औद्योगिक उत्पादन सूचकांक | 11 May 2019
चर्चा में क्यों?
विनिर्माण क्षेत्र में मंदी की वज़ह से पिछले 21 महीनों में पहली बार औद्योगिक वृद्धि मार्च में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत थी जी वित्तीय वर्ष 2018-2019 में घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई।
- अनुमानों के अनुसार, तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत थी जो चौथी तिमाही में घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई।
- हालाँकि उद्योग के आठ प्रमुख क्षेत्रों (जिनका सूचकांक में 40 प्रतिशत का योगदान है) ने 4.7 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की है।
- किंतु निर्माण गतिविधियों में सुस्ती और खनन में वृद्घि धीमी रहने से औद्योगिक वृद्घि की रफ्तार प्रभावित हुई है।
- इससे वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी की वृद्घि पर प्रभाव पड़ सकता है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
(Index of Industrial Production)
- यह सूचकांक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि खनिज खनन, बिजली, विनिर्माण आदि।
- इसे केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
- IIP एक समग्र संकेतक है जो कि प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) एवं उपयोग आधारित क्षेत्र के आधार पर आँकडें उपलब्ध कराता है।
इसमें शामिल आठ प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) निम्नलिखित हैं:
- रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products)
- विद्युत (Electricity)
- इस्पात (Steel)
- कोयला (Coal)
- कच्चा तेल (Crude Oil)
- प्राकृतिक गैस (Natural Gas)
- सीमेंट (Cement)
- उर्वरक (Fertilizers)
- अप्रैल 2017 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का आधार वर्ष 2004-05 से संशोधित कर 2011-12 कर दिया गया है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO)
- विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु मई 1951 में ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (CSO) की स्थापना की गई थी।
- यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकड़ों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ ही आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण कार्य भी आयोजित करता है।
- यह देश में सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।