आदर्श स्टेशन योजना | 04 Jul 2019
चर्चा में क्यों
आदर्श स्टेशन योजना के तहत आधुनिकीकरण के लिये 1253 रेलवे स्टेशनों का चयन किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- रेलवे के आधुनिकीकरण के लिये “आदर्श स्टेशन योजना” (1999 से 2008 ) और “आधुनिक स्टेशन योजना” (2006 से 2008 ) का भी क्रियान्वयन किया जा चुका है। इन योजनाओं को अब रोक दिया गया है।
- अब तक 1103 रेलवे स्टेशनों को विकसित किया जा चुका है और शेष 150 रेलवे स्टेशनों को वर्ष 2020 तक विकसित करने का लक्ष्य है।
- इस योजना में आकांक्षी ज़िलों को विशेष रूप से लक्षित किया है, अभी तक 115 ज़िलों में से 87 जिलों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया है।
- बड़े शहरों,धार्मिक स्थलों और पर्यटन स्थलों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- रेलवे स्टेशन पर ओवर-ब्रिज, स्वचालित सीढ़ी, प्लेटफार्म की सतह में सुधार और शौचालय आदि व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया जायेगा।
रेलवे स्टेशन के विकास के लिये स्टेशन पुनर्विकास योजना के रूप में विशेष नीति अपनाई गई है। इस योजना की नोडल एजेंसी भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (Indian Railway Station Development Corporation Limited-IRSDC) है। गांधीनगर (गुजरात) और हबीबगंज, भोपाल (मध्य प्रदेश ) स्टेशन का पुनर्निर्माण इस योजना के तहत किया जा रहा है। चारबाग, लखनऊ और पुद्दुचेरी के रेलवे स्टेशनों को विकसित करने के लिये अनुबंध किया जा चुका है।
भारत में रेलवे :
भारत का रेल नेटवर्क विश्व के सबसे बड़े रेल-नेटवर्कों में से एक है। 66000 किलोमीटर के इस नेटवर्क पर देश में रोज़ लगभग 19000 ट्रेनों का संचालन किया जाता है। लगभग सवा करोड़ यात्री प्रतिदिन भारतीय रेल द्वारा यात्रा करते हैं। इसलिये रेलवे का आधुनिकीकरण के माध्यम से अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करना ज़रूरी है।
रेलवे से संबंधी चिंताएँ:
- वित्तीय- पिछले 12 वर्षो से गैर वातानुकूलित आरक्षण यात्री किराये में वृद्धि नही हुई है और इसकी जगह माल भाड़े में अत्यधिक वृद्धि की गई है जिसके परिणामस्वरूप माल भाड़े का किराया सड़क परिवहन से भी महँगा हो गया है। इस प्रकार की नीतियों से रेलवे को लगातार घाटा हो रहा है।
- पेट्रोल की ढुलाई में कमी भी रेलवे राजस्व की कमी का प्रमुख कारण है।
- प्रबंधन- भारत में रेलवे ट्रैक की क्षमता 4800-5000 टन भार वाली मालगाड़ियों के संचालन की है, परंतु इन पर 5500 टन तक भार वाली मालगाड़ियों का संचालन जारी है। इससे ट्रैक पर अनावश्यक बोझ बढ़ गया है और वे कमज़ोर हो रहे हैं। इस प्रकार के कुप्रबंधन से लगातार रेलवे को वित्तीय और अवसंरचनात्मक घाटा हो रहा है।
- सुरक्षा- सुरक्षा की लगातार गिरती स्थिति भी चिंता का कारण है रेलवे की एक रिपोर्ट के अनुसार,सेफ्टी-स्टॉफ के एक लाख पद रिक्त हैं इसके अतिरिक्त सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे ट्रैकों और रेलवे क्रासिंग की भी स्थिति बुरी है।
- प्रशिक्षण- लोको पायलट का प्रशिक्षण अब मात्र 16 हफ्तों का कर दिया गया है, जो कि 1986 में 75 हफ्तों का हुआ करता था। तकनीकी उन्नयन व कंप्यूटरीकरण ने निश्चित तौर पर प्रशिक्षण का समय घटाया है, लेकिन कार्य-निष्पादन में गुणवत्ता की कमी अब भी पाई जाती है। इस बिंदु को कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में गंभीरता से उठाया था।
- अवसंरचना- ज़्यादातर यात्री-रेलगाड़ियों में इंडियन कोच फैक्ट्री के भारी और पुराने कोच संचालन में हैं इससे रेलवे की गति भी धीमी हो जाती हैं, साथ ही दुर्घटना के समय जानमाल की हानि भी अधिक होती है।
उठाए गए कदम-
- रेलवे लाइनों का दोहरीकरण किया जा रहा है साथ ही माल ढुलाई के लिये विशेष फ्रेट कॉरिडोर बिछाये जा रहे है।
- नए कोच एल्युमिनियम से बनाए जा रहे हैं, जिससे कोचों का भार कम होगा साथ ही लिंग हाफमैन बुश (LBS) कोच भी बड़ी मात्रा में बनाए जा रहे है।
- सेतु भारतम् योजना से खुली रेलवे क्रासिंग की समस्या को दूर करने का सराहनीय प्रयास किया गया है, साथ ही इसरो से भी इस क्षेत्र में सहयोग लिया जा रहा है।
- भारतमाला और सागरमाला से विस्तृत अवसंरचना का निर्माण हो रहा है।
- प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिये वडोदरा में रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है।
- जापान की सहायता से बुलेट ट्रेन का निर्माण किया जा रहा है जिससे रेलवे की गति को बढ़ाया जा सके।
- स्थानीय स्तर पर भी वन्दे भारत जैसी ट्रेनों का परिचालन किया गया है जिसमे कम किराये के साथ तीव्र गति और सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।
भारतीय रेल न केवल आवाजाही, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिये भी बहुत महत्त्वपूर्ण साधन है। इसलिये देश और अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास के लिये रेलवे का आधुनिकीकरण करना अतिआवश्यक है।