लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

इन्वेस्टमेंट ट्रेंड्स मॉनीटर रिपोर्ट: UNCTAD

  • 28 Jan 2021
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा जारी ‘इन्वेस्टमेंट ट्रेंड्स मॉनीटर रिपोर्ट’ (Investment Trends Monitor Report) के अनुसार, वर्ष 2020 में वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश वर्ष 2019 के 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से 42% गिरकर लगभग 859 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।

  • इस प्रकार का निम्न स्तर वर्ष 1990 के दशक में देखा गया था और यह वर्ष 2008-2009 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद निवेश में गिरावट से 30% अधिक है।

प्रमुख बिंदु:

वैश्विक रुझान:

  • भारत एवं चीन: 
    • भारत ने FDI में 13% की वृद्धि दर्ज की है जो विश्व के प्रमुख देशों में सबसे अधिक है, वर्ष 2020 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अंतर्वाह में चीन ने 4% की वृद्धि की।
    • चीन 163 बिलियन डॉलर के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के साथ सबसे आगे रहा, जबकि भारत के लिये FDI अंतर्प्रवाह 57 बिलियन डॉलर था।
  • विकसित अर्थव्यवस्थाएँ: 
    • ब्रिटेन और इटली ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रवाह में 100% से अधिक की गिरावट दर्ज की, इसके बाद रूस (96%), जर्मनी (61%), ब्राज़ील (50%), अमेरिका (49%), ऑस्ट्रेलिया (46%) और फ्राँस (39%) का स्थान रहा।
  • विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ:
    • विकासशील अर्थव्यवस्थाओं ने वर्ष 2020 में 72% वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (अब तक का उच्चतम हिस्सा) आकर्षित किया ।
    • एशियाई देशों ने वर्ष 2020 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के रूप में 476 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त कर विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन किया।
  • भविष्य का अनुमान:
    • COVID-19 के कारण उत्पन्न अनिश्चितता वर्ष 2021 में भी वैश्विक FDI प्रवाह को बाधित करेगी।
  • भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि का कारण: डिजिटल क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रवेश।
  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाने के भारत के उपाय:
    • वर्ष 2020 में ‘इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हेतु उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना’ जैसी योजनाओं को विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये अधिसूचित किया गया है।
    • वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने कोयला खनन गतिविधियों में स्वचालित मार्ग के तहत 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देने के लिये विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति 2017 में संशोधन किया।
    • इसके अलावा सरकार ने डिजिटल क्षेत्रों में 26% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को अनुमति दी है।
      • डिजिटल क्षेत्र में भारत के पास अनुकूल जनसांख्यिकी, मोबाइल और इंटरनेट तक पर्याप्त पहुँच के रूप में विशेष रूप से उच्च क्षमताएँ हैं, भारत में बड़े पैमाने पर खपत और प्रौद्योगिकी विदेशी निवेशकों के लिये शानदार व्यवसाय के अवसर प्रदान करते हैं।
    • स्वचालित मार्ग के तहत विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पहले से ही 100% था, हालाँकि वर्ष 2019 में सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी अनुबंध के तहत विनिर्माण क्षेत्र में लगी भारतीय संस्थाओं में स्वचालित मार्ग के तहत 100% निवेश की अनुमति है, बशर्ते कि यह एक वैध अनुबंध के माध्यम से किया जाए।
      • अनुबंध विनिर्माण: किसी अन्य फर्म के लेबल या ब्रांड के तहत दूसरी फर्म द्वारा माल का उत्पादन।
    • विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (Foreign Investment Facilitation Portal- FIFP):
      • यह विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सुविधा हेतु निवेशकों के साथ भारत सरकार का ऑनलाइन एकल बिंदु इंटरफेस है। यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्द्धन और आतंरिक व्यापार विभाग द्वारा प्रशासित है।

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश:

  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश किसी देश की फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में किया गया निवेश है।
  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की प्रमुख विशेषता है कि यह किसी विदेशी व्यापार पर या तो प्रभावी नियंत्रण स्थापित करता है, या कम-से-कम उस व्यापार से संबंधित निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
    • यह इसे पोर्टफोलियो निवेश से अलग करता है, जिसमें एक निवेशक केवल विदेश-आधारित कंपनियों के शेयर खरीदता है।
  • महत्त्व:
    • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह देशों को बाहरी पूंजी, प्रौद्योगिकी एवं बाज़ारों तक पहुँच स्थापित करने में योगदान देता है।

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के प्रकार:

  • क्षैतिज विदेशी प्रत्यक्ष निवेश:
    • एक क्षैतिज विदेशी प्रत्यक्ष निवेश किसी दूसरे देश में उसी प्रकार के व्यवसाय संचालन करने वाले निवेशक को संदर्भित करता है, जिस प्रकार का व्यवसाय वह अपने देश में करता है।
  • उर्ध्वाधर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश:
    • एक ऊर्ध्वाधर निवेश वह है जिसमें निवेशक के मुख्य व्यवसाय से अलग लेकिन संबंधित व्यावसायिक गतिविधियाँ किसी दूसरे देश में स्थापित या अधिग्रहीत की जाती हैं, जैसे जब कोई विनिर्माण कंपनी किसी विदेशी कंपनी में रुचि लेती है जो विनिर्माण कंपनी के लिये आवश्यक उपकरणों या उत्पादों को बनाने के लिये कच्चे माल की आपूर्ति करती है। 
  • सामूहिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश:
    • सामूहिक (Conglomerate) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, FDI का एक ऐसा प्रकार है, जहाँ कंपनी या व्यक्ति एक ऐसे व्यवसाय में विदेशी निवेश करता है, जो उसके अपने देश में मौजूदा व्यवसाय से संबंधित नहीं है।
    • चूँकि इस प्रकार के निवेश में निवेशक को एक ऐसे उद्योग में निवेश करना होता है, जिसमें निवेशक को पहले कोई अनुभव नहीं है, यह प्रायः एक विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम का रूप ले लेता है, जो पहले से ही उस उद्योग में संलग्न है।

घटक: विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के तीन घटक होते हैं- इक्विटी पूंजी, पुनर्निवेशित आय और अंतर-कंपनी ऋण।

  • इक्विटी पूंजी:
    • यह किसी विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक द्वारा अपने देश के अलावा किसी अन्य देश के उद्यमों के शेयरों की खरीद संबंधी प्रक्रिया है।
  • पुनर्निवेश आय:
    • इसमें संबद्ध निवेशकों द्वारा प्रत्यक्ष निवेशकों की हिस्सेदारी (प्रत्यक्ष इक्विटी भागीदारी के अनुपात में) को लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है अर्थात् यह आय प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक को नहीं दी जाती है।
    • सहयोगी कंपनियों द्वारा इस तरह के प्रतिधारित मुनाफे को पुनर्निवेश किया जाता है।
  • अंतर-कंपनी ऋण या अंतर-कंपनी ऋण लेन-देन: 
    • प्रत्यक्ष निवेशकों (या उद्यमों) और संबद्ध उद्यमों को अल्पकालिक या दीर्घकालिक ऋण प्रदान करना।

मार्ग: मार्ग जिसके माध्यम से भारत को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राप्त होता  है:

  • स्वचालित मार्ग: इसमें विदेशी संस्था को सरकार की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है।
  • सरकारी मार्ग: इसमें विदेशी संस्था को सरकार की मंज़ूरी लेनी होती है।

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD): 

  • स्थापना:  
    • UNCTAD एक स्थायी अंतर-सरकारी निकाय है। इसकी स्थापना वर्ष 1964 में की गई थी।
  • मुख्यालय: 
    • UNCTAD का मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में स्थित है।
  • उद्देश्य:  
    • यह विश्व अर्थव्यवस्था में विकासशील देशों के विकास अनुकूल एकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • प्रकाशित रिपोर्ट:
    • व्यापार और विकास रिपोर्ट (Trade and Development Report)
    • विश्व निवेश रिपोर्ट (World Investment Report)
    • अल्प विकसित देश रिपोर्ट (The Least Developed Countries Report)
    • सूचना एवं अर्थव्यवस्था रिपोर्ट (Information and Economy Report)
    • प्रौद्योगिकी एवं नवाचार रिपोर्ट (Technology and Innovation Report)
    • वस्तु तथा विकास रिपोर्ट (Commodities and Development Report)

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2