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इज़राइल का भूमि हड़पने का कानून तथा इसकी महत्ता

  • 08 Feb 2017
  • 8 min read

क्या नया कानून वास्तव में कोई परिवर्तन लाएगा?

  • इस कानून के अंतर्गत इज़राइल ने वेस्ट बैंक (West Bank) की निजी फिलिस्तीनी भूमि (Palestinian land) (जहाँ इज़राइली बस्तियाँ एवं चौकियाँ (Israeli settlements or outposts) अवस्थित हैं) को हड़पने के लिये एक नई नीति लागू की है|
  • इस कानून के अंतर्गत यहूदी बस्तियों (Jewish settlers) को उनके घरों में रहने की तो अनुमति प्रदान की गई है, यह और बात है कि इन लोगों को जहाँ वे रह रहे हैं उस स्थान का मालिकाना हक प्रदान नहीं किया जाएगा|
  • इस कानून के तहत फिलिस्तीनी लोगों को तब तक इस भूमि पर दावा करने तथा इसे कब्ज़े में लेने से रोका गया है जब तक कि उक्त प्रदेशों के विषय में कोई राजनयिक संकल्प नहीं किया जाता है|


वेस्ट बैंक पहले से ही कब्ज़े में है 

  • इस कानून के विरोधियों द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि यह कानून “एक भयानक एवं खतरनाक कानून” है|
  • इज़राइली के पूर्व मंत्री देन मेरिदोर (Den Meridor) द्वारा इस बात ज़ोर दिया गया कि इज़राइल संसद ने न तो इससे पहले कभी अपनी सीमाओं का उल्लंघन किया और न ही ऐसे किसी कानून को स्वीकृति ही प्रदान की है जिसके तहत वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी संपत्ति के मालिकाना हक को विनियमित किया जा सके|  
  • वेस्ट बैंक के यहूदी एवं सामरिया अरबी लोग (Arabs of Judea and Samaria) क्नेस्सेट (Knesset) के लिये वोट नहीं करते हैं, इसलिये इज़राइल को इन्हें विनियमित करने का कोई अधिकार नहीं है|
  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इज़राइली कानून और लोकतंत्र के अपने कुछ बुनियादी सिद्धांत हैं| ऐसी स्थिति में एक अहम प्रश्न यह उठता है कि यदि इज़राइल को वेस्ट बैंक में पूर्ण सम्प्रभुता प्राप्त है तो यह वेस्ट बैंक के क्षेत्र में फिलिस्तीनी लोगों को नागरिकता प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें वोट देने का अधिकार भी प्रदान कर सकता है|
  • परन्तु जब तक इज़राइल की संसद ऐसा नहीं करती है तब तक इज़राइली प्रशासन को ही वेस्ट बैंक में भूमि संबंधी मामलों को न केवल विनियमित करना होगा बल्कि ऐसा करना आवश्यक भी है, क्योंकि यह क्षेत्र सुरक्षा कारणों से (इज़राइल तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून दोनों के लिये) एक बहुत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है|

क्या इज़राइल के  महान्यायवादी  ने इस कानून को सहमति प्रदान की है?

  • गौरतलब है कि इज़राइल के महान्यायवादी (Attorney General) अविचाई मंदेलब्लित (Avichai Mandelblit) द्वारा हाल ही में यह घोषणा की गई है कि यदि इस कानून को अदालत के समक्ष चुनौती दी जाती है तो वे इस कानून के बचाव में अदालत में कानून का पक्ष नहीं रखेंगे क्योंकि यह कानून चौथे जिनेवा कन्वेंशन (Fourth Geneva Convention) का उल्लंघन करता है|

कानून के तहत कितनी बस्तियाँ प्रभावित होंगी?

  • एक लम्बे समय से इज़राइल में शांति की मांग कर रहे संगठन पीस नाउ (Peace Now) के अनुसार, इस कानून के अंतर्गत 50 से अधिक बस्तियों एवं चौकियों का पूर्व-व्यापीवैधीकरण (Retroactive legalization) करने की अनुमति प्रदान की जाएगी|
  • इनमें से उन 16 बस्तियों एवं चौकियों को ध्वस्त करने के आदेश दे दिये गए हैं, जिन पर फिलिस्तीनी लोगों का मालिकाना हक है|
  • इस नए कानून के अंतर्गत, इस बात की जाँच करने के लिये कि क्या राज्य द्वारा उक्त भूमि को ज़ब्त किया जा सकता है अथवा नहीं, के सन्दर्भ में कार्यवाही करने संबंधी आदेशों के अनुपालन को एक वर्ष के लिये लंबित किया जा सकता है|

क्या उक्त बस्तियों एवं चौकियों में रह रहे फिलिस्तीनी लोगों को मुआवज़ा दिया जाएगा अथवा नहीं ? यदि दिया जाएगा तो कितना?

  • इस नए कानून के अंतर्गत, यदि मुमकिन हुआ तो फिलिस्तीनी ज़मीनधारकों को  एक विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा, वह यह कि उन्हें उक्त भूमि के विकल्प के तौर पर ज़मीन का एक अन्य टुकड़ा उपलब्ध कराया जाएगा|
  • और यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो फिलिस्तीनी ज़मीनधारकों को 20 वर्षों के अक्षय समय (Renewable Periods) के लिये उनकी ज़मीन की कीमत का 125 प्रतिशत मूल्य चुकाया जाएगा|

सरकार द्वारा इस विषय में एक लम्बे समय से संघर्ष जारी है| क्या ऐसे में यह पूर्व के निर्णयों जैसा प्रतीत नहीं हो रहा है?

  • गौरतलब है कि उक्त कानून ने पिछले वर्ष नवंबर तथा दिसम्बर में ही अपनी प्रारंभिक विधायी बाधाओं को पार कर लिया है| परन्तु इसके बावजूद इसे विभिन्न कारणों से स्थगित किया जा रहा था| 
  • संभवतः इसका प्राथमिक कारण ओबामा प्रशासन के समय लिये फैसले के संबंध में ट्रम्प प्रशासन की प्रतिक्रिया से उपजी चिंताएँ हैं, जिसके विषय में विचार करते हुए इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू द्वारा जल्दबाज़ी में कोई भी निर्णय न करना है|
  • हालाँकि इसके बावजूद इज़राइल के शिक्षा मंत्री नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) ने इस कानून को लागू करने पर बल दिया है|

ऐसी स्थिति में इस कानून को पुनर्जीवित किया गया? साथ ही, इस पर 6 फरवरी की मध्य रात्रि में वोट को लंबित करने का प्रयास क्यों नहीं किया गया? 

  • ध्यातव्य है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इज़राइली प्रधानमंत्री को स्पष्ट किया था कि उनकी 15 फरवरी को निर्धारित बैठक से पूर्व इज़राइल इस विषय मे कोई निर्णय न ले, परन्तु उसके बाद भी यह निर्णय किया जाना अपने आप में संदेह का विषय है|
  • हालाँकि इज़राइली प्रधानमंत्री द्वारा 5 फरवरी को हुई एक बैठक में इस निर्णय को लंबित रखने संबंधी निर्णय लिया गया था, परन्तु बेनेट तथा अन्य नेताओं के भारी दबाव में इस निर्णय को और अधिक लंबित न रखने निर्णय लिया गया है|
  • ऐसे में अब इस कानून को और अधिक लंबित न रख पाने की स्थिति में नेतान्याहू को अमेरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प को इस विषय में संक्षिप्त विवरण देना होगा| ताकि उन्हें अपनी बात एवं स्थिति स्पष्ट कर सकें| हालाँकि इस समय नेतान्याहू इस बात को नकार नहीं सकते हैं कि उन्होंने इस कानून को पास करने में वोट को लंबित करने के संबंध में कोई गंभीर प्रयास किया था|
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