बांग्लादेश में भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र निर्माण में उत्पन्न अवरोध | 01 Jun 2017

संदर्भ
भारत द्वारा बांग्लादेश के तीन स्थानों पर विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone - SEZ) स्थापित करने की परियोजना को वर्तमान में गंभीर अवरोधों का सामना करना पड़  रहा है। वास्तव में बांग्लादेश में भारत के लिये तय इन स्थानों पर मूलभूत बुनियादी सुविधाएँ, जैसे निर्बाध रूप से विद्युत आपूर्ति का न होना, इन स्थानों की  वाणिज्यिक रूप से वहनीयता को प्रभावित करती हैं।

मुख्य बिंदु 

  • ये तीन विशेष आर्थिक क्षेत्र- मोंगला, बहरामारा एवं मिरसराय में प्रस्तावित हैं। इनमे से मोंगला भारतीय सीमा पोस्ट, पेट्रापोले-बेनापोले एकीकृत चेक पोस्ट के नज़दीक अवस्थित है।
  • बांग्लादेश एवं भारत के मध्य यह समझौता जून 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री की बांग्लादेशी यात्रा के समय हुआ था।
  • इन तीनों एस.ई.ज़ेड. की व्यवस्था भारत के द्वारा सुविधापूर्ण लाइन ऑफ क्रेडिट (concessional Line of Credit) के तहत  बांग्लादेश  को दी जाएगी।
  • एस.ई.जेड. में निवेश को आकर्षित करने के लिये बांग्लादेश ने आयकर, वैट, सीमा शुल्क और स्टांप ड्यूटी में  छूट के साथ एफ.डी.आई. पर सीमा शुल्क को खत्म करने व कार्य परमिट आदि विशेष सुविधाएँ देने की बात की थी।

भारत  की  मांग क्या है? 

  • भारत की  मुख्य मांग बुनियादी सुविधाओं की है, जिससे ये स्थान उद्योग की अवस्थापना हेतु उपयुक्त बन पाएँ। 
  • भारतीय पक्ष का यह भी कहना है कि उसे कोई वैकल्पिक स्थान दिलवाया जाए जो चटगाँव  पोर्ट के आसपास हो, जैसे  बांग्लादेश की तरफ से चीन को बनाने के लिये दिए गए एस.ई.जेड. इसी पत्तन के आसपास हैं।

निष्कर्ष 
भारत सरकार ने तत्काल प्रभाव से कंपनियों को संयम बरतने की सलाह देते हुए यह आश्वाशन दिया है कि जून के अंत तक इस विषय को बांग्लादेश सरकार के समक्ष रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त, भारत बांग्लादेश को 5000 मेगावाट बिजली देने पर भी विचार कर रहा है, जिसमें भारत-बांग्लादेश की  संयुक्त उद्यम  वाली ‘रामपाल बिजली परियोजना’ की 1200 मेगावाट बिजली भी  शामिल होगी।