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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारतीय पेशेवरों को अमेरिकी वीज़ा नीति में राहत

  • 12 Jul 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने प्रत्येक देश के लिये वीज़ा से संबंधित निश्चित अधिकतम सीमा का प्रावधान हटाने के लिये एक विधेयक पारित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्तमान में प्रतिवर्ष ग्रीन कार्ड की कुल संख्या में से एक देश के अधिकतम सात प्रतिशत आवेदकों को ही ग्रीन कार्ड मिलता है।
  • इस विधेयक से भारत जैसे देशों के हजारों कुशल पेशेवरों को स्थायी रूप से निवास के लिये इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
  • इस विधेयक के कानून में परिवर्तित होने के पश्चात् परिवार आधारित अप्रवासी वीज़ा (Family-based immigrant visas) की सीमा सात से बढ़ाकर 15% हो जाएगी। वहीं रोज़गार आधारित आप्रवासी वीज़ा पर लगी 7% की सीमा भी समाप्त हो जाएगी। इस बदलाव से वहाँ कार्यरत कुशल भारतीय आइटी पेशेवरों के लाभान्वित होने की उम्मीद है।
  • भारतीय आईटी पेशेवर, अधिकतर H-1B वर्किंग वीज़ा पर अमेरिका जाते हैं, लेकिन मौज़ूदा आव्रजन प्रणाली की सबसे बड़ी खामी ग्रीन कार्ड या स्थायी वैधानिक निवास के आवंटन हेतु निर्धारित कोटा (7 प्रतिशत प्रति देश कोटा) के कारण बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
  • फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट-2019 (Fairness for High-Skilled Immigrants Act of 2019) या एचआर 1044 (HR 1044) नामक यह विधेयक 435-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा सदन से पास हो गया है। अब सीनेट से मंज़ूरी तथा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून में परिवर्तित हो जाएगा।

निष्कर्ष

  • यह विधेयक अमेरिकी व्यापार एवं अर्थव्यवस्था के सकारात्मक विकास हेतु एक निष्पक्ष कुशल आव्रजन प्रणाली को स्थापित करने पर ज़ोर देता है।
  • इस विधेयक द्वारा यह सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी कि स्थायी निवास की मांग करने वाले भारत और चीन जैसे देशों के लोगों को अब लंबे समय तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

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