अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस | 24 Oct 2020
प्रिलिम्स के लिये:IUCN रेड लिस्ट, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड मेन्स के लिये:हिम तेंदुओं के संरक्षण हेतु सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने ‘प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड’ (Project Snow Leopard- PSL) के साथ केंद्र सरकार के अन्य प्रयासों के तहत हिम तेंदुओं के प्रवास क्षेत्र के संरक्षण हेतु सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है।
हिम तेंदुआ (Snow Leopard):
- वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा अनकिया (Panthera uncia)
- हिम तेंदुआ या ‘स्नो लेपर्ड’ को ‘पहाड़ों का भूत’ (Ghost of the Mountains) भी कहा जाता है, क्योंकि इनके संकोची स्वभाव और खाल के रंग के कारण इन्हें बर्फीले वातावरण में देखना बहुत ही मुश्किल होता है।
- हिम तेंदुए उत्तरी और मध्य एशिया के ऊँचे पहाड़ों (हिमालय क्षेत्र सहित) के विशाल क्षेत्र में रहते हैं।
- हिम तेंदुए भारत सहित विश्व के कुल 12 देशों ( चीन, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, रूस और मंगोलिया आदि) में पाए जाते हैं।
संरक्षण:
- हिम तेंदुए को IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) की सूची में रखा गया है।
- इसे ‘वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) के परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत हिम तेंदुए के शिकार को प्रतिबंधित किया गया है।
- वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS) के तहत हिम तेंदुए को परिशिष्ट-I में शामिल किया गया है।
चुनौतियाँ:
- मानव-वन्यजीव संघर्ष, शिकार और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप शिकार और प्रवास की हानि आदि हिम तेंदुए के अस्तित्व के लिये प्रमुख खतरे हैं।
‘अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’
(International Snow Leopard Day):
- वर्ष 2013 की बिश्केक घोषणा (Bishkek Declaration) के तहत 23 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’ (International Snow Leopard Day) के रूप में अधिसूचित किया गया।
- गौरतलब है कि वर्ष 2013 में 12 स्नो लेपर्ड रेंज देशों (अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान) द्वारा बिश्केक घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- साथ ही इस अवसर पर ‘वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ (Global Snow Leopard and Ecosystem Protection-GSLEP) कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड’ (Project Snow Leopard- PSL):
- प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड की शुरुआत वर्ष 2009 में देश के पाँच राज्यों (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश) में की गई थी।
- इसका उद्देश्य सभी हितधारकों की भागीदारी को प्रोत्साहित कर देश में तेंदुओं की आबादी और उनके प्रवास क्षेत्र के संरक्षण को बढ़ावा देना है।
- इस कार्यक्रम के तहत अधिसूचित क्षेत्रों में स्थानीय आबादी के साथ सार्वजनिक और निजी एजेंसियों के सहयोग से हिम तेंदुओं, उनके आहार तथा प्रवास के संरक्षण, जागरूकता एवं संरक्षण संबंधी कानूनों के व्यापक क्रियान्वयन का प्रयास किया जाता है।
हिम तेंदुओं के संरक्षण हेतु सरकार के अन्य प्रयास:
- भारत में हिम तेंदुओं की भौगोलिक सीमा में पश्चिमी हिमालय का एक बड़ा हिस्सा आता है, जिसके अंतर्गत जम्मू -कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के भू-भाग शामिल हैं।
- भारत वर्ष 2013 से ‘वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ (Global Snow Leopard and Ecosystem Protection-GSLEP) कार्यक्रम का सदस्य है।
- इस कार्यक्रम के तहत विश्व के 12 हिम तेंदुआ रेंज देश शामिल हैं, इन 12 सदस्य देशों द्वारा हिम तेंदुओं की आबादी के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को सुनिश्चित किया गया है ।
- केंद्र सरकार द्वारा अक्तूबर 2019 में नई दिल्ली में GSLEP कार्यक्रम की चौथी संचालन समिति की मेज़बानी की गई थी, इस दौरान देश में हिम तेंदुओं की आबादी के आकलन पर पहला राष्ट्रीय प्रोटोकॉल (First National Protocol on Snow Leopard Population Assessment) लॉन्च किया गया।