UNFCCC में भारत के दूसरे द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट को प्रस्तुत करने की मंजूरी | 31 Dec 2018
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (United Nations Framework Convention on Climate Change-UNFCCC) के दायित्व-निर्वहन के तहत भारत की दूसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (Biennial Update Report-BUR) को UNFCCC के समक्ष प्रस्तुत करने को मंज़ूरी दे दी है।
- भारत ने जलवायु परिवर्तन पर पहली द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट वर्ष 2016 में प्रस्तुत की थी।
दूसरे द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट की विशेषताएँ
- UNFCCC में भारत की दूसरी द्विवार्षिक रिपोर्ट, सम्मेलन में प्रस्तुत पहली द्विवार्षिक रिपोर्ट का अद्यतन रूप है।
- द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट के पाँच प्रमुख घटक हैं-
- राष्ट्रीय परिस्थितियां (National Circumstances)
- राष्ट्रीय ग्रीन हाउस गैस (National Greenhouse Gas Inventory)
- शमन आधारित कार्यकलाप (Mitigation Actions)
- वित्त, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण संबंधी आवश्यकताएं तथा समर्थन प्राप्ति (Technology and Capacity Building Needs and Support Received)
- घरेलू निगरानी, रिपोर्ट व जाँच आधारित व्यवस्था [Domestic Monitoring, Reporting and Verification (MRV) arrangements]।
- द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR) राष्ट्रीय स्तर पर किए गए विभिन्न अध्ययनों के पश्चात तैयार की गई है। BUR की समीक्षा विभिन्न स्तरों पर की गई है, जिसमें शामिल हैं–
♦ विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा
♦ अवर सचिव (जलवायु परिवर्तन) की अध्यक्षता में प्रौद्योगिकी परामर्शदात्री विशेषज्ञ समिति (Technical Advisory Committee of Experts) द्वारा की गई समीक्षा
♦ अपर सचिव (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee) द्वारा की गई समीक्षा। राष्ट्रीय संचालन समिति एक अंतर-मंत्रालयी संस्था है।
♦ समीक्षा प्रक्रिया के पश्चात सभी संशोधनों व प्रासंगिक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए दूसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR) को अंतिम रूप दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार
- 2014 के दौरान भारत की सभी गतिविधियों से कुल 26,07,488 गीगाग्राम (CC-2 समतुल्य* लगभग 2.607 बिलियन टन) (land use, land use change and forestry- LULUCF को छोड़कर) ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ।
- LULUCF को शामिल करने के पश्चात कुल 23,06,295 गीगा ग्राम (लगभग 2.306 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य) ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ।
- कुल उत्सर्जन में ऊर्जा क्षेत्र की हिस्सेदारी 73 प्रतिशत, IPPU की 8 प्रतिशत, कृषि की 16 प्रतिशत और अपशिष्ट क्षेत्र की 3 प्रतिशत रही।
- वन भूमि, कृषि भूमि और आबादी के कार्बन सिंक ऐक्शन से उत्सर्जन में 12 प्रतिशत की कमी हुई।
वर्ष 2014 के लिए भारत की ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन तालिका
श्रेणी | कार्बन डाईऑक्साइड समतुल्य (गीगाग्राम) |
ऊर्जा | 19,09,765.74 |
औद्योगिक प्रक्रिया और उत्पाद उपयोग | 2,02,277.69 |
कृषि | 4,17,217.69 |
अपशिष्ट | 78,227.15 |
भूमि का उपयोग, भूमि उपयोग में बदलाव व वनीकरण (LULUCF) ** | -3,01,192.69 |
कुल (LULUCF को छोड़कर) | 26,07,488.12 |
कुल (LULUCF के साथ) | 23,06,295.43 |
** ऋणात्मक उत्सर्जन का अर्थ है सिंक ऐक्शन अर्थात वायुमंडल से प्रतिस्थापित कार्बन की कुल मात्रा।
* एक गीगा ग्राम = 109 ग्राम ; ग्रीन हाउस गैसों को उनकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता का उपयोग करते हुए कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य में परिवर्तित किया जाता है।
पृष्ठभूमि
- भारत, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) का सदस्य देश है।
- धारा 4.1 और धारा 12.1 के तहत सम्मेलन, विकसित और विकासशील देशों समेत सभी सदस्य देशों को सम्मेलन के सुझावों/दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन से संबंधित जानकारी/रिपोर्ट प्रदान करने का आग्रह करता है।
- UNFCCC के सदस्य देशों ने 16वें सत्र में अनुच्छेद 60 (c) निर्णय-1 के तहत यह निश्चित किया था कि अपनी क्षमता के अनुकूल विकासशील देश भी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
- इन रिपोर्टों में राष्ट्रीय ग्रीन हाऊस गैस तालिका के साथ-साथ उत्सर्जन कम करने के प्रयास, आवश्यकताएँ और समर्थन प्राप्ति का भी उल्लेख होगा।
- अनुच्छेद 41 (F) में वर्णित COP-17 के निर्णय-2 के अनुसार प्रत्येक दो वर्ष में द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्टें जमा की जाएँगी।
UNFCCC
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
- यह समझौता जून, 1992 के पृथ्वी सम्मेलन के दौरान किया गया था। विभिन्न देशों द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 21 मार्च, 1994 को इसे लागू किया गया।
- वर्ष 1995 से लगातार UNFCCC की वार्षिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। इसके तहत ही वर्ष 1997 में बहुचर्चित क्योटो समझौता (Kyoto Protocol) हुआ और विकसित देशों (एनेक्स-1 में शामिल देश) द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिये लक्ष्य तय किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 40 औद्योगिक देशों को अलग सूची एनेक्स-1 में रखा गया है।
- UNFCCC की वार्षिक बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP) के नाम से जाना जाता है।