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जैव विविधता और पर्यावरण

सुपरबग्स के लिये ड्रग मॉलिक्यूल

  • 27 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय वैज्ञानिकों ने सुपरबग को नष्ट करने वाले एक नए एक ड्रग मॉलिक्यूल को विकसित करने की रणनीति बनाई है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर और लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (Central Drug Research Institute-CDRI) के वैज्ञानिकों ने तेज़ी से विकसित हो रहे एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी सुपरबग्स को नष्ट करने की रणनीति बनाई है।
  • वैज्ञानिकों ने अध्ययन में नाक के ऊपरी हिस्से में पाए जाने वाले बैक्टीरिया स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus Aureus) का प्रयोग किया। प्रयोगों के दौरान यह लगभग 30 प्रतिशत लोगों की त्वचा पर पाया गया। इनमें से कई लोग स्वस्थ हैं, लेकिन कम प्रतिरक्षा स्तर वाले लोगों में यह बैक्टीरिया कई संक्रमणों का कारण बनता है, जिनमें से कुछ संक्रमण घातक भी हो सकते हैं।
  • अनुमान है कि ये मल्टीड्रग प्रतिरोधी सुपरबग वर्ष 2050 तक वैश्विक स्तर पर 10 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले सकते हैं।
  • मॉलिक्यूल ड्रग की संरचना इस प्रकार विकसित की जाएगी कि यह रोगाणुओं के प्रसार को रोकेगा।
  • इस मॉलिक्यूल ड्रग की नवीनता इसका संरचनात्मक डिज़ाइन है, जिसका प्रयोग कम्प्यूटरीकृत जीव विज्ञान वाले विशेषज्ञता अणु को बनाने में किया जाएगा। इस प्रकार के मॉलिक्यूल ड्रग से बैक्टीरिया के ऊर्जा उत्पादन को 20 मिनट तक रोककर बैक्टीरिया के विभाजन और प्रसार को रोका जा सकेगा।
  • बैक्टीरिया के अस्तित्व और प्रसार के लिए गाइरेस (Gyrase) नामक पदार्थ की आवश्यकता होती है। जीवों में गाइरेस दो प्रकार के होते हैं- गाइरेस A और गाइरेस B। वर्तमान में लगभग सभी जीवाणुरोधी दवाएँ गाइरेस को लक्षित करती हैं, क्योंकि गाइरेस एंटीबायोटिक दवाओं का सुपरबग विकसित करता है।
  • विकसित किया जा रहा मॉलिक्यूल ड्रग, गाइरेस B को लक्षित करता है; जो जीवों में अधिक मात्रा में संरक्षित होता है, इसलिये इसे उत्परिवर्तित करना ज़्यादा मुश्किल है। जब मॉलिक्यूल ड्रग का संयोजन फ़्लोरोक्विनोलोन (Fluoroquinolone) दवाओं के साथ किया गया तो गाइरेस A और गाइरेस B दोनों की प्रभावशीलता में कमी देखने को मिली।
  • प्रयोगशाला में अभी तक इस मॉलिक्यूल ड्रग का बैक्टीरिया एंटीबायोटिक प्रतिरोध विकसित नहीं हो पा रहा है।
  • एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के उभरते खतरे का मुकाबला करने के लिये इस प्रकार के चिकित्सीय हस्तक्षेप और वैकल्पिक तंत्र एक संधारणीय उपाय हो सकते हैं।

सुपरबग (Superbugs)

  • सुपरबग एक ऐसा सूक्ष्मजीव है, जिस पर एंटी-माइक्रोबियल ड्रग्स का प्रभाव नहीं पड़ता। एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध विकसित करने वाले सूक्ष्मजीवों को ‘सुपरबग’ के नाम से जाना जाता है।
  • एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग बहुतायत में किये जाने के कारण बैक्टीरिया में इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो गई है जिससे उन पर दवाओं का असर न के बराबर हो रहा है।
  • यही प्रभाव अन्य सूक्ष्मजीवियों (Micro-Organism) के संदर्भ में भी देखा जा रहा है, जैसे एंटीफंगल (Antifungal), एंटीवायरल (Antiviral) और एंटीमलेरियल (Antimalarial) दवाओं का असर भी कम होने लगा है।

स्रोत: द हिंदू बिजनेसलाइन

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