वैश्विक कंपनियों के लिये आकर्षण का केंद्र बनता भारतीय परिवहन क्षेत्र | 31 May 2018
संदर्भ
भारत की स्मार्ट परिवहन प्रणाली की तलाश ने इसे अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के लिये हॉट स्पॉट बना दिया है। विश्व की कई बड़ी कंपनियाँ भारत में पॉड टैक्सी, हाइपरलूप, इलेक्ट्रिक वाहन, केबल कार और रोपेवे जैसी नवीनतम तकनीकों की पेशकश कर रही हैं। स्काईट्रान (स्काईट्रान) नामक एक ऐसी ही फर्म, जो नासा की टेक्नोलॉजी पार्टनर है, एक पॉड कार सिस्टम विकसित कर रही है, जो एक चालक रहित वाहन होगा और पूर्व-निर्धारित मार्ग पर संचालित होगा।
प्रमुख बिंदु
- इसी कंपनी ने इस तकनीक के प्रदर्शन हेतु अपने खर्चे पर भारत में 1 किलोमीटर का पायलट ट्रैक निर्मित करने में रुचि दिखाई है।
- कंपनी के अनुसार इस प्रणाली को व्यापक परिवहन प्रणाली के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- यह सिस्टम अंतर-शहरी पारगमन के मामले में 120 किमी/घंटा की गति से एवं अंतरा-शहरी पारगमन के मामले में 200-250 किमी/घंटा की गति से परिवहन कर सकता है।
- लॉस एंजेल्स स्थित एक अन्य कंपनी ‘वर्जिन हायपरलूप वन’ भी अपने वैक्यूम ट्यूब आधारित परिवहन प्रणाली स्थापित करने की योजना बना रही है, जो लोगों और माल के पारगमन हेतु चुंबक आधारित तकनीक का उपयोग करते हुए परिवहन में सक्षम होगी। इसकी गति 1,000-1,200 किमी/घंटा होगी।
- भारत में विदेशी कंपनियों द्वारा दिखाई जा रही इस रुचि का श्रेय सरकार को जाता है, जिसने अपने शासनकाल की शुरुआत से ही देश में नई और तीव्र परिवहन तकनीकों वाली प्रणालियों के परीक्षण के प्रति उत्साह प्रकट किया है।
- तब से लेकर अब तक इस संदर्भ में कई महत्त्वपूर्ण पहलें की जा चुकी हैं। उदाहरण के तौर पर गुरुग्राम और मानेसर के बीच नया परिवहन मोड, बसों के लिये इथेनॉल आधारित ईंधन, चार पहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के विचार जैसे कदमों को लिया जा सकता है।
- भारत में परिवहन व्यवसाय निरंतर स्मार्ट और इको-फ्रेंडली होता जा रहा है। उदाहरणस्वरूप राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा टोल टैक्स की स्वतः वसूली हेतु फास्टैग (FASTag) प्रणाली की शुरुआत की गई है, राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रैफिक की स्थिति के बारे में जानकारी हेतु एसएमएस अलर्ट और मेट्रो कार्ड जैसे कई स्मार्ट और नए तरीकों को अपनाया गया है।
- ओला और उबर जैसी मोबाइल एप्लिकेशनों द्वारा संचालित टैक्सी सेवाएँ, ऑनलाइन बस टिकट बुकिंग जैसी सुविधाएँ भी भारत को स्मार्ट परिवहन व्यवस्था वाला देश बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण पहलें है।
- जहाँ एक ओर नई तकनीकें स्मार्ट परिवहन को बढ़ावा देने में लगी हैं, वहीं दूसरी ओर केबल कार और रोपवे जैसी पुरानी तकनीकें भी लाइमलाइट में वापस आ गई हैं।
- केबल कार और रोपवे अब पर्यटन स्थलों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि घने बसे शहरों के लिये भी गैर-वाहन परिवहन समाधान के रूप में उभर रहे हैं।
- पिछले कुछ महीनों से कई राज्य सरकारें भी केबल कारों को स्मार्ट परिवहन समाधान के रूप में अपनाने हेतु रुचि दिखा रही हैं।
- उदाहरणस्वरूप उत्तराखंड केबल कारों का उपयोग करते हुए देहरादून और मसूरी के दो कस्बों को जोड़ने की योजना बना रहा है, जिससे इन दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय तीन घंटे से कम होकर 20 मिनट रह जाएगा। इसी प्रकार महाराष्ट्र सरकार भी अरब सागर के ऊपर से रोपवे निर्माण की तैयारी में है। यह रोपवे मुंबई को एलीफेंटा घुफाओं से जोड़ेगा।
- इसी प्रकार गुजरात भी गिरनार पर एक केबल कार मार्ग का निर्माण कर रहा है, जबकि गोवा मांडवी नदी के दो सिरों पर स्थित पणजी और रीस मैगोस को जोड़ने के लिये रोपवे का निर्माण कर रहा है।