इसरो का अचम्भित करने वाला कारनामा, भेजे एक साथ 104 उपग्रह | 15 Feb 2017
सन्दर्भ
अपनी 39वीं उड़ान में इतिहास रचते हुए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने आज एक ही रॉकेट के माध्यम से रिकॉर्ड 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण करके इतिहास रच दिया है| विदित हो कि अब तक एक साथ इतने उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किसी भी देश ने नहीं किया है| हम तो अब तक इसरो की नासा से बराबरी की बात कर रहे थे लेकिन इस प्रक्षेपण के बाद तो इसरो नासा से भी आगे निकलता दिखाई दे रहा है|
प्रक्षेपण से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु
- ध्रुवीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी37 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सबसे पहले काटरेसैट-2 श्रेणी के एक उपग्रह को कक्षा में प्रवेश कराया और इसके बाद शेष 103 नैनो उपग्रहों को भी 30 मिनट के अन्दर प्रवेश करा दिया|
- ज्ञात हो कि इस अभियान में भेजे गए 104 उपग्रहों में से तीन भारत के हैं, जबकि बाक़ी के 101 सैटेलाइट्स इज़राइल(1 उपग्रह), कज़ाख़्स्तान(1 उपग्रह), नीदरलैंड(1 उपग्रह), स्विटज़रलैंड(1 उपग्रह), यूएई(1 उपग्रह) और अमरीका(96 उपग्रह) के हैं|
- विदित हो कि इससे पहले एक अंतरिक्ष अभियान में इतने उपग्रह एक साथ नहीं छोड़े गए हैं| इससे पहले अब तक किसी एक अभियान में सबसे ज़्यादा उपग्रह भेजने का विश्व रिकॉर्ड रूस के नाम था, जिसने 2014 में एक अभियान में 37 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा था|
- इस अभियान की लागत के बारे में अभी तक आधिकारिक तौर पर तो कुछ भी नहीं कहा गया है लेकिन ये स्पष्ट है कि मिशन की आधी लागत का वहन विदेशी उपग्रहों को भेजने से हुई आमदनी के माध्यम से किया गया है| एक अनुमान के मुताबिक कि इसरो को विदेशी उपग्रहों से 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा की आमदनी हुई है|
अंतरिक्ष में भारत का बढ़ता प्रभुत्व
- ध्यातव्य है कि जिन देशों के उपग्रहों को इसरो ने प्रक्षेपित किया है, उनमें अमेरिका और इज़रायल के भी उपग्रह शामिल हैं, यह इस बात का द्योतक है कि उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में भारत तेजी से अपनी जगह बना रहा है|
- दरअसल पिछले कुछ सालों में उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में भारत ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज़ कराई है| बीते कुछ सालों में भारत ने दुनिया के 21 देशों के 79 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है, जिसमें गूगल और एयरबस जैसी बड़ी कंपनियों के सैटेलाइट भी शामिल रहे हैं|
निष्कर्ष
- एक ही साथ 104 उपग्रहों को भेजने के बाद उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में भारत की स्थिति और भी मज़बूत होगी| इसकी बड़ी वज़ह यह है कि अमेरिका की तुलना में भारत महज एक तिहाई खर्च में किसी का उपग्रह को अंतरिक्ष में भेज सकता है| हालाँकि यहाँ भारत का मुकाबला अमेरिका और रूस से नहीं बल्कि चीन से है, जो और भी कम लागत में उपग्रह प्रक्षेपण की क्षमता रखता है|