भारतीय जल की निगरानी हेतु इसरो का इमेज़री सैटलाइट | 25 Nov 2017

चर्चा में क्यों? 

इसरो (Indian Space Research Organisation  - ISRO) द्वारा एक ऐसे इमेजरी सैटेलाइट को विकसित किया गया है जिसकी सहायता से भारतीय जल में तैनात संदिग्ध जहाज़ों और नौकाओं की निगरानी की जा सकेगी। इस प्रकार, यह देश की तटीय सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।

प्रमुख बिंदु

  • अगले वर्ष तक इसरो द्वारा तटीय सुरक्षा हेतु 1,000 ट्रांसपोंडर (transponders) उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • यही कारण है कि इस संदर्भ में मछुआरों की बायोमीट्रिक पहचान की जा रही है। बायोमीट्रिक पहचान-पत्रों हेतु अभी तक 19.74 लाख मछुआरों को नामांकित किया गया है और 18.60 लाख को पहचान-पत्र जारी किये जा चुके हैं।

स्वत: पहचान प्रणाली को स्थापित किया जाएगा

  • नौकाओं की निगरानी हेतु सभी नावों में 20 मीटर की ऊँचाई पर स्वत: पहचान प्रणाली को स्थापित किया जाएगा। इसके साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र (High sea) और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा की निगरानी के लिये नौकाओं के रंग संबंधी संकेतन (Colour coding) का कार्य तटीय राज्यों एवं संघ-शासित प्रदेशों द्वारा किया जाएगा।

भारत की तटीय सीमा

  • भारत की कुल तटीय सीमा 7,516 किलोमीटर की है। यह गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल राज्यों के साथ-साथ संघ-शासित प्रदेशों दमन और दीव, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक फैली हुई है।

विकसित मानक संचालन प्रक्रियाएँ (Standard operating procedures - SOPs)

  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary Line) के उल्लंघन संबंधी मामलों से निपटने के लिये मानक संचालन प्रक्रियाओं को विकसित किया गया। इनके अंतर्गत निम्नलिखित पक्षों को शामिल किया गया -

► कम महत्त्व वाले बंदरगाहों और लंगर स्थल की सुविधाओं (single point mooring facilities) की सुरक्षा का उन्नयन।
► तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय।
► तटीय इलाके का विवरण तैयार करना।
► तटीय और स्थानीय पुलिस स्टेशनों की सुरक्षा।
► बम विस्फोट से बचाव संबंधी सुविधाओं की व्यवस्था।
► बंदरगाहों के रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, फिशिंग लैंडिंग पॉइंट्स के संबंध में जानकारियाँ एकत्रित करके तटीय मानचित्रण तैयार करना।

निष्कर्ष

समुद्र तट की सुरक्षा देश की सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण घटक है क्योंकि भारतीय तटों पर परमाणु ऊर्जा स्टेशन, मिसाइल प्रक्षेपण केंद्र, रक्षा और तेल प्रतिष्ठान अवस्थित हैं। ऐसी स्थिति में देश को किसी भी हमले अथवा आकस्मिक दुर्घटना (विशेषकर देश की बाह्य या आंतरिक सुरक्षा को हानि पहुँचाने वाले पक्षों के संदर्भ में) से सुरक्षित रखने हेतु यह आवश्यक है कि तटीय सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत बनाया जाए। वस्तुतः भारत की लंबी तटीय सीमा जहाँ एक ओर हिन्द महासागरीय क्षेत्र में इसकी मज़बूत स्थिति को इंगित करती है, तो दूसरी ओर अनेक सुरक्षा चिंताओं को भी जन्म देती है। इसके अलावा, समुद्री मार्ग के ज़रिये राष्ट्र विरोधी तत्त्वों की घुसपैठ (जैसा कि 2008 के मुम्बई आतंकी हमले में हुआ था), आपराधिक गतिविधियों के लिये समुद्री मार्ग और सुदूर अवस्थित द्वीपों का उपयोग और तस्करी इत्यादि ऐसे मुद्दे हैं जिनके विषय में गंभीर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।