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भारतीय अर्थव्यवस्था

इनिशियल पब्लिक ऑफर

  • 28 Dec 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

इनिशियल पब्लिक ऑफर, ऑफर फॉर सेल, क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट,

मेन्स के लिये

भारतीय अर्थव्यवस्था में पूंजी जुटाने में IPO का योगदान

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2019 में इनिशियल पब्लिक ऑफर (Initial Public Offer-IPO) के ज़रिये 12,362 करोड़ रुपए का फंड जुटाया गया जो वर्ष 2014 के बाद से सबसे कम है, जबकि कंपनियों ने वर्ष 2014 में IPO के ज़रिये 1,201 करोड़ रुपए जुटाए थे।

प्रमुख बिंदु:

  • हालाँकि, ऑफर फॉर सेल (Offers For Sale - OFS) और क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (Qualified Institutional Placements - QIP) के ज़रिये वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में अधिक फंड जुटाया गया।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (Infrastructure Investment Trusts - InvITs) और रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (Real Estate Investment Trusts - ReITs) के माध्यम से जुटाई गई कुल राशि पिछले वर्ष की तुलना में 127% अधिक है।

Tepid-Enthusiasm

इनिशियल पब्लिक ऑफर

(Initial Public Offer):

  • IPO का अर्थ प्राथमिक बाज़ार में जनता को प्रतिभूतियों की बिक्री करना है।
    • प्राथमिक बाज़ार पहली बार जारी की जा रही नई प्रतिभूतियों से संबंधित है। इसे New Issues Market के रूप में भी जाना जाता है।
    • यह द्वितीयक बाज़ार से अलग होता है जहाँ मौजूदा प्रतिभूतियों को खरीदा और बेचा जाता है। इसे स्टॉक बाज़ार या स्टॉक एक्सचेंज के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह तब होता है जब एक गैरसूचीबद्ध कंपनी (Unlisted Companies) या तो प्रतिभूतियों को नए रूप में जारी करती है या अपनी मौजूदा प्रतिभूतियों की बिक्री का प्रस्ताव या दोनों को पहली बार जनता के लिये पेश करती है।
    • गैरसूचीबद्ध कंपनियाँ (Unlisted Companies) वे कंपनियाँ हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं होती हैं।
  • इसे आमतौर पर नए और मध्यम आकार के फर्मों द्वारा उपयोग किया जाता है जो अपने व्यवसाय को विकसित करने और विस्तार के लिये धन की ज़रूरत महसूस कर रहे होते हैं।

ऑफर फॉर सेल (Offer For Sale-OFS):

  • इस प्रणाली के तहत प्रतिभूतियों को सीधे जनता के लिये जारी नहीं किया जाता है, बल्कि बिचौलियों जैसे- मकान या शेयर दलालों के माध्यम से बेचने के लिये जारी किया जाता है।
  • इस प्रणाली में एक कंपनी दलालों को उचित मूल्य पर प्रतिभूतियों को बेचती है, इसके बाद ये बिचौलिये इन प्रतिभूतियों को जनता को बेचते हैं।
  • ऑफर फॉर सेल के ज़रिये आम लोगों से कंपनी के शेयर खरीदने का आग्रह किया जाता है किंतु इसके लिये किसी बिचौलिये जैसे इनवेस्टमेंट बैंक को नियुक्त किया जाता है।

क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट

(Qualified Institutional Placements-QIP):

  • QIP पूंजी जुटाने का एक तरीका है जिसमें एक सूचीबद्ध कंपनी (Listed Company) इक्विटी शेयर, पूरी तरह या आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर, या कोई प्रतिभूति (वारंट के अलावा) जारी कर सकती है जो इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय हो।
    • एक सूचीबद्ध कंपनी (Listed Company) एक फर्म होती है जिसके शेयर सार्वजनिक ट्रेडिंग के लिये स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं। इसे कोटेड कंपनी (Quoted Company) भी कहा जाता है।
  • यह एक ऐसी विधि है जिसके तहत एक सूचीबद्ध कंपनी निवेशकों के चुनिंदा समूह को शेयर या परिवर्तनीय प्रतिभूतियाँ जारी कर सकती है।
  • किंतु एक IPO के विपरीत एक QIP जारी करने में केवल कुछ संस्थान या Qualified Institutional Buyers-QIBs ही भाग ले सकते हैं।
    • QIB में म्यूचुअल फंड, घरेलू वित्तीय संस्थान जैसे- बैंक और बीमा कंपनियाँ, वेंचर कैपिटल फंड, विदेशी संस्थागत निवेशक और अन्य शामिल होते हैं।

इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट

(Infrastructure Investment Trust-InvIT):

  • InvIT म्यूचुअल फंड की तरह एक सामूहिक निवेश योजना है
  • म्यूचुअल फंड इक्विटी शेयरों में निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं जबकि InvIT सड़क और बिजली जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश करने की अनुमति देता है।
  • InvIT को सेबी (इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्टस) विनियमन, 2014 द्वारा विनियमित किया जाता है।

रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट

(Real Estate Investment Trust-ReIT):

  • ReITs अचल संपत्ति से जुड़ी प्रतिभूतियाँ हैं और सूचीबद्ध होने के बाद इनका स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार किया जा सकता है।
  • ReITs की संरचना एक म्यूचुअल फंड के समान है। म्यूचुअल फंड की तरह ही ReITs में प्रायोजक, ट्रस्टी, फंड मैनेजर और यूनिट धारक होते हैं।
  • हालाँकि म्यूचुअल फंड के माध्यम से अंतर्निहित संपत्ति बाण्ड, स्टॉक और सोना में निवेश किया जाता है तो वहीं ReITs में भौतिक अचल संपत्ति (Physical Real Estate) में निवेश किया जाता है।
  • इस प्रणाली में आय-उत्पादक रियल एस्टेट से एकत्र किये गए धन को यूनिट धारकों के बीच वितरित किया जाता है। इसके साथ ही किराये और पट्टों से नियमित आय के अलावा अचल संपत्ति की पूंजी से लाभ भी यूनिट धारकों के लिये एक आय का माध्यम बनता है।

स्रोत- द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस

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