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औद्योगिक विकास दर और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक : वृद्धि के संकेत

  • 13 Mar 2018
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office-CSO) द्वारा जनवरी, 2018 के लिये औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (Index of Industrial Production) तथा फरवरी, 2018 के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) पर आधारित महँगाई दर के आँकड़े जारी किये गए।

औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (Index of Industrial Production-IIP)

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) एक ऐसा सूचकांक है जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे-खनन, विद्युत, विनिर्माण आदि के लिये संवृद्धि (growth) का विवरण प्रस्तुत करता है।
  • 14 स्रोत एजेंसियों से प्राप्‍त आँकड़ों के आधार पर आईआईपी का आकलन किया जाता है। इन एजेंसियों में औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी), केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और उर्वरक विभाग को शामिल किया जाता हैं।
  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा जारी किया जाने वाला यह सूचकांक किसी चयनित अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादों की एक बास्केट के उत्पादन की मात्रा में अल्पावधि में होने वाले परिवर्तनों का मापन करता है।
  • CSO ने अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों को ग्रहण करने वाले सूचकांकों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये IIP एवं WPI (Wholsale Price Index) हेतु आधार वर्ष को 2004-05 के बदले 2011-12 कर दिया।

जनवरी 2018 के आँकड़ें

  • जनवरी 2018 में औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक 132.3 अंक रहा, जो जनवरी 2017 के मुकाबले 7.5 फीसदी अधिक रहा। अर्थात् जनवरी 2018 में औद्योगिक विकास दर 7.5 फीसदी रही।
  • इसी तरह अप्रैल-जनवरी 2017-18 में औद्योगिक विकास दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 4.1 फीसदी आँकी गई।
  • जनवरी 2018 में खनन, विनिर्माण (मैन्‍युफैक्‍चरिंग) एवं बिजली क्षेत्रों की उत्‍पादन वृद्धि दर जनवरी 2017 के मुकाबले क्रमश: 0.1, 8.7 तथा 7.6 फीसदी रही। इसी प्रकार अप्रैल-जनवरी 2017-18 में इन तीनों क्षेत्रों यानी सेक्‍टरों की उत्‍पादन वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में क्रमश: 2.5, 4.3 तथा 5.3 फीसदी आँकी गई।
  • उपयोग आधारित वर्गीकरण के अनुसार, जनवरी 2018 में प्राथमिक वस्‍तुओं (Primary Goods), पूंजीगत सामान (Capital Good), मध्‍यवर्ती वस्‍तुओं (Intermediate Goods) एवं बुनियादी ढाँचागत/निर्माण वस्‍तुओं (Infrastructure/ Construction Goods) की उत्‍पादन वृद्धि दर जनवरी 2017 की तुलना में क्रमश: 5.8, 14.6, 4.9 और 6.8 फीसदी रही।
  • जहाँ तक टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान के संबंध का प्रश्न है, इनकी उत्‍पादन वृद्धि दर जनवरी 2018 में 8.0 फीसदी रही। वहीं, दूसरी ओर गैर-टिकाऊ उपभोक्‍ता सामान की उत्‍पादन वृद्धि दर जनवरी 2018 में 10.5 फीसदी रही। 

थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index)

  • इसमें मुद्रास्फीति की दर की गणना थोक मूल्यों पर की जाती है अर्थात् जो सामान थोक में बेचा जाता है और साथ ही इसमें उपभोक्ताओं की बजाय संगठनों के बीच कारोबार होता है।
  • भारत में मुद्रास्फीति की गणना के लिये इसी पद्वति का प्रयोग किया जाता है। मुद्रास्फीति ज्ञात करने की यह एक आसान विधि है। 
  • इसमें मुद्रास्फीति की दर वर्ष के शुरुआत और अंत में गणना की गई थोक मूल्य सूचकांक के अंतर से निकाली जाती है।  
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI)
  • उपभोक्ता कीमत सूचकांक किसी अर्थव्यवस्था के उपभोग व्यय का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में परिवर्तन का आकलन करने वाली व्यापक माप को उपभोक्ता कीमत सूचकांक कहा जाता है।
  • इसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें खुदरा मूल्य पर ली जाती हैं। 
  • इसका आधार वर्ष 2011-12 है। इसे मासिक आधार पर ज़ारी किया जाता है।

फरवरी 2018 के आँकड़े

  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, फरवरी 2018 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिये सीपीआई आधारित महँगाई दर 4.37 फीसदी (अनंतिम) रही, जो फरवरी 2017 में 3.65 फीसदी थी।
  • इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों के लिये सीपीआई आधारित महँगाई दर फरवरी 2018 में 4.52 फीसदी (अनंतिम) आँकी गई, जो फरवरी 2017 में 3.55 फीसदी थी। ध्यान देने वाली बात यह है कि ये दरें जनवरी 2018 में क्रमशः 5.21 तथा 4.93 फीसदी (अंतिम) थीं।
  • अगर शहरी एवं ग्रामीण दोनों के विषय में समग्र रूप से विचार करें तो हम पाएंगे कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महँगाई दर फरवरी 2018 में 4.44 फीसदी (अनंतिम) आँकी गई है, जो फरवरी 2017 में 3.65 फीसदी (अंतिम) थी।
  • वहीं, दूसरी ओर सीपीआई पर आधारित महँगाई दर जनवरी 2018 में 5.07 फीसदी (अंतिम) थी। 

WPI एवं CPI में क्या अंतर है?

  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का उपयोग थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों का पता लगाने के लिये किया जाता है।
  • अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापना या उनका पता लगाना वास्तव में असंभव है। इसलिये  थोक मूल्य सूचकांक में एक नमूने को लेकर मुद्रास्फीति को मापा जाता है।
  • इसके पश्चात् एक आधार वर्ष तय किया जाता है जिसके सापेक्ष वर्तमान मुद्रास्फीति को मापा जाता है।
  • भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर महँगाई की गणना की जाती है।  उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में मुद्रास्फीति की माप खुदरा स्तर पर की जाती है जिसमें उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते हैं।
  • यह पद्वति आम उपभोक्ता पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को बेहतर तरीके से मापती है।

उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (Consumer Food Price Index-CFPI)

  • उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) को देश की आबादी द्वारा उपभोग किये गए खाद्य पदार्थों के खुदरा मूल्यों में परिवर्तन के रूप में मापा जाता है।
  • CFPI के तहत ग्रामीण, शहरी और अखिल भारतीय आधार पर खाद्य मूल्य स्तर में आने वाले परिवर्तन की जानकारी दी जाती है।
  • CFPI का आधार वर्ष 2012 है।

फरवरी 2018 के आँकड़े

  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा फरवरी 2018 के लिये उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) पर आधारित महँगाई दर के आँकड़े भी जारी किये गए। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लिये CFPI आधारित महँगाई दर 3.62 फीसदी (अनंतिम) रही, जो फरवरी 2017 में 2.01 थी।
  • इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लिये CFPI आधारित महँगाई दर फरवरी 2018 में 2.45 फीसदी (अनंतिम) आँकी गई, जो फरवरी 2017 में 1.87 फीसदी थी। ये दरें जनवरी 2018 में क्रमशः 5.05 तथा 4.06 फीसदी (अंतिम) थीं।
  • इसी तरह यदि शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों पर समग्र रूप से गौर करें तो उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) पर आधारित महँगाई दर फरवरी 2018 में 3.26 फीसदी (अनंतिम) रही है, जो फरवरी 2017 में 2.01 फीसदी (अंतिम) थी।
  • वहीं, CFPI पर आधारित महँगाई दर जनवरी 2018 में 4.70 फीसदी (अंतिम) थी।  
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