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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

स्वदेशी ईंधन सेल प्रणाली

  • 27 Sep 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) के स्थापना दिवस के अवसर पर देश की पहली स्वदेशी उच्च तापमान ईंधन सेल प्रणाली का अनावरण किया गया।

विकास :

  • इस उच्च तापमान ईंधन सेल प्रणाली का विकास ‘न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशिएटिव (New Millennium Indian Technology Leadership Initiative- NMITLI)’ के तहत वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा भारतीय उद्योगों की साझेदारी में किया गया है।
  • इस कार्य को CSIR की तीन प्रयोगशालाओं तथा दो भारतीय उद्योगों के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP) के माध्यम से पूरा किया गया है।
    • CSIR की तीन प्रयोगशालाएँ
      • CSIR- राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (CSIR- National Chemical Laboratory), पुणे
      • CSIR- राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR- National Physical Laboratory), नई दिल्ली
      • CSIR- केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (CSIR- Central Electrochemical Research Institute), कराइकुडी (चेन्नई सेंटर)
    • दो भारतीय उद्योग
      • मैसर्स थर्मैक्स लिमिटेड (M/s Thermax Limited), पुणे
      • मैसर्स रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (M/s Reliance Industries Limited), मुंबई

प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ :

  • 5.0 kW की क्षमता वाली यह ईंधन सेल प्रणाली मेथनॉल/जैव-मीथेन का उपयोग करके उपोत्पाद के रूप में ऊष्मा और पानी के साथ हरित तरीके से बिजली पैदा करती है।
  • इस ईंधन सेल की दक्षता 70% से अधिक है, जो इसे अनन्य रूप से विशिष्ट बनाती है।
  • यह ईंधन सेल ‘उच्च तापमान प्रोटॉन विनिमय झिल्ली (High Temperature Proton Exchange Membrane- HTPEM)’ प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

अनुप्रयोग एवं महत्त्व :

  • यह भारत सरकार के डीज़ल को हरित वैकल्पिक ईंधन द्वारा प्रतिस्थापित करने के मिशन के अनुरूप है तथा इस उच्च तापमान ईंधन सेल प्रणाली का विकास भारत की कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
  • स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में यह ईंधन सेल प्रणाली वर्तमान ग्रिड-प्रणाली के सशक्त विकल्प की क्षमता से युक्त है।
  • इस ईंधन सेल प्रौद्योगिकी का विकास स्वदेशी है और गैर-ग्रिड ऊर्जा सुरक्षा के मामले में राष्ट्रीय महत्त्व रखता है।
  • यह छोटे कार्यालयों, वाणिज्यिक इकाइयों, डेटा केंद्रों आदि स्थिर (Stationary) बिजली अनुप्रयोगों के लिये सबसे उपयुक्त है।
  • यह प्रणाली टेलीकॉम टावरों तथा दूरस्थ स्थानों और रणनीतिक अनुप्रयोगों के लिये कुशल, स्वच्छ और विश्वसनीय बैकअप पावर जनरेटर (Backup Power Generator) की आवश्यकता को भी पूरा करेगी।
  • यह एक विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी है और इसका विकास भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा करता है।

न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशिएटिव

(New Millennium Indian Technology Leadership Initiative- NMITLI)

  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2000-01 में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP) मोड (Mode) में एक दूरदर्शी अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम के रूप में इसे शुरू किया गया।
  • भारत सरकार की ओर से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा इस कार्यक्रम का प्रबंधन किया जाता है ।
  • इसका उद्देश्य पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की सहायता से सभी प्रमुख क्षेत्रों में तकनीकी विकास के माध्यम से भारत को एक नेतृत्वकारी भूमिका प्रदान करना है।
  • NMITLI में शामिल हैं:
    • PPP के तहत समान शेयरिंग (50:50) के आधार पर उद्योगों और अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का वित्तपोषण;
    • वेंचर कैपिटल फंड्स (Venture Capital Funds) के साथ परियोजनाओं का सह-वित्तपोषण;
    • दीर्घकालिक प्रयासों के लिये चयनित क्षेत्रों में NMITLI के तहत नवाचार केंद्रों की स्थापना; इत्यादि
  • NMITLI के तहत परियोजनाओं को ऋण को इक्विटी में बदलने हेतु लचीलापन और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास में चुनिंदा रूप से शामिल करने की भी अनुमति दी जाती है।

स्रोत : PIB

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