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भारतीय रेल वित्त निगम: IPO

  • 20 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय रेल वित्त निगम (Indian Railway Finance Corporation- IRFC) के ‘इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग’ (Initial Public Offering- IPO) को जारी होने के पहले दिन 65% अंशदान मिला है।

  • इससे पहले ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ ने वर्ष 2019 में ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ पर एक IPO जारी किया था।

प्रमुख बिंदु:

पहला IPO:

  •  यह वर्ष 2021 में जारी पहला IPO है जिसे गैर-बैंकिंग वित्तीय रेलवे कंपनी द्वारा पहली बार सार्वजनिक रूप से जारी किया गया।

एकत्रित राशि:

  • IPO के माध्यम से केंद्र सरकार एवं IRFC के प्रवर्तक, कंपनी में 13.6% हिस्सेदारी की बिक्री करेंगे।
  • 26 रुपए प्रति शेयर के उच्च मूल्य पर सरकार 3,243 करोड़ रुपए जुटाएगी और कंपनी का मार्केट कैप 23,845 करोड़ रुपए होगा।

उद्देश्य:

  • IRFC अपने पूंजी आधार और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिये नए सिरे से IPO की आय का उपयोग करेगा।

रेलवे की क्षमता बढ़ाने के लिये अन्य सरकारी प्रयास:

  • फ्रेट कॉरिडोर का विकास
  • उच्च गति की रेलों का संचालन 
  • एलीवेटिड गलियारा

भारतीय रेल वित्त निगम

  • यह भारतीय रेलवे की एक सहायक कंपनी है जो कि भारतीय रेलवे की एक समर्पित बाज़ार उधार शाखा भी है।

स्थापना:

  • इसे वर्ष 1986 में निगमित किया गया था।

वित्तीय मॉडल:

  • यह रोलिंग स्टॉक (Rolling Stock) परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के वित्तपोषण के लिये एक वित्तीय लीज़िंग मॉडल का अनुसरण करता है, जिसमें लोकोमोटिव, कोच, वैगन्स, ट्रक, फ्लैट, इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट, कंटेनर, क्रेन, ट्रॉली आदि शामिल हैं।
  • वित्तीय लीज़िंग मॉडल
    • लीज़िंग मॉडल के माध्यम से राजस्व प्राप्त करने में आमतौर पर तीन पक्ष शामिल होते हैं: विक्रेता, खरीदार (पट्टेदार) और फाइनेंसर।
    • भुगतान के बदले किसी समझौते का स्वामित्त्व (आमतौर पर उपकरण) विक्रेता से पट्टेदार को हस्तांतरित किया जाता है।
    • पट्टेदार आवधिक शुल्क के बदले वस्तु के उपयोग के लिये तीसरे पक्ष के साथ अनुबंध करता है।
    • एक बार लीज़िंग अनुबंध समाप्त हो जाने के बाद विक्रेता संबंधित समझौते के स्वामित्व को समाप्त कर सकता है या नहीं भी कर सकता है।

अंशदान

  • यह भारतीय रेलवे की क्षमता वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो अपने वार्षिक योजना परिव्यय में वृद्धि के अनुपात में वित्तपोषण करके दीर्घकालिक व्यापार सुगमता सुनिश्चित करता है।

अन्य कार्य:

  • यह रेलवे अवसंरचना परिसंपत्तियों और भारत सरकार की राष्ट्रीय परियोजनाओं (परियोजना परिसंपत्तियों) को पट्टे पर देने और रेल मंत्रालय के तहत अन्य संस्थाओं को ऋण देने में भी सक्षम है।

‘इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग’

परिभाषा:

  • IPO प्राथमिक बाज़ार में सार्वजनिक रूप से प्रतिभूतियों की बिक्री है।
    • प्राथमिक बाज़ार पहली बार जारी की जा रही नई प्रतिभूतियों की बिक्री से संबंधित है। इसे ‘न्यू इश्यू मार्किट’ (New Issues Market) के रूप में भी जाना जाता है।
    • यह द्वितीयक बाज़ार से अलग है जहाँ पहले से मौजूद प्रतिभूतियों को खरीदा और बेचा जाता है। इसे शेयर बाज़ार या स्टॉक एक्सचेंज के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह तब जारी होता है जब एक गैर-सूचीबद्ध कंपनी या तो प्रतिभूतियों को पहली बार बिक्री के लिये जारी करती है या अपनी मौजूदा प्रतिभूतियों को या दोनों को पहली बार जनता के सम्मुख पेश करती है।
    • गैर-सूचीबद्ध कंपनियाँ वे होती हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं हैं।
  • आमतौर पर इनका उपयोग ऐसे नए और मध्यम आकार की फर्मों द्वारा किया जाता है जिन्हें अपने व्यवसाय को विकसित और विस्ताररित करने के लिये फंड की ज़रुरत होती है।

लाभ

  • IPO द्वारा जुटाई गई धनराशि कंपनी को नए पूंजीगत उपकरणों और बुनियादी ढाँचे में निवेश करने में सहायता प्रदान करती है।
  • एक IPO स्टॉक एक्सचेंज बाज़ार में इसके जारीकर्त्ता की प्रतिभूतियों की सूची प्रस्तुत करता है और व्यापार के लिये मार्ग प्रशस्त करता है।
  • IPO एक कंपनी की उच्च प्रतिभाओं को आकर्षित करने में सहायता प्रदान करता है क्योंकि यह अपने कर्मचारियों को अतिरिक्त विकल्प प्रदान कर सकता है। यह शुरू में कंपनी को अपने अधिकारियों को कम वेतन का भुगतान करने में सक्षम बनाता है परंतु बदले में कर्मचारियों को कुछ समय बाद  IPO से नकदी निकालने का विकल्प देता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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