लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मंगल पर पहुँचा इनसाइट

  • 28 Nov 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?


मंगल ग्रह के अध्ययन के लिये भेजा गया नासा का इनसाइट यानी इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सिस्मिक इन्वेस्टिगेशंस जियोडेसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट (Interior Exploration Using Seismic Investigations, Geodesy and Heat Transport- INSIGHT), 26 नवंबर, 2018 को मंगल ग्रह की सतह पर उतरा।

  • मंगल ग्रह की सतह पर पहुँचने के लिये इनसाइट ने लगभग सात माह तक अंतरिक्ष में यात्रा की और इस दौरान लगभग 300 मिलियन मील की दूरी तय की।
  • पहली बार दो एक्सपेरिमेंटल सैटेलाइट्स ने किसी अंतरिक्षयान का पीछा करते हुए उस पर नजर रखी। ये दोनों सैटेलाइट इनसाइट से छह हज़ार मील पीछे चल रहे थे।
  • अमेरिका द्वारा लॉन्च किया गया यह 21वाँ मंगल मिशन है।
  • इनसाइट, 2012 में 'क्यूरियोसिटी रोवर' के बाद मंगल पर उतरने वाला नासा का पहला अंतरिक्ष यान है।
  • यह अगले 2 वर्षों तक मंगल ग्रह की सतह का अध्ययन करेगा।
  • इनसाइट ने इलीशियम प्लैनिशिया (Elysium Planitia, एक सपाट स्थान जहाँ सीस्मोमीटर लगाना आसान था) पर लैंड किया।
  • इस यान को कैलिफोर्निया के वेंडेनबर्ग वायुसेना बेस से एटलस वी रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था। उल्लेखनीय है कि यह पश्चिमी तट से लॉन्च किया जाने वाला पहला मिशन है। इससे पूर्व अमेरिका के पूर्वी तट पर स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर (फ्लोरिडा) से ही अधिकांश इंटरप्लेनेट्री मिशन लॉन्च किये जाते थे।
  • नासा के इस मिशन से वैज्ञानिकों को मंगल, पृथ्वी और चंद्रमा जैसे चट्टानी ग्रहों के निर्माण के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

इनसाइट की विशेषताएँ

insight lander

  • मंगल ग्रह की आतंरिक संरचना का अध्ययन करने के लिये इनसाइट सिस्मोमीटर का प्रयोग करेगा और इसकी आंतरिक स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करेगा।
  • इस यान का वज़न 880 पौंड (360 किग्रा.) है।
  • इनसाइट में आँकड़ों के संग्रहण के लिये कई प्रकार के संवदेनशील उपकरणों को स्थापित किया गया है।
  • इसमें मंगल ग्रह पर भूकंप की जाँच हेतु अति संवेदनशील सिस्मोमीटर (seismometer) लगाया गया है। इस सिस्मोमीटर को फ्राँस के नेशनल स्पेस सेंटर द्वारा तैयार किया गया है।
  • सौर ऊर्जा और बैटरी से चलने वाले इस यान को 26 महीने तक काम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।


स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2