इसरो वैकल्पिक उपग्रह छोड़ेगा | 05 Aug 2017
संदर्भ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नई घड़ियों से युक्त एक वैकल्पिक उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ेगा, क्योंकि अंतरिक्ष में उपस्थित आईआरएनएसएस-1ए उपग्रह पर लगी तीनों रूबिडीयम परमाणु घड़ियाँ वर्ष 2016 के मध्य में ही विफल हो चुकी हैं।
प्रमुख बिंदु
- इसरो पंगु हो चुकी आईआरएनएसएस -1ए उपग्रह को प्रतिस्थापित करने के लिये जल्द ही एक दूसरा उपग्रह भेजेगा, जिसमें परमाणु घड़ियाँ लगी होंगी।
- आईआरएनएसएस-1ए में लगी घड़ियों के खराब हो जाने के कारण उसके द्वारा जो आँकड़े भेजे जा रहे हैं वे सटीक नहीं हैं।
- आगामी आईआरएनएसएस-1एच उपग्रह को अगस्त के अंत तक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
- गौरतलब है कि आईआरएनएसएस के बेड़े में सात उपग्रह हैं, जिनमें 21 परमाणु घड़ियाँ लगी हुई हैं।
- इसरो ने सातवीं और आखिरी क्षेत्रीय नेविगेशन अंतरिक्ष यान को 2016 में कक्षा में भेजा था। इस बेड़े का पहला उपग्रह जुलाई 2013 में कक्षा में रखा गया था।
आईआरएनएसएस -1ए क्या है ?
- यह भारतीय क्षेत्रीय उपग्रह प्रणाली का पहला उपग्रह है। इस प्रणाली में सात उपग्रह हैं। यह भारत और भारत के बाहर लगभग 1500 किलोमीटर तक के दायरे में किसी की अवस्थिति की जानकारी देने के लिये बनाया गया है।
NAViC क्या है ?
- ‘नाविक’ 1,420 करोड़ रुपए की लागत से सात उपग्रहों से मिलकर बना भारत की अपनी जीपीएस-जैसी प्रणाली है, जिसे व्यक्तियों या वस्तुओं के स्थान और समय के बारे में सटीक जानकारी देने के लिये बनाया गया है।
- यह अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम या रूस के ग्लोनास (GLONASS) जैसी है।
महत्त्व
- भूमि, समुद्र या वायु परिवहन के अलावा नागरिक और सैन्य विमानन, रक्षा आवश्यकताओं, एटीएम मशीनों और व्यक्तिगत उपयोगकर्त्ताओं के लिये किसी की भी अवस्थिति का विवरण महत्त्वपूर्ण होता है।
स्विस कंपनी
- इसरो के नाविक और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के पहले 18 गैलीलियो उपग्रहों की घड़ियाँ स्विस कंपनी से लाई गई थीं और दोनों में एक ही समय के आसपास इसी तरह की समस्या पैदा हुई थी।