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भारतीय अर्थव्यवस्था

CSR पर गठित इंजेती श्रीनिवास समिति की रिपोर्ट

  • 16 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (Corporate Social Responsiblity-CSR) पर गठित इंजेती श्रीनिवासन समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत की है। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस समिति ने CSR के अनुपालन के उल्लंघन को सिविल अपराध की श्रेणी में रखकर जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। हाल ही में सरकार ने अनुपालन के उल्लंघन की दशा में तीन साल की जेल का प्रावधान किया था। 
  • समिति ने CSR पर खर्च को कर कटौती योग्य (Tax Deductible) करने की सिफारिश की है। 
  • CSR की खर्च न की जा सकी राशि को अगले 3 से 5 वर्षों की अवधि के लिये आगे बढ़ाने (Carry Forward) की सिफारिश की गई है। 
  • समिति ने कंपनी अधिनियम के खंड-7 (SCHEDULE VII) को संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप बनाने की सिफारिश की है। कंपनी अधिनियम के खंड-7 में CSR की राशि को खर्च करने हेतु मान्य गतिविधियाँ शामिल हैं। 
  • CSR में आपदा प्रबंधन, विकलांग कल्याण, विरासत संरक्षण, खेल संवर्द्धन, बुजुर्ग कल्याण आदि से संबंधित कोष को शामिल किया जाना चाहिये। 
  • CSR को एक व्यापक प्रक्रिया बनाकर इसमें सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिये नवीन प्रौद्योगिकी उपलब्ध करवाई जानी चाहिये। 
  • CSR को सरकारी योजनाओं में धनराशि की कमी को पूरा करने के संसाधन के रूप प्रयोग नही किया जाना चाहिये। 
  • समिति ने यह भी सिफारिश की है कि 50 लाख रुपए से कम CSR-निर्धारित राशि (CSR-Prescribed Amount) वाली कंपनियों को CSR समिति के गठन से छूट दी जा सकती है। 
  • CSR गतिविधियों के अंतर्गत आने वाली स्थानीय क्षेत्र की प्राथमिकताओं (स्थानीय पर्यावरण पेयजल, शिक्षा आदि) को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संतुलित करने की भी सिफारिश की गई है। 
  • 5 करोड़ रूपए या इससे अधिक राशि वाले CSR के लिये प्रभाव आकलन अध्ययन (Impact Assessment Studies) भी शुरू करने की सिफारिश की गई है।
  • कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) के पोर्टल पर CSR-कार्यान्वयन एजेंसियों के पंजीकरण की भी सिफारिश की गई है। 

कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व

(Corporate Social Responsiblity-CSR) 

  • CSR से अभिप्राय किसी औद्योगिक इकाई का उसके सभी पक्षकारों, जैसे- संस्थापकों, निवेशकों, ऋणदाताओं, प्रबंधकों, कर्मचारियों, आपूर्तिकर्त्ताओं, ग्राहकों, वहाँ के स्थानीय समाज एवं पर्यावरण के प्रति नैतिक दायित्व से है। 
  • CSR का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनका निवल मूल्य (Net Worth) ₹ 500 करोड़ से अधिक हो या कुल कारोबार (Turnover) ₹1000 करोड़ से अधिक हो या शुद्ध लाभ (Net Profit) ₹5 करोड़ से अधिक हो।
  • CSR के तहत उपरोक्त कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के शुद्ध लाभ के औसत का 2% निम्नलिखित गतिविधियों पर खर्च करना पड़ता है:
    • गरीबी व भूख का उन्मूलन।
    • शिक्षा का प्रचार-प्रसार।
    • लिंग समानता व नारी सशक्तीकरण।
    • पर्यावरण संरक्षण।
    • शिशु-मृत्यु दर व मातृ-मृत्यु दर में सुधार।
    • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला, अल्पसंख्यक तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक-आर्थिक विकास और राहत के लिये केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित किसी कोष में योगदान आदि।

प्रभाव आकलन अध्ययन

(Impact Assessment Studies) 

  • CSR परियोजनाओं के द्वारा लक्षित लाभार्थियों तथा उनके आस-पास के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिवर्तनों का मूल्यांकन प्रभाव आकलन अध्ययन (Impact Assessment Studies) कहलाता है। 
  • यह परियोजना से संबंधित हितधारकों को परियोजना के संपूर्ण प्रभावों व परिणामों को समझने में सहायक होता है।  
  • प्रभाव आकलन अध्ययन परियोजना से संबंधित निर्णय प्रक्रिया को सरल बनाता है। 

स्रोत: द हिंदू , बिज़नेस स्टैंडर्ड

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