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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कीट प्रतिरोधी कपास

  • 23 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

व्हाइटफ्लाइज़, टेरियारामैक्रोडोंटा, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान

मेन्स के लिये:

किसानों की सहायता में जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (National Botanical Research Institute-NBRI) लखनऊ ने कपास की एक कीट प्रतिरोधी किस्म का विकास किया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • व्हाइटफ्लाइज़ नामक कीट कपास की फसल को नुकसान पहुँचाने वाले विनाशकारी कीटों में से एक है।
  • व्हाइटफ्लाइज़ 2000 से अधिक पौधों की प्रजातियों को नुकसान पहुँचाते हैं एवं पौधों से संबंधित 200 विषाणुओं के प्रति रोग वाहक के रूप में भी कार्य करते हैं। 
  • NBRI लखनऊ द्वारा विकसित कपास की इस किस्म का परीक्षण अप्रैल-अक्तूबर 2020 तक पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के फरीदकोट केंद्र में किया जाएगा। 
  • उल्लेखनीय है कि ये कीट सबसे अधिक कपास की फसल को नुकसान पहुँचता है तथा वर्ष 2015 में पंजाब में कपास की दो-तिहाई फसल इसी कीट की वजह से नष्ट हो गई थी। 

आवश्यकता:

  • बीटी कपास आनुवंशिक रूप से संशोधित और किसानों हेतु बाज़ार में मौजूद एक कपास है। विशेषज्ञों के अनुसार, बीटी कपास केवल दो कीटों के लिये प्रतिरोधी है, यह व्हाइटफ्लाइज़ के लिये प्रतिरोधी नहीं है। 
  • गौरतलब है कि व्हाइटफ्लाइज़ न केवल कपास को नुकसान पहुँचाता है बल्कि कई अन्य फसलें भी इससे प्रभावित होती हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2007 में विशेषज्ञों ने कीट प्रतिरोधी एक अन्य कपास पर काम करने का फैसला किया था। 

खोज से संबंधित मुद्दे:

  • कीटरोधी किस्म विकसित करने हेतु शोधकर्त्ताओं ने 250 छोटे पौधों को चुना ताकि यह चिह्नित किया जा सके कि कौन-सा प्रोटीन अणु व्हाइटफ्लाइज़ को रोकने में सक्षम है। 
  • चुने गए सभी पौधों के पत्तों का अर्क अलग-अलग तैयार किया गया और व्हाइटफ्लाइज़ को खिलाया गया। खाद्य फर्न (Fern) टेक्टारियामैक्रोडोंटा (Tectariamacrodonta) की पत्ती का अर्क व्हाइटफ्लाइज़ के लिये विषैला साबित हुआ।
  • इस फर्न का उपयोग नेपाल में सलाद के रूप में और एशिया के कई क्षेत्रों में गैस्ट्रिक विकारों को दूर करने हेतु एक पाचक के रूप में उपयोग में लाया जाता है। 
  • जब व्हाइटफ्लाइज़ को टेक्टोरियामैक्रोडोंटा कीटनाशक प्रोटीन की खुराक दी जाती है, तो इससे इस कीट का जीवन चक्र प्रभावित होता है जैसे- खराब अंडा देना, अविकसित कीट (Nymph), लार्वा का विकास न होना इत्यादि। 
  • इस प्रोटीन को अन्य कीटों पर निष्प्रभाव पाया गया जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रोटीन विशेष रूप से व्हाइटफ्लाइज़ के लिये विषाक्त है एवं तितली और शहद जैसे अन्य लाभकारी कीड़ों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। 

टेक्टोरियामैक्रोडोंटा (Tectariamacrodonta):

  • टेक्टोरियामैक्रोडोंटा एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में एवं आमतौर पर भारत के पश्चिमी घाटों में पाया जाता है।

Tectariamacrodonta

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान

(National Botanical Research Institute-NBRI) :

  • NBRI वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research-CSIR), नई दिल्ली के प्रमुख घटक अनुसंधान संस्थानों में से एक है।
  • यह वनस्पति विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान करता है, जिसमें प्रलेखन, संरक्षण और आनुवंशिक सुधार शामिल है।
  • इसकी स्थापना मूल रूप से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान (NBG) के रूप में की गई थी जिसे वर्ष 1953 में CSIR ने अपने अधिकार में ले लिया था।
  • यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कार्य करता है।


स्रोत: पीआईबी

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