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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कवक की विशेष प्रजाति

  • 27 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में ऐसी कवक प्रजातियों को तलाशने में सफलता हासिल की है, जिनसे ब्लड कैंसर का उपचार किया जा सकता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

Kavak

  • इन खास कवक प्रजातियों से ब्लड कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाले एंज़ाइम L-एस्पेरेजिनेज़ (L-asparaginase) का उत्पादन किया जा सकता है।
  • इस एंज़ाइम का उपयोग एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphoblastic Leukemia-ALL) नामक ब्लड कैंसर के उपचार की एंज़ाइम-आधारित कीमोथेरेपी में किया जाता है।
  • वर्तमान में कीमोथेरेपी के लिये L-एस्पेरेजिनेज़ का उत्पादन साधारण जीवाणुओं जैसे - एश्चेरीचिया कोलाई (Escherichia coli) और इरवीनिया क्राइसेंथेमी (Irveenia Kraisenthemi) से किया जाता है, जिसमें L-एस्पेरेजिनेज़ के साथ ग्लूटामिनेज़ और यूरिएज़ नामक दो अन्य एंज़ाइम भी होते है जो मरीज़ों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
  • यदि इनके द्वारा प्राप्त L-एस्पेरेजिनेज़ से अन्य एंज़ाइमों को अलग किया जाता है तो उपचार लागत बढ़ जाती है लेकिन अंटार्कटिका द्वारा खोजे गए कवक से शुद्ध L-एस्पेरेजिनेज़ प्राप्त किया जा सकता है तथा सस्ते इलाज के साथ दोनों अन्य एंज़ाइमों से होने वाले दुष्प्रभावों को भी रोका जा सकता है।

एंज़ाइम का महत्त्व

  • L-एस्पेरेजिनेज़ एंज़ाइम ब्लड कैंसर के इलाज में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथेरेपी दवाओं में से एक है।
  • यह कैंसर कोशिकाओं में पाए जाने वाले प्रोटीन के संश्लेषण के लिये आवश्यक एस्पेरेजिन नामक अमीनो अम्ल की आपूर्ति को कम करता है।
  • इस प्रकार यह एंज़ाइम कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और प्रसार को रोकता है।

अनुकूल परिस्थितियाँ

  • खोजी गई अंटार्कटिका कवक प्रजातियाँ अत्यंत ठंडे वातावरण में वृद्धि करने में सक्षम सूक्ष्मजीवों के अंतर्गत आती हैं।
  • ये कवक प्रजातियाँ माइनस 10 डिग्री से लेकर 10 डिग्री सेंटीग्रेट के न्यूनतम तापमान पर वृद्धि और प्रजनन कर सकती हैं। इस तरह के सूक्ष्मजीवों में विशेष तरह के एंटी-फ्रीज़ (Anti- Freez) एंज़ाइम पाए जाते हैं, जिनके कारण ये अंटार्कटिका जैसे अत्यधिक ठंडे ध्रुवीय वातावरण में भी जीवित रह पाते हैं।
  • इन एंज़ाइमों की इसी क्षमता का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों के लिये प्रभावशाली दवाएँ तैयार करने के लिये किया जा सकता है।

पृष्ठभूमि

राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research NCPOR), गोवा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institutes of Technology-IIT), हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के श्रीमाचेर पर्वत की मिट्टी और काई से कवक प्रजातियों के 55 नमूने अलग किये थे। इनमें शामिल 30 नमूनों में शुद्ध L-एस्पेरेजिनेज़ पाया गया है।

स्रोत – लाइव मिंट

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