लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ईरान सांस्कृतिक स्थल और जुस कोजेंस

  • 08 Jan 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये :

जुस कोजेंस, यूनेस्को द्वारा घोषित महत्त्वपूर्ण ईरान के विश्व विरासत सांस्कृतिक स्थल

मेन्स के लिये :

अमेरिका- ईरान विवाद से उत्पन्न अन्य प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका- ईरान के मध्य उत्पन्न तनाव के चलते अमेरिका द्वारा ईरान जिन 52 स्थानों को निशाना बनाने की धमकी दी गई है उनमें सांस्कृतिक स्थलों के भी शामिल होने की आशंका है। यदि ऐसा हुआ तो यह जुस कोजेंस (JUS COGENS) का उल्लंघन होगा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • अमेरिका द्वारा ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख और इरानी सेना के शीर्ष अधिकारी मेजर जनरल कासिम सोलेमानी की हत्या के बाद यह बयान जारी किया गया कि यदि ईरान किसी भी अमेरिकी नागरिक या अमेरिकी संपत्ति पर हमला करता है, तो अमेरिका भी ईरान के 52 सांस्कृतिक स्थलों (हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन 52 स्थानों में कौन-से स्थान विशेष को शामिल करने की बात कही गई है) को निशाना बना सकता है।
  • ईरान विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जो 10,000 ईसा पूर्व की है। इसकी समृद्ध और सांस्कृतिक विरासत अरब, फारसी, तुर्की और दक्षिण एशियाई संस्कृतियों का संगम है।
  • वर्तमान में ईरान के 24 स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें से दो प्राकृतिक स्थल और बाकी सांस्कृतिक स्थल हैं।
  • इन मुख्य धरोहर स्थलों में शामिल हैं -
    • इस्फ़हान की मीदन इमाम और मस्ज़िद-ए-ज़मीं
    • तेहरान का ऐतिहासिक गोलेस्तान पैलेस, छठी शताब्दी ईसा पूर्व में साइरस द्वितीय और डेरियस प्रथम द्वारा निर्मित (गोलेस्तान पैलेस तेहरान के दिल और ऐतिहासिक कोर में स्थित है)।
    • पसारागडे और पर्सेपोलिस (आचारेनिड साम्राज्य की राजधानियाँ)
    • तख्त-ए-सोलेमन का पुरातात्विक स्थल जिसमें एक प्राचीन जोरास्ट्रियन अभयारण्य के अवशेष हैं।

यदि अमेरिका कोई भी ऐसा कदम उठता है जिससे ईरान के किसी सांस्कृतिक धरोहर स्थल को क्षति पहुँचे तो अंतर्राष्ट्रीय कानूनों एव जुस कोजेंस के प्रावधानों के तहत अमेरिका का यह कदम युद्ध अपराध की श्रेणी में शामिल होगा।

जुस कोजेंस (JUS COGENS):

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सांस्कृतिक विरासतों को पहुँची क्षति के बाद वर्ष 1954 में द हेग (वियना) में विश्व के राष्ट्रों ने सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के लिये पहले अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय का आयोजन किया।
  • सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के लिये आयोजित इस पहले अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय में सांस्कृतिक संपत्ति को प्रत्येक व्यक्ति की सांस्कृतिक विरासत के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें वास्तुकला, कला या इतिहास, चाहे वह धार्मिक हो या धर्मनिरपेक्ष या सांस्कृतिक महत्त्व की चल अथवा अचल संपत्ति को अथवा कोई पुरातात्विक स्थल, को शामिल किया गया।
  • वर्तमान में इस अभिसमय में 133 हस्ताक्षरकर्त्ता देश शामिल हैं, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान दोनों ही देशों द्वारा 14 मई,1954 को इस अभिसमय पर हस्ताक्षर किये गए और इसे 7 अगस्त, 1956 को लागू किया गया।
  • वर्ष 1998 की रोम संविधि, अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय की संस्थापक संधि है जो युद्ध अपराध के रूप में वर्णित है। इस संधि के अनुसार, यदि कोई देश किसी ऐतिहासिक स्मारक या धर्म, शिक्षा, कला अथवा विज्ञान के लिये समर्पित इमारत पर जान-बूझकर हमला करता है तो उस देश को युद्ध अपराधी देश के रूप में वर्णित किया जाएगा।

रोम संविधि

  • रोम संविधि का अनुच्छेद 8 युद्ध अपराधों से संबंधित है।
    • अनुच्छेद 8 (2) (b) (ii) के तहत युद्ध अपराधों में नागरिक संपत्ति के खिलाफ जानबूझकर हमला करना, अर्थात् ऐसी संपत्ति जो सैन्य उद्देश्य से संबंधित नहीं हैं, के बारे में प्रावधान है।
  • वहीं 8 (2) (b) (ix) में जानबूझकर सीधे हमलों का उल्लेख है। इसके अनुसार धर्म, शिक्षा, कला, विज्ञान या धर्मार्थ उद्देश्यों, ऐतिहासिक स्मारकों, अस्पतालों और उन इमारतों के खिलाफ, जहाँ बीमार और घायलों को एकत्र किया जाता है, पर किये गये हमले को अपराध माना जाएगा, बशर्ते वे सैन्य उद्देश्य से संचालित न हो।
  • वर्तमान में 122 देश अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के रोम संविधि के पक्षकार राज्य हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका एक हस्ताक्षरकर्त्ता है परंतु अभी उसने इस कानून की पुष्टि नहीं की है।

JUS COGENS के बारे में:

  • JUS COGENS या ius कोजेन, जिसका लैटिन अर्थ है- सम्मोहक कानून (Compelling Law)।
    • ये अंतर्राष्ट्रीय कानून में ऐसे नियमों को संदर्भित करते हैं जो बाध्यकारी या आधिकारिक हैं, और कोई भी देश इनके अनुपालन से इनकार नहीं कर सकता हैं। इन मानदंडों को अलग-अलग संधि द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनमें मौलिक मूल्य समाहित हैं।
    • वर्तमान में विश्व के अधिकांश देश एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन इन नियमों को स्वीकार करते हैं।
  • वर्ष 1969 और 1986 की संधियों के कानून पर निर्मित JUS COGENS के नियमों को वियना अभिसमय द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • वर्ष 1969 कन्वेंशन का अनुच्छेद 53 (सामान्य अंतर्राष्ट्रीय कानून) JUS COGENS को एक आदर्श मानदंड के रूप में प्रस्तुत करता है परंतु यह संधि (JUS COGENS) उस समय निरस्त हो जाती है जब इसके क्रियान्वयन के समय किसी भी अंतर्राष्ट्रीय कानून (विएना कन्वेंशन ऑफ द ट्रीटी ऑफ ट्रीटीज़) के क्षेत्राधिकार का उल्लंघन होता है।
    • वर्तमान अभिसमय के प्रयोजनों के लिये सामान्य अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक आदर्श मानदंड है जिसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा समग्र रूप से स्वीकार किया जाता है और मान्यता दी जाती है, जिसमें से किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं है, और जिसे समान चरित्र वाले सामान्य अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
    • वर्ष 1986 के अभिसमय के अनुच्छेद 64 के अनुसार, "सामान्य अंतर्राष्ट्रीय कानून (जूस कोजन्स) के एक नए प्रतिमान मानक के तहत यदि सामान्य अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक नया आदर्श मानदंड सामने आता है, तो कोई भी मौजूदा संधि जो उस मानदंड के विरोध में है, वह निरस्त हो जाती है। संधियों के अलावा, एकपक्षीय घोषणाओं (Unilateral Declarations) को भी इन मानदंडों का पालन करना पड़ता है।
    • अत: वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में यदि अमेरिका द्वारा ईरान के किसी भी सांस्कृतिक धरोहर स्थल पर कोई कार्यवाही की जाती है तो उसे JUS COGENS का उल्लंघन माना जाएगा।

यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि अभी तक JUS COGENS के नियमों की कोई विस्तृत सूची मौजूद नहीं है। हालाँकि गुलामी, नरसंहार, नस्लीय भेदभाव, यातना और आत्मनिर्णय के अधिकार को निषिद्ध मानदंड (Recognised Norms) माना जाता है। रंगभेद के खिलाफ निषेध को भी JUS COGENS नियम के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसके तहत रंगभेद के आधार पर किसी भी तरह के अपमान की अनुमति नहीं है, इसका कारण यह है कि रंगभेद संयुक्त राष्ट्र के बुनियादी सिद्धांतों के विरुद्ध है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2