मोस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में शर्मा 2 अप्रैल, 1984 को लॉन्च किये गए सोवियत संघ के सोयुज टी -11 अभियान का हिस्सा थे।
  • इसके अलावा भारत में जन्मी कल्पना चावला और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में जा चुकी हैं ।
  • दिसंबर 2014 में भारत ने ‘सार्क’ उपग्रह को अपने पड़ोसी देशों के लिये एक उपहार के रूप में लॉन्च करने की घोषणा की थी, किंतु बाद में इस उपग्रह का पुनः नामकरण कर इसका नाम दक्षिण एशियाई उपग्रह रखा गया, जिसे मई 2017 में लॉन्च किया गया।
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