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सामाजिक न्याय

विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

  • 11 Feb 2025
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDWGS), विज्ञान प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान ज्योति कार्यक्रम, गति कार्यक्रम।

मेन्स के लिये:

विज्ञान और संबद्ध सरकारी पहल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2025 में विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस (जो प्रतिवर्ष 11 फरवरी को मनाया जाता है) की 10वीं वर्षगाँठ है। 

  • यह दिन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में महिलाओं और लड़कियों की पूर्ण एवं समान भागीदारी को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

STEM में महिलाओं की स्थिति क्या है?

  • वैश्विक परिदृश्य:
    • वर्ष 1901 से 2024 के बीच, भौतिकी, रसायन विज्ञान एवं फिजियोलॉजी या चिकित्सा में 650 नोबेल पुरस्कार विजेताओं में से केवल 26 महिलाएँ हैं।
    • STEM में महिलाएँ: संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर STEM शिक्षा और कॅरियर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, जो STEM स्नातकों का केवल 35% है।

Global_Women _Representation in _Science

  • भारतीय परिदृश्य:
    • अनुसंधान में महिलाएँ: लोकसभा में प्रस्तुत सरकारी डेटा (2024) से पता चलता है कि वैज्ञानिक कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 18.6% है।
    • STEM नामांकन: उच्च शिक्षा में STEM छात्रों में 43% महिलाएँ हैं।
    • भागीदारी में कमी आना: वैज्ञानिक संस्थानों में उच्च शोध स्तरों और नेतृत्व पदों पर इनकी भागीदारी में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

A _Timeline of _Women in _Science _in _India

STEM से संबंधित भारत की पहलें कौन-सी हैं?

  • BioCARe फेलोशिप: 
    • यह जैवप्रौद्योगिकी और संबद्ध क्षेत्रों में महिला वैज्ञानिकों को सफल अनुसंधान कॅरियर बनाने में सहायता करता है।
  • महिला विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (TBI)
    • उद्यमिता में महिला-नेतृत्व वाले नवाचार और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने के लिये IGDTUW  (दिल्ली), SPMVV (तिरुपति) और DTU में iTBI की स्थापना की गई है।

STEM में महिलाओं से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • कार्यबल ड्रॉपआउट और सामाजिक बाधाएँ: STEM में महिलाओं को देखभाल की ज़िम्मेदारियों, कठोर कार्य नीतियों और पुनः प्रवेश चुनौतियों के कारण कॅरियर में बाधा का सामना करना पड़ता है। सांस्कृतिक रूढ़िवादिता उनकी भागीदारी को और हतोत्साहित करती है, जिससे विज्ञान में लैंगिक अंतराल बढ़ता है।
  • कार्यस्थल की बाधाएँ: लैंगिक पूर्वाग्रह, मार्गदर्शन की कमी, और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में कम प्रतिनिधित्व के कारण कॅरियर की वृद्धि बाधित होती है। महिलाओं के समक्ष अनुसंधान निधि और नेतृत्व पदों के अल्प अवसर जैसी समस्याएँ होती हैं।
  • संस्थागत बाधाएँ: जेंडर-सेंसिटिव नीतियों जैसे मातृत्व लाभ, लचीली कार्य व्यवस्था के अभाव और जेंडर संबंधी डेटा तक सीमित पहुँच से STEM में महिलाओं की उपस्थिति और समानता सुनश्चित करने में बाधा उत्पन्न होती है।

आगे की राह

  • जेंडर-इंक्लूसिव नीतियाँ: महिला वैज्ञानिकों के लिये जेंडर-सेंसिटिव भर्ती, नेतृत्व कोटा और अनुसंधान अनुदान की व्यवस्था की जानी चाहिये। वैज्ञानिक संस्थानों में लचीली कार्य नीतियों और परिवार सहायता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • नेतृत्व एवं मार्गदर्शन: मार्गदर्शन नेटवर्क स्थापित किये जाने चाहिये तथा शिक्षा, अनुसंधान और नीति निर्माण में नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिये महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • कार्यस्थल समानता: महिलाओं के लिये समान वेतन और मान्यता सुनिश्चित करने के लिये पारदर्शी मूल्यांकन और पदोन्नति प्रणाली लागू करना।
  • महिला उद्यमिता: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप को समर्थन देने के लिये निधि, बायोकेयर और टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटर्स (TBI) को मज़बूत करना।
  • वैश्विक सहयोग: STEM में महिलाओं के उच्च प्रतिनिधित्व वाले देशों के सफल मॉडलों को अपनाना, महिला शोधककर्त्ताओं के लिये वैश्विक साझेदारी और विनिमय कार्यक्रम सुनिश्चित करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न : भारत में STEM क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तीकरण में बाधा डालने वाले कारकों का परीक्षण करना। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में लिंग-समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रभावी नीतिगत हस्तक्षेप का प्रस्ताव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा विश्व के देशों के लिये 'सार्वभौमिक लैंगिक अंतराल सूचकांक' का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017)

(a) विश्व आर्थिक मंच
(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
(c) संयुक्त राष्ट्र महिला
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a) 


प्रश्न. स्वाधार और स्वयं सिद्ध महिलाओं के विकास के लिये भारत सरकार द्वारा शुरू की गई दो योजनाएँ हैं। उनके बीच अंतर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये : (2010)

  1. स्वयं सिद्ध उन लोगों के लिये है जो प्राकृतिक आपदाओं या आतंकवाद से बची महिलाओं, ज़ेलों से रिहा महिला कैदियों, मानसिक रूप से विकृत महिलाओं आदि जैसी कठिन परिस्थितियों में हैं, जबकि स्वाधार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के समग्र सशक्तीकरण के लिये है।  
  2.  स्वयं सिद्ध स्थानीय स्व-सरकारी निकायों या प्रतिष्ठित स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है, जबकि स्वाधार राज्यों में स्थापित ICDS इकाइयों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (d) 


मेन्स:

प्रश्न 1. “महिला सशक्तीकरण जनसंख्या संवृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है।” चर्चा कीजिये। (2019) 

प्रश्न 2. भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिये? ( 2015) 

प्रश्न 3. महिला संगठन को लिंग-भेद से मुक्त करने के लिये पुरुषों की सदस्यता को बढ़ावा मिलना चाहिये। टिप्पणी कीजिये। (2013)

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