कृषि
सुस्त पड़ती फसल बीमा योजना (Is crop insurance scheme losing steam)
- 15 Nov 2018
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संदर्भ
हाल ही में एक आरटीआई आवेदन के जवाब से यह खुलासा हुआ है कि 2017-2018 के दौरान 84 लाख से अधिक किसानों ने फसल बीमा योजना से अपने हाथ पीछे खींच लिये। गौरतलब है कि यह संख्या 2016-17 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई महत्त्वकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पहले वर्ष में बीमाकृत किसानों की संख्या का 15 प्रतिशत है।
बीमा कंपनियों को मुनाफा
- रिलायंस, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी और इफ्को तथा अन्य दूसरी बीमा कंपनियों ने योजना की शुरुआत के बाद से लगभग ₹15,795 करोड़ का मुनाफा कमाया है।
- हालाँकि यह मुनाफा अभी और बढ़ सकता है क्योंकि 2017-18 की रबी फसलों की बीमा के दावे अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं। वर्ष 2016-17 के लिये यही मुनाफा लगभग ₹6,459 करोड़ था।
- राजस्थान से 31,25,025; महाराष्ट्र से 19,46,992; उत्तर प्रदेश से 14,69,052 और मध्य प्रदेश से 2,90,312 किसानों ने इस योजना से अपने हाथ वापस खींच लिये।
क्यों असफल हुई योजना?
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में आरटीआई दायर करने वाले कार्यकर्त्ता ने आँकड़ों का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया कि यह योजना किसानों के नाम पर निजी बीमा कंपनियों को मुनाफा पहुँचाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। भारत सरकार बीमा कंपनियों का सहारा लिये बिना ही किसानों की मदद कर सकती थी।
- हालाँकि बीमा कंपनियों ने इस योजना के शुरुआती वर्ष में कई हज़ार करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया, लेकिन उसी वर्ष उन्हें तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश में घाटे का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु में ₹1,22,737 लाख के सकल प्रीमियम के मुकाबले बीमा कंपनियों द्वारा चुकाया गया कुल दावा लगभग ₹3,35,562 लाख था।
- इसी तरह, कंपनियों को आंध्र प्रदेश में लगभग ₹3,012 लाख के घाटे का सामना करना पड़ा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या है?
योजना के मुख्य उद्देश्य
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