भारत-चीन के मध्य सीमा विवाद पर शांति बहाली | 09 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:भारत-चीन गतिरोध, पैंगोंग त्सो झील, वास्तविक नियंत्रण रेखा, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट, शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), भारत-चीन सैन्य वार्ता, अक्साई चिन। मेन्स के लिये :भारत-चीन गतिरोध और शांति समाधान। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय और चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग क्षेत्र में पेट्रोलिंग पिलर-15 (PP-15) से हटना शुरू कर दिया है।
- दोनों देशों की सेनाएँ अप्रैल 2020 से इलाके में टकराव की स्थिति में थीं।
- यह कदम उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) शिखर सम्मेलन से पहले आया है।
वर्तमान शांति समाधान की मुख्य विशेषताएँ:
- मई 2020 से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिये एक कदम आगे बढ़ते हुए, भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट -15 से हटना शुरू कर दिया है।
- PP-15 लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ 65 पेट्रोलिंग पॉइंट बिंदुओं में से एक है।
- यह शांति समाधान समन्वित और नियोजित तरीके से शुरू हुआ है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के लिये अत्यंत आवश्यक है।
- शांति समाधान पर पहले से हुई वार्त्ता के अनुसार दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों को वापस लेने के बाद संघर्ष बिंदुओं पर एक बफर ज़ोन बनाया जाना है और पूरी तरह से शांति समाधान के बाद नए पेट्रोलिंग मानदंडों पर कार्य किया जाएगा।
- भारत चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक के 16वें दौर में शांति समाधान के बारे में सहमति बनी।
- 16वें दौर की वार्त्ता 17 जुलाई, 2022 को भारत की ओर चुशुल सीमा कर्मियों के बैठक स्थल पर संपन्न हुई।
- मई 2020 में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों पक्षों ने अब तक पैंगोंग त्सो के दोनों पक्षों की ओर से किये गए शांति समाधान के साथ 16 दौर की वार्त्ता की है।
- PP -15 से सैनिकों के पीछे हटने के साथ ही दोनों देशों की सेनाएँ क्षेत्र में टकराव वाले सभी बिंदुओं से पीछे हट गई हैं जिनमें पैंगोंग त्सो, PP-14, PP-15 और PP-17A के उत्तर और दक्षिण तट शामिल हैं।
- 12वीं कॉर्प कमांडर स्तर की बैठक के बाद अगस्त 2021 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच PP-17A में सीमा पर तनाव कम करने हेतु सहमत हुए।
- वे डेमचोक और डेपसांग हैं, जिन्हें चीन ने लगातार यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया है कि वे मौजूदा गतिरोध का हिस्सा नहीं हैं।
हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट
- अवस्थिति:
- हॉट स्प्रिंग्स चांग चेन्मो नदी के उत्तर में है और गोगरा पोस्ट उस बिंदु के पूर्व में है जहाँ नदी गलवान घाटी से दक्षिण-पूर्व में आने और दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ते हुए हेयरपिन मोड़ लेती है।
- यह क्षेत्र पहाड़ों की काराकोरम रेंज के उत्तर में है, जो पैंगोंग त्सो झील के उत्तर में और गलवान घाटी के दक्षिण पूर्व में स्थित है।
- महत्त्व:
- यह क्षेत्र कोंगका दर्रे के करीब स्थित है, जो मुख्य दर्रों में से एक है, चीन के अनुसार, यह दर्रा भारत और चीन के बीच की सीमा को चिह्नित करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भारत का दावा काफी हद तक पूर्व में है, क्योंकि इसमें पूरा अक्साई चिन क्षेत्र भी शामिल है।
- हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट, चीन के ऐतिहासिक रूप से दो सबसे अशांत प्रांतों (शिनजियांग और तिब्बत) के बीच की सीमा के करीब हैं।
आगे की राह
- भारत को टकराव वाले सभी क्षेत्रों से तनाव कम करने के लये दबाव जारी रखना चाहिये।
- साथ ही कोर कमांडर स्तर की वार्त्ता जारी रखनी चाहिये क्योंकि जब तक गतिरोध की स्थिति बनी रहती है तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
- भारत को यथास्थिति की बहाली और LAC के साथ बहाली पर अपना रुख अडिग रखना चाहिये।
पूरी तरह से सौर ऊर्जा चालित चीन का सेमी-सैटेलाइट ड्रोन:
- परिचय:
- चीन के पहले पूरी तरह से सौर ऊर्जा से चलने वाले मानवरहित हवाई वाहन (UAV) ने अपनी पहली परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी कर ली है, जिसमें सभी ऑनबोर्ड सिस्टम बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं।
- ड्रोन एक बड़ी मशीन है जो पूरी तरह से सौर पैनलों द्वारा संचालित होती है जिसमें 164-फीट के पंख लगे हैं।
- Qimingxing-50, या मॉर्निंग स्टार-50 नाम का यह ड्रोन 20 किमी की ऊँचाई से ऊपर उड़ता है जहाँ बिना बादलों के स्थिर वायु प्रवाह होता है।
- उच्च-तुंगता, अधिक- स्थिरता (HALE) के साथ UAV लंबी अवधि तक हवा में रह सकती है।
- यह विस्तारित अवधि इन ड्रोनों को क्रियाशील रहने हेतु सौर उपकरणों का अधिकतम उपयोग करने में मदद करता है।
- इस ड्रोन को 'हाई एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म स्टेशन' या छद्म उपग्रह भी कहा जाता है।
- महत्त्व:
- यह बिना रुके महीनों, वर्षों तक काम कर सकता है।
- यह उपग्रह जैसे कार्यों को करने में सक्षम है।
- यदि उपग्रह सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं उदाहरण के लिये समय-संवेदी संचालन या युद्धकालीन व्यवधान के मामले में, तो निकट-अंतरिक्ष UAV परिचालन अंतराल को भरने के लिये कदम उठा सकते हैं।
- मॉर्निंग स्टार-50 की अधिक- स्थिरता इसकी क्षमता को लंबी अवधि तक उपलब्ध कराने हेतु एक अतिरिक्त लाभ प्रदान करती है।
- यह निगरानी मिशन चला सकता है जिसके लिये इसे महीनों तक परिचालन रहकर सीमाओं या महासागरों पर निगरानी रखने की आवश्यकता होती है।
- इसका उपयोग वनाग्नि निगरानी, संचार और पर्यावरण प्रसार हेतु किया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:Q. "चीन एशिया में संभावित सैन्य शक्ति स्थिति विकसित करने के लिये अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के आलोक में, भारत पर उसके पड़ोसी देश के रूप में इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (2017) |