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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

IPEF मंत्रिस्तरीय बैठक

  • 31 May 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हिंद-प्रशांत क्षेत्र, इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF)

मेन्स के लिये:

भारत को शामिल करने वाले और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते, द्विपक्षीय समूह और समझौते, हिंद-प्रशांत और इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) मंत्रिस्तरीय की दूसरी बैठक हुई, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भागीदार देशों के बीच आर्थिक सहयोग में महत्त्वपूर्ण योगदान को दर्शाया गया।

  • इस आभासी सभा में उच्च-स्तरीय अधिकारियों को ढाँचे के चार स्तंभों में से प्रत्येक स्तंभ से संबंधित वार्ता के विषय में चर्चा करने हेतु आमंत्रित किया गया जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आयोजित किया गया था।

बैठक की मुख्य विशेषताएँ: 

  • इस बैठक में स्तंभ II के तहत अपनी तरह के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय IPEF आपूर्ति शृंखला समझौते की वार्ता के समापन की घोषणा की गई जिसका उद्देश्य लचीलापन, दक्षता, उत्पादकता, स्थिरता, पारदर्शिता, विविधीकरण, सुरक्षा, निष्पक्षता और आपूर्ति शृंखलाओं के समावेश को बढ़ाना है। 
  • इस बैठक में अन्य IPEF स्तंभों अर्थात् निष्पक्ष और लचीला व्यापार (स्तंभ I), अवसंरचना, स्वच्छ ऊर्जा एवं डीकार्बोनाइज़ेशन (स्तंभ III) तथा कर एवं भ्रष्टाचार-विरोधी तंत्र (स्तंभ IV) के तहत प्रगति की जानकारी प्राप्त हुई।
  • इस बैठक में कुछ IPEF भागीदारों द्वारा स्तंभ III के अंतर्गत क्षेत्र में नवीकरणीय और निम्न-कार्बन हाइड्रोजन एवं इसके डेरिवेटिव की व्यापक तैनाती को प्रोत्साहित करने के लिये एक क्षेत्रीय हाइड्रोजन पहल की शुरुआत की गई।

IPEF के विषय में:  

  •  परिचय: 
    • यह एक अमेरिकी नेतृत्व वाली पहल है जिसका उद्देश्य भागीदार देशों के मध्य आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करना है ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लचीलापन, स्थिरता, समावेश, आर्थिक विकास, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना है।
    • IPEF को संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत-प्रशांत क्षेत्र के अन्य भागीदार देशों द्वारा संयुक्त रूप से 23 मई, 2022 को टोक्यो में शुरू किया गया था।
  • सदस्य: 
    • ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम।
  • स्तंभ:
    • व्यापार (स्तंभ I):
      •  IPEF, भागीदार देशों के बीच व्यापार जुड़ाव मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • इसका उद्देश्य क्षेत्र में आर्थिक विकास, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
      • भारत, IPEF के स्तंभ II से IV में शामिल हो गया, जबकि स्तंभ- I में भारत को  पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
    • आपूर्ति-शृंखला में लचीलापन (स्तंभ II):
      • यह आपूर्ति शृंखलाओं को अधिक लचीला, मज़बूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाने का प्रयास करता है।
      • संकट प्रतिक्रिया उपायों और व्यवधानों को कम करने के लिये सहयोग पर बल देता है।
      • महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे- रसद, संयोजकता और निवेश में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • कौशल उन्नयन और पुनर्कौशल पहलों के माध्यम से कार्यकर्त्ता भूमिकाओं को बढ़ाने का लक्ष्य है।
    • स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III): 
      • स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु के अनुकूल प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को आगे बढ़ाना।
      • स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान, विकास, व्यावसायीकरण और परिनियोजन पर ध्यान केंद्रित करना।
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जलवायु संबंधी परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित करना।
    • निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (स्तंभ IV):
      • यह भ्रष्टाचार विरोधी और प्रभावी कर उपायों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • भ्रष्टाचार से निपटने के लिये विधायी और प्रशासनिक ढाँचे में सुधार हेतु भारत के मज़बूत कदमों पर प्रकाश डाला गया।
      • UNCAC (भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन) और FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) मानकों को लागू करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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