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महँगाई दर में तेज़ी और औद्योगिक विकास में मंदी

  • 13 Dec 2017
  • 7 min read

चर्चा में क्यों ?

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office - CSO) द्वारा नवंबर, 2017 के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) पर आधारित महँगाई दर के आँकड़े जारी किये गए। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिये सी.पी.आई. आधारित महँगाई दर 4.79 फीसदी (अनंतिम) रही, जो नवंबर, 2016 में 4.13 फीसदी थी। इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लिये सी.पी.आई. आधारित महँगाई दर नवंबर, 2017 में 4.90 फीसदी (अनंतिम) आँकी गई, जो नवंबर 2016 में 3.13 फीसदी थी। ये दरें अक्‍टूबर, 2017 में क्रमशः 3.36 तथा 3.81 फीसदी (अंतिम) थीं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिये सी.एफ.पी.आई. (Consumer Food Price Index - CFPI) आधारित महँगाई दर 4.11 फीसदी (अनंतिम) रही, जो नवंबर, 2016 में 2.79 फीसदी थी। 
  • इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लिये सी.एफ.पी.आई. आधारित महँगाई दर नवंबर, 2017 में 4.90 फीसदी (अनंतिम) आँकी गई, जो नवंबर, 2016 में 0.75 फीसदी थी। ये दरें अक्टूबर, 2017 में क्रमशः 1.75 तथा 2.13 फीसदी (अंतिम) थीं।
  • यदि शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर समग्र रूप से गौर करें तो सी.पी.आई. पर आधारित महँगाई दर नवंबर, 2017 में 4.88 फीसदी (अनंतिम) आँकी गई है, जो नवंबर, 2016 में 3.63 फीसदी (अंतिम) थी। वहीं, सी.पी.आई. पर आधारित महँगाई दर अक्‍टूबर, 2017 में 3.58 फीसदी (अंतिम) थी। 
  • इसी तरह यदि शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर समग्र रूप से गौर करें तो सी.एफ.पी.आई. पर आधारित महँगाई दर नवंबर, 2017 में 4.42 फीसदी (अनंतिम) रही है, जो नवंबर, 2016 में 2.03 फीसदी (अंतिम) थी। वहीं, सी.एफ.पी.आई. पर आधारित महँगाई दर अक्‍टूबर, 2017 में 1.90 फीसदी (अंतिम) थी।

आधार वर्ष का निर्धारण

सांख्‍यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्‍वयन मंत्रालय के केन्‍द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सी.एस.ओ.) द्वारा उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सी.पी.आई.) के लिये आधार वर्ष को 2010=100 से संशोधित करके 2012=100 कर दिया गया है।

मुद्रास्फीति (Inflation)

  • जब मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा होता है तो वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। कीमतों में इस वृद्धि को मुद्रास्फीति कहते हैं।   
  • अत्यधिक मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के लिये हानिकारक होती है, जबकि 2 से 3% की मुद्रास्फीति की दर अर्थव्यस्था के लिये ठीक होती है। 
  • मुद्रास्फीति मुख्यतः दो कारणों से होती है, मांग कारक और मूल्य वृद्धि कारक से। मुद्रास्फीति के कारण अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में मंदी आ जाती है।  
  • मुद्रास्फीति का मापन तीन प्रकार से किया जाता है:- थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एवं राष्ट्रीय आय विचलन विधि से।    

थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index)

  • इसमें मुद्रास्फीति की दर की गणना थोक मूल्यों पर की जाती है अर्थात जो सामान थोक में बेचा जाता है और उपभोक्ताओं के बजाय संगठनों के बीच कारोबार होता है।  
  • भारत में मुद्रास्फीति की गणना के लिये इसी पद्वति का प्रयोग किया जाता है।  मुद्रास्फीति ज्ञात करने की यह एक आसान विधि है।  
  • इसमें मुद्रास्फीति की दर वर्ष के शुरुआत और अंत में गणना की गई थोक मूल्य सूचकांक के अंतर से निकाली जाती है।  

उपभोक्ता कीमत सूचकांक (Consumer Price Index)

  • किसी अर्थव्यवस्था के उपभोग व्यय का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुओं और सेवाओं के कीमत परिवर्तन का आकलन करने वाली व्यापक माप को उपभोक्ता कीमत सूचकांक कहा जाता है। 
  • इसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें खुदरा मूल्य पर ली जाती हैं।  
  • इसका आधार वर्ष 2011-12 है।  इसे मासिक आधार पर ज़ारी किया जाता है।

थोक मूल्य सूचकांक एवं उपभोक्ता कीमत सूचकांक में क्या अंतर है ?

  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का उपयोग थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों का पता लगाने के लिये किया जाता है। 
  • अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापना या पता लगाना वास्तव में असंभव है। इसलिये थोक मूल्य सूचकांक में एक नमूने को लेकर मुद्रास्फीति को मापा जाता है। 
  • इसके पश्चात् एक आधार वर्ष तय किया जाता है जिसके सापेक्ष में वर्तमान मुद्रास्फीति को मापा जाता है। 
  • भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर महँगाई की गणना की जाती है। 
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ( CPI ) में मुद्रास्फीति की माप खुदरा स्तर पर की जाती है जिससे उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते हैं। यह पद्वति आम उपभोक्ता पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को बेहतर तरीके से मापती है।
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