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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन

  • 12 Mar 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन और रूस ने अंतरिक्ष सहयोग में एक नए युग की शुरुआत को चिह्नित करते हुए चंद्रमा की सतह पर एक अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (International Lunar Research Station- ILRS) बनाने हेतु सहमति व्यक्त की है। 

  • रूस अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) जो कि निवास करने योग्य एक कृत्रिम उपग्रह है, का हिस्सा है। यह पृथ्वी की निम्न कक्षा में मानव निर्मित सबसे बड़ी संरचना है।

प्रमुख बिंदु:

अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS)

  • ILRS के बारे में:
    • ILRS दीर्घकालिक स्वायत्त संचालन (Long-Term Autonomous Operation) क्षमता के साथ एक व्यापक वैज्ञानिक प्रयोग का आधार है
    • इस स्टेशन को चंद्र सतह और/या चंद्र की कक्षा में बनाया जाएगा जो चंद्र अन्वेषण, चंद्र आधारित अवलोकन, बुनियादी वैज्ञानिक प्रयोग और तकनीकी सत्यापन जैसी वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों को अंजाम देगा।
  • सिद्धांत:
    • रूस और चीन द्वारा आपसी परामर्श, संयुक्त निर्माण तथा साझा लाभों के सिद्धांत का पालन किया जाएगा। 
    • दोनों देशों द्वारा ILRS में शामिल होने वाले इच्छुक देशों और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों को व्यापक सहयोग एवं सुविधा प्रदान की जाएगी। 
  • महत्त्व:
    • ILRS वैज्ञानिक अनुसंधान के आदान-प्रदान और  मानवीय अन्वेषण को मज़बूती प्रदान करेगा तथा शांतिपूर्ण उद्देश्यों हेतु बाह्य अंतरिक्ष के उपयोग को बढ़ावा देगा।

चंद्रमा से संबंधित अन्य कार्यक्रम:

  • नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम: इससे पहले वर्ष 2020 में राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) ने अपने आर्टेमिस प्रोग्राम हेतु एक रूपरेखा का प्रकाशन किया, जिसके तहत वर्ष 2024 तक अगले पुरुष और प्रथम महिला को चंद्रमा की सतह पर भेजने की योजना है।
    • गेटवे अंतरिक्ष में मानव और वैज्ञानिक अन्वेषण का समर्थन करने हेतु चंद्रमा के चारों ओर एक आउटपोस्ट है
  • यूएई का राशिद मिशन:
    • संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा वर्ष 2024 में राशिद (Rashid) नाम के एक मानव रहित अंतरिक्षयान को चंद्रमा पर भेजने का फैसला किया गया है
  • चीन के चांग ई-4 और चांग ई-5 मिशन:
    • चांग ई -4 मिशन (Chang’e-4 Mission) चीन द्वारा चंद्रमा की दूरी का पता लगाने हेतु प्रथम अन्वेषण/जांँच है।
    • चांग ई-5 मिशन (Chang’e-5 mission) चंद्रमा की उत्पत्ति और निर्माण के बारे में वैज्ञानिकों को और अधिक जानने में मदद करने हेतु चंद्रमा पर नमूने एकत्र करेगा।

भारतीय पहल:

  • चंद्रयान- 3:
    • भारत चंद्रयान- 3 मिशन पर कार्य कर रहा है जो चंद्रयान- 2 मिशन की अगली कड़ी है। यह संभवतः चंद्रमा की सतह पर एक और सॉफ्ट -लैंडिंग का प्रयास करेगा।
  • अंतरिक्ष स्टेशन:
    • भारत का उद्देश्य पृथ्वी की निचली कक्षा में माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों (Microgravity Experiments) के संचालन से 5-7 वर्षों में अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है।

चंद्रमा: 

चंद्रमा से संबंधित तथ्य:

  • चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है और सौरमंडल का पांँचवाँ सबसे बड़ा चंद्रमा भी है।
  • चंद्रमा की उपस्थिति हमारे ग्रहों के कंपनों को शांत कर जलवायु को स्थिरता प्रदान करती है।
  • पृथ्वी से चंद्रमा की  कुल दूरी 3,85,000 किलोमीटर है। 
  • चंद्रमा का वातावरण अत्यधिक विरल है जिसे एक्सोस्फीयर (Exosphere) कहा जाता है 
  • चंद्रमा की पूरी सतह ज्वालामुखी उद्गारों के प्रभाव और गड्ढों से भरी हुई है।
  • पृथ्वी और चंद्रमा आपस में अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। पृथ्वी और चंद्रमा की  घूर्णन गति में इतनी समानता है कि हमें हर समय चंद्रमा का केवल एक हिस्सा ही दिखाई देता है।

चंद्रमा के अध्ययन का कारण:

  • पृथ्वी की उत्पत्ति के पूर्व कारणों को समझना: 
    • चंद्रमा की उत्पत्ति के साक्ष्य पृथ्वी से प्राप्त अवशेषों में मिलते हैं। पृथ्वी की प्रारंभिक  संरचना के साक्ष्य चंद्रमा की धूल की परतों के मध्य छिपे हो सकते हैं। 
    • इसके अलावा पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के संभावित संकेत भी चंद्रमा पर मिलते हैं।
  • पृथ्वी पर भूकंपीय गतिविधि को समझना :
    • चंद्रमा के अध्ययन से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि सतह पर कम तरल पानी के साथ पृथ्वी पर भूकंपीय गतिविधियाँ कितनी बार हो सकती हैं, जैसे कि प्रमुख हिम युगों के समय या पृथ्वी के शुरुआती इतिहास के समय देखा जाता है, जब सतह तरल महासागरों को संरक्षित करने हेतु  बहुत गर्म थी।
  • पृथ्वी के वायुमंडल की संरचना:
    • चंद्रमा से पृथ्वी की चमक को मापकर वैज्ञानिकों द्वारा इस बात का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है  कि पृथ्वी स्वयं कितनी चमकती है, यहाँ तक कि पृथ्वी के वायुमंडल की संरचना का भी पता लगाया जा सकता है।
  • ज्वार-भाटा, ऋतु एवं जलवायु को समझना:
    • ज्वार-भाटा और ऋतु परिवर्तन के क्रम को समझने हेतु चंद्रमा के द्रव्यमान, आकार और कक्षीय गुणों को मापना आवश्यक है।
    • पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य इन ज्वारीय और कक्षीय अंतः क्रियाओं का अध्ययन, पृथ्वी की जलवायु पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों को समझने हेतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस

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