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भारतीय विश्वविद्यालय रैंकिंग

  • 24 Oct 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विभिन्न संकेतक,महत्त्वपूर्ण रैंकिंग, स्कोपस डेटाबेस

मेन्स के लिये:

रैंकिंग एवं प्रयुक्त संकेतको का महत्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में क्वैकेरेली साइमंड्स (Quacquarelli Symonds- QS) द्वारा QS भारतीय विश्वविद्यालय रैंकिंग (QS Indian University Ranking)- 2020 जारी की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • उपरोक्त रैंकिंग भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये स्टैंडअलोन रैंकिंग का दूसरा संस्करण है।
  • इस रैंकिंग में शीर्ष दस में से सात स्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (Indian Institutes of Technology- IITs) को प्राप्त हुए हैं।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (Indian Institute of Science- IISc) इस वर्ष भी क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर रहे हैं।
  • इस वर्ष भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली ने अपने पिछले वर्ष की तुलना में एक रैंक का सुधार करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया है जबकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास चौथे स्थान पर है।
  • IITs के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय और भारतीय विज्ञान संस्थान भी शीर्ष-10 में शामिल हैं।
  • शीर्ष-10 में शामिल संस्थानों में हैदराबाद विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मद्रास की रैंकिंग में पिछली वर्ष की तुलना में गिरावट आई है।

संकेतक

  • इसमें आठ संकेतकों के आधार पर रैंकिंग निर्धारित की जाती है जिनकी एक निश्चित भारिता (Weightage) तय होती है। ये आठ संकेतक निम्नलिखित हैं -
    • शैक्षणिक प्रतिष्ठा (Academic Reputation)- 30%
    • नियोक्ता की प्रतिष्ठा (Employer Reputation)- 20%
    • संकाय-छात्र अनुपात (Faculty-Student Ratio)- 20%
    • पीएचडी धारक कर्मचारियों का अनुपात (Proportion of Staff with a PhD) - 10%
    • स्कोपस डेटाबेस के तहत प्रति संकाय के शोध-पत्रों की संख्या (Papers per Faculty from Scopus Database)- 10%
    • स्कोपस डेटाबेस के तहत प्रति शोध-पत्र उद्धरणों की संख्या (Citations per Paper from Scopus Database)- 5%
    • अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का अनुपात (Proportion of International Students)- 2.5%
    • अंतर्राष्ट्रीय संकाय (Proportion of International Faculty) का अनुपात- 2.5%

स्कोपस डेटाबेस (Scopus Database)

  • स्कोपस डेटाबेस एल्सेवियर (Elsevier- एक डच सूचना एवं विश्लेषण कंपनी) का एक डेटाबेस है। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मेडिसिन, कला, मानविकी इत्यादि क्षेत्रों से संबंधित सूचनाएँ, शोध-पत्र इत्यादि उपलब्ध करवाता है।
  • इसे वैज्ञानिकों की जानकारी या सूचनाओं तक सुगम एवं सरल पहुँच को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
  • स्कोपस डेटाबेस एल्सेवियर द्वारा विभिन्न पत्रिका (Journal) के प्रकाशकों के माध्यम से प्राप्त स्रोतों की सहायता से अनुसंधान प्रक्रिया को समर्थन प्रदान करता है।
  • इसके माध्यम से यह पता किया जा सकता है कि कोई शोध-पत्र किसके द्वारा उद्धृत किया जा रहा है, तथा एक लेख या लेखक को कुल कितने उद्धरण मिले हैं।
  • ‘अकादमिक प्रतिष्ठा’ सबसे अधिक भारिता वाला संकेतक है। यह QS द्वारा अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में शीर्ष-रैंकिंग वाले संस्थानों की पहचान करने हेतु शामिल किये गए शिक्षाविदों के प्रमुख वैश्विक सर्वेक्षणों पर आधारित होता है।
  • ‘कुल फैकल्टी में पीएचडी डिग्रीधारकों का अनुपात’ उच्च गुणवत्तायुक्त फैकल्टी भर्ती करने के संदर्भ में संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • इस रैंकिंग के अनुसार ‘अंतर्राष्ट्रीय फैकल्टी की संख्या’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या’ पर आधारित स्कोर संस्थान के वैश्विक आकर्षण और पहुँच को दर्शाता है।
  • ‘प्रति शोध-पत्र उद्धरणों की संख्या’ पर आधारित स्कोर अनुसंधान उत्पादकता का एक संकेतक है, जो प्रति सदस्य प्रकाशित शोध पत्रों की संख्या पर आधारित होता है।

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग से तुलना:

  • भारतीय विश्वविद्यालय रैंकिंग का QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (QS World University Rankings) के अनुरूप होना अनिवार्य नहीं है। दरअसल, दोनों रैंकिंग में अलग-अलग मानदंडों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये ‘शैक्षणिक प्रतिष्ठा’ को भारत विश्वविद्यालय रैंकिंग में जहाँ 30% भारिता दी जाती है, वहीं QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में इसकी भारिता 40% होती है।
  • ध्यातव्य है कि इस साल की शुरुआत में QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी की गई थी। इसके अनुसार भारतीय संस्थानों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- बॉम्बे और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- दिल्ली को क्रमशः पहला एवं दूसरा स्थान दिया गया था।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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