केंद्रीय कर वितरण में अंतर्राज्यीय भिन्नता | 18 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

15वाँ वित्त आयोग, केंद्रीय कर वितरण, क्षैतिज समानता, संविधान का अनुच्छेद 280

मेन्स के लिये:

राज्यों के बीच कर वितरण, 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें

चर्चा में क्यों?

आलोचकों का तर्क है कि 15वें वित्त आयोग का कर वितरण फॉर्मूला/सूत्र कुछ राज्यों के पक्ष में है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक अंतर्राज्यीय भिन्नता की स्थिति देखी जाती है।

तमिलनाडु द्वारा केंद्र को दिये गए प्रत्येक एक रुपए हेतु केवल 29 पैसे वापस मिलते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश को 2.73 रुपए और बिहार को 7.06 रुपए वापस मिलते हैं।

राज्यों के बीच करों के वितरण की विधि: 

  • परिचय:  
    • केंद्र राज्यों से कर एकत्र करता है और उन्हें वित्त आयोग (XVFC) के फार्मूले के आधार पर वितरित करता है।
  • XVFC फॉर्मूला:  
    • XVFC फॉर्मूला प्रत्येक राज्य की आवश्यकताओं (जनसंख्या, क्षेत्र, वन एवं पारिस्थितिकी), इक्विटी (प्रति व्यक्ति आय अंतर) एवं प्रदर्शन (स्वयं का कर राजस्व और कम प्रजनन दर) पर आधारित है।
  • भार:  
    • आवश्यकताओं को 40%, इक्विटी को 45% और प्रदर्शन को 15% वेटेज दिया जाता है। 
    • XVFC ने प्रजनन स्तर को कम करने वाले राज्यों को पुरस्कृत करने के लिये प्रजनन दर घटक की शुरुआत की किंतु इक्विटी और आवश्यकताओं की तुलना में इसका भार कम है।
  • तर्क:  
    • आलोचकों का तर्क है कि यह फॉर्मूला कुछ उत्तरी राज्यों के पक्ष में है, क्योंकि इस फॉर्मूले में जनसंख्या को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
      • वित्त आयोगों में दक्षिणी राज्यों की हिस्सेदारी में लगातार गिरावट आई है। 
    • कुछ लोगों का तर्क है कि स्थानांतरण राज्य को सेवाओं के तुलनीय स्तर प्रदान करने और क्षैतिज इक्विटी सुनिश्चित करने में सक्षम बनाता है।
      • हालाँकि अन्य का तर्क है कि सूत्र का किसी राज्य की दक्षता और प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिये।

Central-Taxes

15वाँ वित्त आयोग:

  • परिचय:  
    • वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र एवं राज्यों के बीच तथा राज्यों के मध्य संवैधानिक व्यवस्था और वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कर से प्राप्त आय के वितरण के लिये विधि व सूत्र निर्धारित करता है।
  • संवैधानिकता:  
    • संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत भारत के राष्ट्रपति के लिये प्रत्येक पाँच वर्ष या उससे पहले वित्त आयोग का गठन करना आवश्यक है।
  • 15वाँ वित्त आयोग: 
    • 15वें वित्त आयोग का गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा नवंबर 2017 में एन.के. सिंह की अध्यक्षता में किया गया था। 
    • इसकी सिफारिशें वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये मान्य होंगी।
      • सरकार ने वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाली पाँच वर्ष की अवधि के लिये करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 41% तक बनाए रखने हेतु 15वें वित्त आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर लिया। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों ने राज्यों को अपनी राजकोषीय स्थिति में सुधार करने में कैसे सक्षम किया है? (2021)

स्रोत: द हिंदू