अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट | 11 Jun 2020

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट, अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग, विशेष चिंता वाले देश (CPC), विशेष निगरानी सूची (SWL)

मेन्स के लिये:

भारत में धार्मिक स्वतंत्रता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'अमेरिकी विदेश विभाग' (U.S. State Department) ने विश्व के विभिन्न देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति को दर्शाने वाली 'अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता' (International Religious Freedom- IRF) रिपोर्ट, अमेरिकी संसद को प्रस्तुत की है।

प्रमुख बिंदु:

  • वर्ष 2020 की वार्षिक रिपोर्ट में जनवरी 2019 से लेकर दिसंबर 2019 तक के मामले शामिल किये गए हैं, हालाँकि कुछ मामलों में इस समयावधि के पहले और बाद की  घटनाओं को भी शामिल किया गया है।
  • यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग’ (U. S. Commission on International Religious Freedom- USCIRF) द्वारा जारी की जाती है। 

‘अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग’ (USCIRF):

  • USCIRF 'अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम' (International Religious Freedom Act-IRFA)- 1998 के तहत स्थापित एक स्वतंत्र, द्विदलीय अमेरिकी संघीय आयोग है।
  • USCIRF अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की निगरानी करता है तथा अमेरिकी राष्ट्रपति, विदेश मंत्री एवं अमेरिकी संसद को आवश्यक नीतियाँ बनाने की सिफारिश करता है।
  • यह धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के आधार पर देशों को विशेष चिंता वाले देश (Countries of Particular Concern- CPC) तथा विशेष निगरानी सूची (Special Watch List- SWL) में नामित कटने को अमेरिकी विदेश विभाग के सचिव की सिफारिश करता है। 

विशेष चिंता वाले देश (CPC):

  • जब किसी देश को 'विशेष चिंता वाले देश’ (CPC) के रूप में नामित किया जाता है तो इसका तात्पर्य है उस देश में धार्मिक स्वतंत्रता का वर्तमान में व्यवस्थित तरीके से व्यापक पैमाने पर उल्लंघन किया जा रहा है। 
  • CPC के रूप में नामित देशों में धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों को संबोधित करने के लिये IRFA अमेरिकी विदेश सचिव को विशिष्ट तथा लचीले नीतिगत निर्णय लेने की शक्तियाँ प्रदान करता है। इसमें प्रतिबंध लगाना, देशों को प्रदान की जाने वाली छूट को समाप्त करना आदि शामिल है।
  • USCIRF निम्नलिखित 14 देशों को 2020 के लिये CPC के रूप में नामित किये जाने की सिफारिश की है: 
    • म्यांमार, चीन, इरिट्रिया, भारत, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम।

विशेष निगरानी सूची (Special Watch List- SWL):

  • USCIRF किसी भी देश को CPC सूची में जोड़ने से पूर्व अमेरिकी विदेश विभाग की विशेष निगरानी सूची (Special Watch List- SWL) में जोड़ने की भी सिफारिश करता है। 
  • SWL सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिन देशों की सरकारों द्वारा गंभीर रूप से धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जाता है या ऐसा करने के आरोप हैं। हालाँकि इन देशों में अभी तक CPC  सूची में शामिल देशों के स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं किया जा रहा है। 
  • SWL में उन देशों को शामिल किया जाता है जिसने धार्मिक स्वतंत्रता के तीन मानदंडों में से दो का उल्लंघन किया हो। हालाँकि पिछली वार्षिक रिपोर्टों में किसी देश द्वारा तीन मे केवल एक मानदंड का उल्लंघन करने पर SWL में शामिल किया गया था।
  • USCIRF वर्ष 2020 में SWL के लिये 15 देशों अफगानिस्तान, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बहरीन, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, क्यूबा, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, कजाकिस्तान, मलेशिया, निकारागुआ, सूडान, तुर्की और उज़्बेकिस्तान की सिफारिश करता है।

USCIRF द्वारा  भारत से संबंध में की गई अनुशंसाएँ:

  • भारत को IRFA के तहत CPC के रूप में सूचीबद्ध करने की सिफारिश की गई है।
  • ज़िम्मेदार भारतीय सरकारी एजेंसियों तथा अधिकारियों पर अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध जैसी कार्यवाही की जाए।

भारत को CPC के रूप में सूचीबद्ध करने का कारण:

  • भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को दर्शाने वाली रिपोर्ट में मुख्यत: ‘जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति’, 'नागरिकता (संशोधन) अधिनियम’, (Citizenship (Amendment) Act- CAA), ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (National Register of Citizens- NRC), ‘मॉब लींचिंग’, ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ (Anti-Conversion Laws) तथा संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में धार्मिक रूप से प्रेरित ‘मॉब लिंचिंग’ के मामलों तथा सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामलों को कानूनविदों द्वारा कई बार अनदेखा किया गया है। हिंदू-बहुसंख्यक दलों के कुछ कार्यकर्त्ताओं द्वारा, अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भड़काऊ सार्वजनिक टिप्पणी या सोशल मीडिया पोस्ट करने का आरोप है। 
  • रिपोर्ट में गौ-रक्षा के नाम पर की जाने वाली भीड़- हिंसा की घटनाओं जैसे- झारखंड में तबरेज़ अंसारी पर हमला आदि का विस्तृत विवरण दिया गया है।
  • रिपोर्ट में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बाबरी मस्जिद के संबंध में दिये गए निर्णय तथा वर्ष 2018 में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के मंदिर प्रवेश के संबंध में दिये गए निर्णय आदि का उल्लेख किया गया है।

अमेरिकी सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • USCIRF ने अप्रैल, 2020 में भारत को CPC सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी। हालाँकि अमेरिकी विदेश सचिव USCIRF की अनुशंसा को स्वीकार करने के लिये बाध्य नहीं है।
  • कानून के अनुसार, IRF रिपोर्ट के प्रकाशन के 90 दिनों के बाद किसी देश CPC तथा SWL में शामिल नहीं किया जा सकता है। 
  • अमेरिकी विदेश सचिव ने रिपोर्ट के आधार पर देशों को वर्गों में रखा है। देश जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की दिशा में सकारात्मक कार्य किया है। दूसरे नकारात्मक रूप से सूचीबद्ध देश। 
  • निकारागुआ, नाइजीरिया और चीन को नकारात्मक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया गया है। भारत को किसी भी सूची में उद्धृत नहीं किया गया है। 

USCIRF और विदेश विभाग की कार्यवाही के बीच अंतर:

  • USCIRF और अमेरिकी विदेश विभाग दोनों ही अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हैं, लेकिन प्रत्येक के अलग-अलग उद्देश्य हैं। विदेश विभाग की रिपोर्ट दुनिया के प्रत्येक देश में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का दस्तावेज़ है जबकि USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट में क़ानून द्वारा विभिन्न देशों को 'विशेष चिंता वाले देशों' के रूप में नामित करने की सिफारिश की जाती है, जिस पर संबंधित कार्यकारी शाखा विचार करती है।

निष्कर्ष:

  • अप्रैल, 2020 में जब USCIRF ने भारत को CPC के रूप में नामित करने की सिफारिश की थी तब भारत सरकार ने रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘पक्षपातपूर्ण’ करार दिया था, साथ ही इसके अवलोकनों को खारिज कर दिया था। भारत के इसी दबाव के कारण ‘अमेरिकी विदेश विभाग’ ने भारत को अभी तक किसी भी सूची में उद्धृत नहीं किया गया है।

स्रोत: द हिंदू