InTranSE-II कार्यक्रम के तहत शुरू की गई पहल | 13 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम (ODAWS), बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम और कॉमन स्मार्ट इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) कनेक्टिव (CoSMiC) सॉफ्टवेयर। मेन्स के लिये:इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम, सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने की पहल। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने एक स्वदेशी ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम (ODAWS), बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम और कॉमन स्मार्ट आई-ओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) कनेक्टिविटी (CoSMiC) सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है।
- इसे इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम एंडेवर फेज-II (Intelligent Transportation System Endeavor Phase-II - InTranSE-II) के तहत लॉन्च किया गया है।
भारतीय शहरों के लिये इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम एंडेवर:
- इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (ITS) एक क्रांतिकारी अत्याधुनिक तकनीक है।
- यह कुशल बुनियादी ढाँचे के उपयोग को बढ़ावा देकर यातायात की समस्याओं को कम कर यातायात में दक्षता को बढ़ाएगा, ताकि यात्रा में लगने वाले समय को कम करने और यात्रियों की सुरक्षा एवं यात्रा को आरामदायक बनाने के लिये यातायात के पूर्व उपयोगकर्त्ताओं को जानकारी से समृद्ध किया जा सकेगा।
- यह प्रणाली किसी भी दुर्घटना का पता लगा सकती है, साथ ही अलर्ट कर सकती है ताकि एक एम्बुलेंस 10-15 मिनट के भीतर दुर्घटना स्थल पर पहुँच सके।
- ITS में परिवर्तन को अधिक ऊर्जा और गति के साथ तालमेल बिठाने के लिये MeitY ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) आदि जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों तथा उन्नत कंप्यूटिंग के विकास केंद्र (सी-डैक) जैसा प्रीमियर आरएंडडी केंद्र को एक साथ एक छत के नीचे लाकर शुरुआती कदम उठाए हैं।
- इस तरह की पहल ने वर्ष 2009-2012 (चरण- I) के दौरान भारतीय शहरों के लिये इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (InTranSE) तैयार किया है।
- InTranSE चरण- II कार्यक्रम, (2019-2021) InTranSE चरण- I कार्यक्रम का विस्तार है, जिसका उद्देश्य IIT बॉम्बे, IIT मद्रास, IISc बंगलूरू और C-DAC तिरुवनंतपुरम के साथ मिलकर आरएंडडी (R&D) परियोजनाओं को शुरू करना है।
ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम (ODAWS):
- ODAWS में चालक के नज़दीक आने की निगरानी के लिये वाहन-आधारित सेंसर लगाने का प्रावधान है। साथ ही चालक की सहायता के लिये वाहन के आसपास सुनने और नज़र आने वाले अलर्ट भी इसमें शामिल हैं।
- परियोजना में नौवहन इकाई, चालक सहायता केंद्र और मिलीमीटर-वेव रडार सेंसर (mmWave Radar) जैसे उपायों का विकास शामिल है।
- mmWave RADAR वस्तुओं का पता लगाने और इन वस्तुओं की सीमा, वेग और कोण के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिये एक अत्यंत मूल्यवान सेंसिंग तकनीक है।
- नौवहन सेंसर से वाहन की सटीक भू-स्थानिक अभिविन्यास के साथ ही वाहन किस तरह चलाया जा रहा है, के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- ODAWS एल्गोरिथ्म का उपयोग सेंसर डेटा की व्याख्या करने और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये तथा ड्राइवर को वास्तविक समय पर सूचनाएँ प्रदान करने हेतु किया जाता है।
बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम:
- बस सिग्नल प्राथमिकता प्रणाली एक परिचालन रणनीति है जो सिग्नल नियंत्रित चौराहों पर सेवा में सार्वजनिक बसों को बेहतर ढंग से समायोजित करने के लिये सामान्य ट्रैफिक सिग्नल संचालन को संशोधित करती है।
- आपातकालीन वाहनों को तुरंत प्राथमिकता के विपरीत यहाँ यह एक शर्त आधारित प्राथमिकता है, जो केवल तभी दी जाती है जब सभी वाहनों के लिये देरी में समग्र रूप से कमी आती है।
- यह विकसित प्रणाली सार्वजनिक बसों को प्राथमिकता देकर अन्य वाहनों के विलंब में कमी लाएगी। इसके लिये हरी बत्ती के अंतराल को बढ़ाया जाएगा और लाल बत्ती के अंतराल को कम किया जाएगा। यह प्रणाली उस समय कार्य करना शुरू कर देगी, जब किसी चौराहे पर वाहन पहुंँचने वाले होंगे।
- हरी बत्ती अंतराल/ग्रीन एक्सटेंशन (Green Extension) एक चौराहे पर वाहनों की भीड़ को कम करने हेतु एक ज्ञात पारगमन वाहन के लिये अतिरिक्त समय प्रदान करता है। ग्रीन एक्सटेंशन का समय सबसे अधिक होता है जब ट्रांज़िट वाहन कतार के पीछे चलता है, जैसा कि एक दूर के स्टॉप के बाद पहले सिग्नल पर आम है।
- रेड ट्रंकेशन (Red Truncation) पहले किये गए प्रोग्राम की तुलना में एक ग्रीन फेज़ है जो अन्यथा की तुलना एक प्रतीक्षारत ट्रांज़िट वाहन के साथ चौराहे पर वाहनों की भीड़ को जल्द-से-जल्द कम करती है।
कॉमन स्मार्ट आई-ओटी कनेक्टिव (CoSMiC):
- यह मिडिलवेयर सॉफ्टवेयर है, जो वन-एम2एम (Machine -To Machine-oneM2M) आधारित वैश्विक मानक का पालन करते हुए आईओटी (IoT) की तैनाती करता है।
- वन-एम2एम वैश्विक मानकों की पहल है जो मशीन-टू-मशीन और IoT प्रौद्योगिकियों हेतु आवश्यकताओं, ढाँचागत, एपीआई [एप्प्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (Application Programming Interface-API)] विनिर्देशों, सुरक्षा समाधान और इंटरऑपरेबिलिटी को कवर करती है।
- यह विभिन्न वर्टिकल डोमेन में उपयोगकर्त्ताओं और एप्प्लीकेशन सेवा प्रदाताओं को वन-एम2एम मानक का अनुपालन करने वाली उचित रूप से परिभाषित सामान्य सेवा कार्यात्मकताओं के साथ एंड-टू-एंड कम्युनिकेशन हेतु एप्प्लीकेशन ऐग्नास्टिक ओपन स्टैंडर्ड (Application Agnostic Open Standards) और ओपन इंटरफेस (Open Interfaces) का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है।
- इसे ध्यान में रखकर कॉस्मिक सामान्य सेवा को किसी भी विक्रेता के इंटरफेस के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने हेतु अन्य सरकारी पहलें:
- ब्लैक स्पॉट की पहचान और सुधार:
- राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना संभावित स्थान) की पहचान और सुधार को उच्च प्राथमिकता दी गई है।
- क्षेत्रीय अधिकारियों को चिह्नित सड़क दुर्घटना ब्लैक स्पॉट के सुधार हेतु विस्तृत अनुमानों के तकनीकी अनुमोदन के लिये अधिकार प्रदान किये गए थे।
- सड़क सुरक्षा लेखा परीक्षा:
- योजना के स्तर पर सड़कों की सुरक्षा को सड़क डिज़ाइन का एक अभिन्न अंग बनाया गया है। सभी राजमार्ग परियोजनाओं का सड़क सुरक्षा ऑडिट सभी चरणों अर्थात् डिज़ाइन, निर्माण, संचालन और रखरखाव हेतु अनिवार्य कर दिया गया है।
- दिव्यांग व्यक्तियों के लिये सुविधाएंँ:
- केंद्र ने सभी राज्यों को दिव्यांग व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय राजमार्गों पर पैदल यात्री सुविधाओं हेतु दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं।
- सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के पूर्ण कॉरिडोर पर टोल प्लाज़ा पर पैरामेडिकल स्टाफ, आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन या नर्स के साथ एम्बुलेंस के लिये प्रावधान किये है।
- दुर्घटना पीड़ितों के बचाने वालों को पुरस्कृत करना:
- दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाने वालों को तत्काल सहायता देकर और उन्हें अस्पताल या ट्रॉमा केयर सेंटर पहुँचाने वालों को पुरस्कार देने की योजना की घोषणा की गई।