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भारतीय अर्थव्यवस्था

चीनी क्षेत्र की वर्तमान समस्‍या से निपटने हेतु उपाय

  • 08 Jun 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

चीनी मिलों में व्याप्त नकदी की समस्‍या के कारण किसानों को उनके गन्‍ना मूल्‍य का बकाया नहीं मिल पा रहा है। इस समस्‍या को सुलझाने के लिये प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चीनी मीलों को लगभग 7,000 करोड़ रुपए आवंटित करने की घोषणा की है।

इस समस्या का समाधान करने के लिये मंत्रिमंडल द्वारा निम्‍नलिखित उपायों की स्वीकृति दी गई है:

  • एक वर्ष के लिये 30 लाख मिट्रिक टन (Lakh metric tonnes - LMT) चीनी का सुरक्षित भंडार तैयार करने के लिये अनुमानित 1,175 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे।
  • इसके अंतर्गत यह भी निश्चित किया गया है कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food & Public Distribution-DFPD) द्वारा बाज़ार मूल्‍य और चीनी की उपलब्‍धता के आधार पर किसी भी समय इसकी समीक्षा की जा सकती है।
  • इस योजना के अंतर्गत अदायगी तिमाही के आधार पर की जाएगी। किसानों के गन्‍ने के मूल्‍य का बकाया राशि मिलों की ओर से सीधे उनके खातों में जमा करवाई जाएगी।
  • मिल में सफेद/परिष्कृत चीनी (white/refined sugar) का न्‍यूनतम विक्रयमूल्‍य तय करने के लिये आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम, 1995 के अंतर्गत चीनी मूल्‍य (नियंत्रण) आदेश 2018 को अधिसूचित किया जाएगा, ताकि कम मूल्‍य पर चीनी मिल द्वारा सफेद/परिष्कृत चीनी की घरेलू बाज़ार में विक्रयनही की जा सके।
  • सफेद चीनी का न्‍यूनतम विक्रयमूल्‍य गन्‍ने के उचित लाभ मूल्‍य (Fair Remunerative Price - FRP) और सफेद/रिफाइंड चीनी की न्‍यूनतम परिवर्तनीय लागत के आधार पर तय किया जाएगा।
  • सफेद/रिफाइंड चीनी का न्‍यूनतम विक्रयमूल्‍य शुरू में 29 रुपए प्रति किलो तय किया जाएगा, जिसमें बाद में DFPD द्वारा FRP आदि में परिवर्तन के आधार पर संशोधन किया जा सकता है।
  • इससे उपभोक्‍ताओं के लिये उचित मूल्‍य पर चीनी की उपलब्‍धता प्रभावित नहीं होगी और सरकार ऐसी प्रक्रिया लागू करेगी जिससे चीनी के खुदरा मूल्‍य पर पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके।
  • वर्तमान में चीनी मिलों में भंडारण की सीमा तय कर यह कार्य किया जाएगा। मिलों में भंडारण की सीमा को शुरू में वर्तमान चीनी अवधि के लिये लागू किया जाएगा, जिसकी किसी भी समय DFPD समीक्षा कर सकता है।
  • चीनी मिलों से संबंधित मौजूदा भट्टियों में इन्सिनरेशन बॉयलर (Incineration Boilers) और नई भट्टियाँ लगाकर उनकी सुधार कर क्षमता बढ़ा कर; सरकार पाँच वर्ष की अवधि के लिये 1332 करोड़ रुपए के अधिकतम आर्थिक सहायता पर ब्‍याज वहन करेगी, जिसमें ऋण स्‍थगन की एक वर्ष की अवधि का लगभग 4,440 करोड़ रुपए का बैंक ऋण शामिल है जो तीन वर्ष की अवधि में बैंक द्वारा चीनी मिलों को आवंटित किया जाएगा। 
  • इस संबंध में DFPD विस्‍तृत योजना तैयार करेगा। इससे अतिरिक्‍त चीनी होने की स्थिति में चीनी को कम आयात सूची में रखने में मदद मिलेगी।

पृष्‍ठभूमि 

  • वर्तमान अवधि में चीनी का अत्‍यधिक उत्‍पादन और आगामी अवधि में उच्‍च उत्‍पादन के संकेत से चीनी का बाज़ार मूल्‍य लगातार कम हो रहा है।
  • बाज़ार के माहौल और चीनी के मूल्‍य में कमी के कारण चीनी मिलों पर नकदी की समस्‍या पर बुरा प्रभाव पड़ा है, जिसके कारण गन्‍ना मूल्‍य का अत्‍यधिक बकाया हो गया है। यह बकाया राशि 22000 करोड़ रुपए से भी अधिक हो चुकी है।
  • मिलों में नकदी की स्थिति में सुधार लाने के लिये चीनी उत्‍पादन को उचित स्‍तर पर स्थिर करने के वास्‍ते किसानों को गन्‍ने के मूल्‍य की बकाया राशि देना आवश्‍यक है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने पिछले चार महिने में निम्‍नलिखित कदम उठाए हैं:
    ♦ देश में चीनी का आयात रोकने के लिये चीनी के आयात पर सीमाशुल्‍क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर शत प्रतिशत किया गया।
    ♦ घरेलू चीनी मूल्‍य को स्थिर करने के लिये फरवरी और मार्च, 2018  में चीनी उत्‍पादकों पर भंडारण सीमा लागू की गई।
    ♦ चीनी के निर्यात की संभावनाएँ तलाशने के लिये चीनी उद्योग को बढ़ावा देने हेतु चीनी के निर्यात पर सीमा शुल्‍क हटा लिया गया।
    ♦ अवधि 2017-18 के दौरान निर्यात के लिये मील के अनुसार 20 एलएमटी का न्‍यूनतम निर्देशात्‍मक निर्यात कोटा (एमआईक्‍यू) आवंटित किया गया।
    ♦ चीनी मिलों में अतिरिक्‍त चीनी के निर्यात के लिये सहायता और सुविधा हेतु सीमा शुल्‍क मुक्‍त आयात प्रा‍धिकरण (डीएफआईए) योजना दोबारा शुरू की गई।
    ♦ गन्‍ने की लागत की भरपाई के लिये अवधि 2017-18 के दौरान चीनी मिलों को 5.50 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर वित्‍तीय सहायता दी गई।
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