अधिक शक्तिशाली एंथ्रेक्स (Anthrax) टीका | 20 Jun 2019

चर्चा में क्यों?

भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने हाल ही में एंथ्रेक्स (Anthrax) नामक बीमारी का नया टीका विकसित किया है जिसके संदर्भ में यह दावा किया जा रहा है कि यह पहले से मौजूद टीके से काफी अधिक प्रभावशाली है, क्योंकि यह न सिर्फ एंथ्रेक्स विष (AnthraxToxin) के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करता है बल्कि उसके बीजाणुओं (Spores) से भी हमारी रक्षा करता है।

मुख्य बिंदु :

  • एंथ्रेक्स (Anthrax) एक जानलेवा संक्रामक रोग है जो अन्थ्रासिस (Anthracis) जीवाणुओं के संपर्क में आने से होता है। यह इंसानों सहित कई जानवरों जैसे - घोड़ों, गायों, बकरियों और भेड़ों को भी प्रभावित कर सकता है।
  • वर्ष 2001 में एंथ्रेक्स बीजाणुओं का प्रयोग कुछ लोगों द्वारा जैव-आतंकवाद (Bio-Terrorism) के लिये किया गया था, कुछ अमेरिकी लोगों को ऐसे पत्र प्राप्त प्राप्त हुए थे जिनमे ये बीजाणु मौजूद थे, इस घटना के कारण कई अमेरिकी नागरिकों की मृत्यु हो गई थी और कई लोग संक्रमित हुए थे।
  • एंथ्रेक्स के जीवाणु मिट्टी में मौजूद होते हैं और कई वर्षों तक अव्यक्त (Latent) अवस्था में रहते हैं।
  • हालाँकि अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थियों में ये जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं और संक्रमित कर सकते हैं। अक्सर जानवर घास खाने के दौरान अन्थ्रासिस (Anthracis) जीवाणुओं को भी ग्रहण कर लेते हैं जिससे उनके भीतर विषाक्त पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं और वे इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो जाते हैं।

Anthrax

  • बाज़ार में उपलब्ध एंटी-एंथ्रेक्स टीके बैसिलस प्रोटीन (Bacillus Protein), जो हमारी कोशिकाओं में विषाक्त पदार्थों के संचार के लिये उत्तरदायी हैं, के विरुद्ध प्रतिरक्षा क्षमता उत्पन्न करते हैं। जिसका अर्थ है कि ये टीके तभी कार्य करते हैं जब बीजाणु शरीर में अंकुरित हो जाते हैं या सक्रिय होते हैं।
  • परंतु शोधकर्त्ताओं का मानना था कि हमारे शरीर में कुछ निष्क्रिय बीजाणु भी होते हैं जो दीर्घकाल में हमे प्रभावित कर सकते हैं।
  • रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (Defence Research and Development Laboratory) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University - JNU) के शोधकर्त्ताओं ने इसी विषय के साथ ऐसे टीके का निर्माण किया जो विषाक्त पदार्थों और बीजाणुओं दोनों के विरुद्ध कुशलता से कार्य कर सके।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार यह टीका मानवीय दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह संक्रमण किसी के लिये भी 2-3 दिनों के भीतर जानलेवा साबित हो सकता है।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन