सुरक्षा
एकीकृत युद्ध समूह (IBG)
- 30 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
भारतीय सेना ने युद्ध में बेहतर प्रदर्शन और दुश्मन पर त्वरित आक्रमण करने की अपनी क्षमता में वृद्धि करने के लिये पहले एकीकृत युद्ध समूह (Integrated Battle Groups-IBG) का गठन करने का फैसला किया है।
प्रमुख बिंदु:
- IBG की संकल्पना का प्रयोग भारतीय सेना द्वारा स्वयं में सुधार के लिये किया जा रहा है जिसका कार्यान्वयन अगले माह यानी अगस्त 2019 के अंत तक होने की संभावना है।
- IBG, ब्रिगेड के आकार की एक दक्ष और आत्मनिर्भर युद्ध व्यवस्था है जो युद्ध की स्थिति में शत्रु के विरुद्ध त्वरित आक्रमण करने में सक्षम है।
- IBG का परीक्षण पहले ही किया जा चुका है हालाँकि इनकी संख्या का निर्धारण अभी तक नहीं किया गया है।
- प्रत्येक IBG का गठन संभावित खतरों, भू-भाग और कार्यो के निर्धारण के आधार पर किया जाएगा और इन्हीं तीन आधारों पर IBG को संसाधनों का आवंटन भी किया जाएगा।
- IBG कार्यवाही करने हेतु अपनी अवस्थति के आधार पर 12 से 48 घंटों के भीतर संगठित होने में सक्षम होंगे।
- कमांड एक परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र में फैली सेना की सबसे बड़ी स्थैतिक इकाई (Static Formation) होती है जबकि वाहिनी (Corps) सबसे बड़ी गतिशील इकाई (Mobile Formation) होती है। सामान्यत: प्रत्येक वाहिनी (Corps) में तीन डिवीज़न होते हैं और प्रत्येक डिवीज़न में तीन ब्रिगेड होते हैं।
- प्रत्येक वाहिनी (Corps) को 1 से 3 IBG में पुर्नगठित किया जाएगा साथ ही IBG का आकर ब्रिगेड के समान ही होगा परंतु IBG में तोपखाना (Infantry), बख्तरबंद (Armoured), आर्टिलरी और वायु-प्रतिरक्षा (Air Defence) आदि भी संभावित खतरों (Threat), भू-भाग (Terrain) और कार्यो के निर्धारण के आधार पर सन्निहित अथवा इसका भाग होंगे।
- IBG आक्रामक और रक्षात्मक दोनों प्रकार की होंगे। जहाँ एक ओर आक्रामक IBG तीव्रता से कार्यवाही करते हुये दुश्मन के क्षेत्र में हमला करने में सक्षम होंगे, वहीं दूसरी ओर रक्षात्मक IBG दुश्मन के संभावित हमले के प्रति सुभेद्य क्षेत्रों की सुरक्षा करेंगे।
- IBG का गठन सेना की ‘कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन’ (Cold Start Doctrine) का एक भाग है।
भारतीय सेना की ‘कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन’
(Cold Start Doctrine)
- यह डॉक्ट्रिन भारतीय सेना को दुश्मन (विशेष रूप से पाकिस्तान के विरुद्ध) के क्षेत्र में प्रवेश कर तीव्रता से कार्यवाही करने का लक्ष्य प्रदान करती है।
- इस डॉक्ट्रिन का विचार सर्वप्रथम वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन पराक्रम’ से आया।
- ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान भारत की आक्रामक रणनीतियों की अनेक कमियाँ उजागर हुई जिनमें सीमा पर सेना की तैनाती में ही एक माह का समय लगने, जैसे कई मुद्दे शामिल थे।
- वर्ष 2017 में तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष द्वारा इस डॉक्ट्रिन के अस्तित्व को स्वीकार किया गया।