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साहित्यिक चोरी रोकने के लिये ‘उरकुंड’ का प्रयोग

  • 05 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission-UGC) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, भारत के सभी विश्वविद्यालयों को 1 सितंबर, 2019 से स्वीडिश साहित्यिक चोरी रोधी (Anti-Plagiarism) सॉफ्टवेयर 'उरकुंड' (Urkund) की सदस्यता मिलेगी।

प्रमुख बिंदु:

  • इस सॉफ्टवेयर का चुनाव वैश्विक टेंडर प्रक्रिया (Global Tender Process) के माध्यम से किया गया है।
  • हालाँकि वैश्विक संस्थानों द्वारा ‘टर्नटिन’ (अमेरिकी साहित्यिक चोरी रोधी सॉफ़्टवेयर) का प्रयोग किया जाता है, परंतु इसे बिना किसी अतिरिक्त सुविधा के भी 10 गुना महँगा पाया गया।
  • साहित्यिक चोरी को रोकने के लिये केंद्र सरकार दोहरा रुख अख्तियार कर रही है:
    • इस प्रक्रिया के पहले हिस्से के रूप में आने वाले वर्षों में यह सॉफ्टवेयर सभी 900 विश्वविद्यालयों में मुफ्त उपलब्ध होगा, जिसमें शिक्षक, छात्र और शोधकर्त्ता आदि शामिल हैं।
    • दूसरे चरण में केंद्र ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक अखंडता और साहित्यिक चोरी के रोकथाम) अधिनियम, 2018 को साहित्यिक चोरी के लिये वर्गीकृत सज़ा को निर्धारित करने के लिये अधिसूचित किया है।

नोट: साहित्यिक चोरी का आशय किसी और के साहित्यिक विचारों को खुद के साहित्यिक कार्य के रूप में प्रस्तुत करने से है।

शोध संस्कृति में सुधार के लिये गठित यूजीसी पैनल:

  • पी. बालाराम की अध्यक्षता में शोध संस्कृति में सुधार के लिये गठित यूजीसी पैनल ने उल्लेख किया था कि भारतीय शिक्षाविदों ने वर्ष 2010 और वर्ष 2014 के बीच लगभग 11,000 फर्जी पत्रिकाओं में प्रकाशित सभी लेखों में 35% का योगदान दिया था।
  • पैनल ने अपने शोध में यह पाया कि उपरोक्त अधिकांश लेख फर्जी इंजीनियरिंग पत्रिकाओं में थे, इसके बाद जैव-चिकित्सा/बायोमेडिसिन और सामाजिक विज्ञान की फर्जी पत्रिकाओं का स्थान था।
  • पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, शैक्षिक अनुसंधान के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिये प्राथमिक ज़िम्मेदारी स्वयं संस्थानों को लेनी होगी।
  • केंद्र के नियम और कानून मात्र संस्थाओं के नियमों में इज़ाफा कर सकते हैं।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

(University Grants Commission- UGC)

  • 28 दिसंबर, 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने औपचारिक तौर पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की नींव रखी थी।
  • विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग विश्‍वविद्यालयी शिक्षा के मापदंडों के समन्‍वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु वर्ष 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्‍थापित एक स्‍वायत्‍त संगठन है।
  • पात्र विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्‍त, आयोग केंद्र और राज्‍य सरकारों को उच्‍चतर शिक्षा के विकास हेतु आवश्‍यक उपायों पर सुझाव भी देता है।
  • इसका मुख्यालय देश की राजधानी नई दिल्ली में अवस्थित है। इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलूरू में हैं।

स्रोत: द हिंदू

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