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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अतंर्राष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में बजट

  • 03 Feb 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

  • आम बजट 2018 में विदेश मंत्रालय के बजट में 213 करोड़ की वृद्धि करते हुए 15,011 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। 
  • अफ्रीका, यूरेशियन देशों, लैटिन अमेरिकी देशों में वित्तीय प्रतिबद्धताओं के अलावा भारत कम-से-कम 12 देशों को सहायता प्रदान करता है। 
  • पडोसी देशों सहित रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में अवस्थित द्वीपीय राष्ट्र यथा मॉरीशस, श्रीलंका और मालदीव इसके प्रमुख लाभार्थी होंगे, जहाँ भारत और चीन अपना प्रभाव बढाने के लिये प्रतिस्पर्द्धारत हैं।

प्रमुख देशों को आवंटित राशि (घटते हुए क्रम में)

देश आवंटित राशि(करोड़ में)
भूटान 2,650
नेपाल 650
मॉरिशस 350
अफगानिस्तान 325
सेशेल्स 300
म्याँमार 280
बांग्लादेश 175
श्रीलंका 150
मालदीव 125

बजटीय आवंटन का विश्लेषण

  • सेशेल्स को 200 करोड़ रुपए की वृद्धि के साथ 300 करोड़ रुपए दिये गए हैं। इसका उपयोग सेशेल्स के अज़म्पशन द्वीप (Assumption Island) के बुनियादी ढाँचे का विकास करने में किया जाएगा। 
  • भारत ने पिछले हफ्ते ही इस द्वीप पर अन्य आधारभूत सरंचना के अतिरिक्त, हवाई पट्टी और जलसेतु (Jetty) विकसित करने के लिये सेशेल्स के साथ एक संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो भारत को इसके सैन्य उपयोग की अनुमति देगा।
  • मॉरीशस को 350 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जो मौजूदा वित्त वर्ष के 335 करोड़ रुपए से मामूली अधिक है। भारत ने मॉरीशस में अगलेगा द्वीप (Agaléga island) पर समुद्र और वायु परिवहन सुविधाओं में सुधार के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • मालदीव को पिछले वर्ष की तरह ही 125 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। भारत-मालदीव संबंधों में तनाव के चलते वर्तमान में मालदीव में कोई सक्रिय परियोजना नहीं चल रही है। 
  • श्रीलंका को 150 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। भारत श्रीलंका के कांकेसंथुराई (Kankesanthurai) पोर्ट के पुनर्निर्माण के लिये प्रयास कर रहा है। हम्बनटोटा बंदरगाह और ग्वादर बंदरगाह के रूप में हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनज़र यह बंदरगाह भारत के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत ने अपने पूर्वी पडौसी बांग्लादेश के लिये 175 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है। नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में चीन अपनी वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत व्यापक पैमाने पर आधारभूत ढाँचागत परियोजनाओं में निवेश कर रहा है। 
  • विदेश मंत्रालय के बजट का एक बड़ा भाग भूटान के हिस्से में आया है। इसे 2,650 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
  • भूटान भारत का वह एकमात्र पड़ोसी देश है जिसके चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं। यह भूटान की भारत के लिये रणनीतिक महत्ता को दर्शाता है। इसे डोकलाम विवाद के संदर्भ में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
  • राजनीतिक उथल-पुथल से ग्रस्त नेपाल को 650 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं जो कि पिछले  वर्ष की तुलना में करीब 75 फीसदी अधिक है।
  • म्याँमार के लिये 280 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। भारत ने पिछले वर्ष दिसंबर में म्याँमार के साथ रखाइन प्रांत में सामान्य स्थिति की बहाली और विकास के संबंध में समझौता किया था। 
  • रखाइन प्रांत में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के बाद हजारों रोहिंग्या मुस्लिमों को अन्य देशों में शरण लेनी पड़ी थी। यह समझौता प्रांत में सामाजिक-आर्थिक विकास और आजीविका के अवसरों को बढाने पर केंद्रित होगा।
  • भारत म्यांमार के सित्तवे और पलेटवा बंदरगाह के बुनियादी ढांचे संबंधी परियोजनाओं में भी निवेश करने का विचार कर रहा है।
  • 2,400 करोड़ रुपए की राशि ‘विशेष राजनयिक व्यय’ (Special Diplomatic Expenditure) के नाम पर आवंटित की गई है।
  • हाल ही के समय में भारत ने मिसाइल तकनीकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR ), शंघाई सहयोग संगठन (SCO), वासेनार व्यवस्था, ऑस्ट्रेलिया समूह, समुद्री कानून के लिये अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन और आर्थिक और सामाजिक परिषद जैसे विभिन्न वैश्विक निकायों की सदस्यता प्राप्त की है। इन सभी प्रतिबद्धताओं के वित्तीय निहितार्थ हैं जो इस आवंटन के माध्यम से पूरे किये जाएंगे। 
  • हज यात्रा पर सब्सिडी की वापसी की घोषणा के बाद इस श्रेणी के तहत कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई है।
  • ईरान में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह चाबहार के विकास के लिये 150 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है। 
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